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IPO की संपूर्ण प्रक्रिया : एक अवलोकन |
IPO की संपूर्ण प्रक्रिया : एक अवलोकन
आईपीओ (IPO) या आम साझा बजार में प्रदर्शित होने की प्रक्रिया उन कंपनियों द्वारा की जाती है जो अपने शेयरों को सार्वजनिक रूप से बेचना चाहती हैं। यह एक महत्वपूर्ण घटना है जिसके दौरान कंपनी निवेशकों के सामर्थ्य को अपने बिजनेस निर्माण योजनाओं के माध्यम से दिखाती है। निम्नलिखित है
IPO से जुड़े कार्यक्रम का एक संक्षेप:
1. निर्णय लेना: कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स द्वारा यह निर्णय लिया जाता है कि कंपनी को आईपीओ करनी चाहिए या नहीं। यह निर्णय लागूगणित आर्थिक मापदंडों, विपणन संकेतों और उद्योग के पूर्वानुमानों पर आधारित होता है।
2. नियोजन: कंपनी नियोजन टीम को तैयार करती है जो IPO के लिए वित्तीय मूल्यांकन, साझा बेचने की मूल्य और अन्य प्रचार विवरण तैयार करती है।
3. संगठन का सुधार: कंपनी को अपने अंतर्निहित प्रणाली, नियंत्रण, लेखा और गवर्नेंस को देखना चाहिए ताकि वह संघटित और प्रतिस्पर्धी लगे।
4. वित्तीय अनुबंधों की तैयारी: कंपनी अपने वित्तीय संख्याओं को देखने के लिए नियोजित लेखा मानदंडों के अनुसार अपने लेखा बिक्री का समयानुक्रम तैयार करती है।
5. संगठन विवरण का तैयारी: कंपनी को संगठन के प्रमुख और निदेशक मंडल का विवरण प्रदान करना चाहिए ताकि निवेशकों को उनके नेतृत्व को मान्यता मिले।
6. SEBI से मंजूरी प्राप्त करना: भारतीय शेयर और बाजार नियामक प्राधिकरण (SEBI) से IPO के लिए मंजूरी प्राप्त करना आवश्यक है। इसके लिए कंपनी को संबंधित दस्तावेज़ और वित्तीय जानकारी साझा करनी पड़ती है।
7. प्रचार कार्यक्रम का आयोजन: कंपनी अपने IPO को बेचने के लिए प्रचार कार्यक्रम आयोजित करती है, जिसमें प्रेस कॉन्फ़्रेंसेस, रोड शोज, टीवी और रेडियो साझाकरण, और इंटरनेट माध्यम शामिल होते हैं।
8. निवेशकों के लिए आवेदन: इंवेस्टर्स अपने IPO के लिए आवेदन करते हैं और अपने निवेश की राशि का निर्धारण करते हैं
9. ग्राहकों के लिए आवेदन: कंपनी अगर आम जनता को अपने IPO में शामिल करना चाहती है, तो वे अपने ग्राहकों को भी आवेदन करने के लिए बुलाती है। इसके लिए विशेष आवेदन प्रक्रिया और मानदंड स्थापित किए जाते हैं।
10. ग्राहकों और निवेशकों के आवेदन की समीक्षा: कंपनी के द्वारा आवेदनों की समीक्षा की जाती है और निवेशकों और ग्राहकों के लिए निर्धारित निवेश योग्यता मानदंडों के आधार पर शेयरों की संख्या का तय किया जाता है।
11. नोटिस और प्रोस्पेक्टस जारी करना: कंपनी द्वारा IPO से संबंधित नोटिस और प्रोस्पेक्टस जारी किए जाते हैं। इसमें कंपनी की विस्तृत जानकारी, वित्तीय विवरण, निवेशकों के लाभ, खतरे और अन्य महत्वपूर्ण तथ्य शामिल होते हैं।
12. ग्राहकों और निवेशकों के लिए शेयरों की आवंटन: आवेदकों के आधार पर, निवेशकों और ग्राहकों को शेयरों की आवंटन की जाती है। यह आमतौर पर निवेशकों के लिए आवंटन की नियमित प्रक्रिया में होता है।
13. संगठन के बैंक खातों की स्थापना: IPO के बाद, कंपनी को निवेशकों द्वारा दिए गए धनराशि को धारित करने के लिए विशेष खाता स्थापित करना होता है।
14. इंटरनेशनल सेटलमेंट: अगर IPO इंटरनेशनल मार्केटों में भी उपलब्ध है, तो विदेशी निवेशकों के लिए सेटलमेंट प्रक्रिया होती है। इसमें निवेशकों के बैंक खातों में धन की हस्तांतरण की जाती है।
15. स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग: कंपनी के शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट किया जाता है, जिसके बाद वे खरीदने और बेचने के लिए उपलब्ध होते हैं।
16. आईपीओ के बाद की नियामक प्रक्रिया: आईपीओ के बाद, कंपनी को नियामक प्राधिकरणों और स्टॉक एक्सचेंजों की मांग के अनुसार नियमित रूप से अपनी जानकारी और वित्तीय प्रदर्शन की जांच करवानी होती है।
इस लेख में IPO के घटनाक्रम को संक्षेप में समझाया गया है। आप अधिक विस्तृत जानकारी के लिए संबंधित वेबसाइटों और वित्तीय संस्थानों की जांच कर सकते हैं। इसमें IPO की नियमित प्रक्रिया, कानूनी और नियामक प्रावधान, आवेदन प्रक्रिया, निवेशकों के लिए सुरक्षा उपाय, आवंटन के मानक, आवंटन का समयानुक्रम, और IPO के बाद की नियामक प्रक्रिया शामिल हो सकती है।