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ढाई द्वीप पंचकल्याणक महोत्सव में मरुदेवी माता को दिखे 16 स्वप्न

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ढाई द्वीप पंचकल्याणक महोत्सव में मरुदेवी माता को दिखे 16 स्वप्न

ढाई द्वीप पंचकल्याणक महोत्सव में मरुदेवी माता को दिखे 16 स्वप्न :-

गांधीनगर में तीर्थधाम ढाईद्वीप जिनायतन का मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव शुक्रवार को शोभायात्रा के साथ शुरू हुआ। कुंदकुंद कहान दिगंबर जैन शासन प्रभावना ट्रस्ट द्वारा आयोजित महोत्सव में पं. टोडरमल स्मारक ट्रस्ट जयपुर के निर्देशन में ध्वजारोहण किया गया। सुबह मंगल गायन एवं जिनेंद्र पूजन के बाद रथयात्रा व मंगल कलश यात्रा निकली।

मरुदेवी माता को दिखे 16 स्वप्न :-

इंद्रसभा व राज्यसभा दिखाई गई। 56 कुमारियों के नृत्य के बाद मरुदेवी माता को सोलह शुभ तथा मंगलकारी स्वप्न देखे। सुबह जागने पर मरुदेवी माता ने महाराज नाभिराय से अपने स्वप्नों की चर्चा की और उसका फल जानने की इच्छा प्रकट की। राजा नाभिराय एक कुशल राजनीतिज्ञ के साथ ही ज्योतिष शास्त्र के भी विद्वान थे। उन्होंने रानी से कहा कि एक-एक कर अपना स्वप्न बताइए। मैं उसी प्रकार उन स्वप्नों का फल बताता जाऊंगा। वे स्वप्न और उनके फल इस प्रकार हैं…

1. पहला स्वप्न - स्वप्न में एक अति विशाल श्वेत हाथी दिखाई दिया।

स्वप्न का फल - उन्हें एक अद्भुत पुत्र-रत्न उत्पन्न होगा।

2. दूसरा स्वप्न - श्वेत वृषभ।

स्वप्न का फल - वह पुत्र जगत का कल्याण करने वाला होगा।

3. तीसरा स्वप्न - श्वेत वर्ण और लाल अयालों वाला सिंह।

स्वप्न का फल - वह पुत्र सिंह के समान बलशाली होगा।

4. चौथा स्वप्न - कमलासन लक्ष्मी का अभिषेक करते हुए दो हाथी।

स्वप्न का फल - देवलोक से देवगण आकर उस पुत्र का अभिषेक करेंगे।

5. पांचवां स्वप्न - दो सुगंधित पुष्पमालाएं।

स्वप्न का फल - वह धर्म तीर्थ स्थापित करेगा और जन-जन द्वारा पूजित होगा।

6. छठा स्वप्न - पूर्ण चन्द्रमा।

स्वप्न का फल - उसके जन्म से तीनों लोक आनंदित होंगे।

7. सातवां स्वप्न - उदय होता सूर्य।

स्वप्न का फल - वह पुत्र सूर्य के समान तेजयुक्त और पापी प्राणियों का उद्धारक होगा।

8. आठवां स्वप्न - कमल पत्रों से ढंके हुए दो स्वर्ण कलश।

स्वप्न का फल - वह पुत्र अनेक निधियों का स्वामी निधिपति होगा।

9. नौवां स्वप्न - कमल सरोवर में क्रीड़ा करती दो मछलियां।

स्वप्न का फल - महाआनंद का दाता तथा दुखहर्ता।

10. दसवां स्वप्न - कमलों से भरा जलाशय।

स्वप्न का फल - एक हजार आठ शुभ लक्षणों से युक्त पुत्र।

11. ग्यारहवां स्वप्न - लहरें उछालता समुद्र।

स्वप्न का फल - भूत-भविष्य-वर्तमान का ज्ञाता केवली पुत्र।

12. बारहवां स्वप्न - हीरे-मोती और रत्नजडि़त स्वर्ण सिंहासन।

स्वप्न का फल - राज्य का स्वामी और प्रजा का हितचिंतक पुत्र।

13. तेरहवां स्वप्न - स्वर्ग का विमान।

स्वप्न का फल - इस जन्म से पूर्व वह पुत्र स्वर्ग में देवता होगा।

14. चौदहवां स्वप्न - पृथ्वी को भेद कर निकलता नागों के राजा नागेन्द्र का विमान।

स्वप्न का फल - जन्म से ही वह पुत्र त्रिकालदर्शी होगा।

15. पन्द्रहवां स्वप्न - रत्नों का ढेर।

स्वप्न का फल - वह पुत्र अनंत गुणों से संपन्न होगा।

16. सोलहवां स्वप्न - धुआंरहित अग्नि।

स्वप्न का फल - वह पुत्र कर्मों का अंत करके मोक्ष (निर्वाण) प्राप्त करेगा।

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