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सदी के सबसे बड़े जैन पंचकल्याणक का आयोजन

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सदी के सबसे बड़े जैन पंचकल्याणक का आयोजन

सदी के सबसे बड़े जैन पंचकल्याणक का आयोजन :-

पूज्य गुरुदेव कानजी स्वामी की प्रेरणा से निर्मित, ज्ञान प्रचार में सदैव अग्रणीय दिगम्बर जैन धर्म की सुप्रसिद्ध संस्था पंडित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट जयपुर के निर्देशन में कुंदकुंद कहान दिगंबर जैन शासन प्रभावना ट्रस्ट के द्वारा आध्यात्मिक सत्पुरुष कानजी स्वामी के पुण्य प्रभावना योग में नवनिर्मित विशालतम जिनालय ढाईदीप जिनायतन इंदौर में सदी के सबसे बड़े ऐतिहासिक पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन हो रहा हैं। इस पंचकल्याणक के माध्यम से 1143 दिगम्बर जिनबिम्बों की प्राण प्रतिष्ठा होगी।

आखिर कब से किया जा रहा है ढाईद्वीप पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन :-

ढाईद्वीप पंचकल्याणक का आयोजन 20 जनवरी शुक्रवार से 26 जनवरी 2023 तक किया जा रहा है। ढाईद्वीप में आयोजित होने वाला आदिनाथ दिगंबर जैन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव जैन समाज का एक आदर्श एवं अनुकरणीय पंचकल्याणक होगा। ढाईद्वीप का यह पंचकल्याणक जैन समाज में संपन्न हुए सभी पंचकल्याकों में सबसे महान एवं विशाल होगा।

ढाईद्वीप पंचकल्याणक महोत्सव के कार्यक्रम :-

ढाईद्वीप पंचकल्याणक का शुभारंभ 20 जनवरी 2023 से होगा।

20 जनवरी को गर्भ कल्याणक की पूर्व प्रक्रिया स्वरूप 16 स्वप्नों के मनोरम दृश्य दिखाए जाएंगे।

21 जनवरी को भगवान आदिनाथ के गर्भ कल्याणक का महामहोत्सव मनाया जाएगा।

22 जनवरी को भगवान के जन्म कल्याणक के पावन अवसर पर 1008 कलशों से सुमेरु पर्वत के शिखर पर बाल तीर्थंकर का अभिषेक किया जाएगा।

23 जनवरी को दीक्षा कल्याणक के पावन अवसर पर दानतीर्थ के प्रवर्तन स्वरूप आहार दान की विधि संपन्न होगी।

24-25 जनवरी को 2 दिन भगवान का ज्ञान कल्याणक महोत्सव वृहद स्तर पर मनाया जाएगा। जहां अलौकिक सौंदर्य युक्त समवशरण का निर्माण कर तीर्थंकर परमात्मा की दिव्यध्वनि खिरेगी।

26 जनवरी को भगवान के मोक्ष कल्याणक महोत्सव के बाद ढाईद्वीप में स्थित 1143 प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा कर उन्हें पूज्य बनाया जाएगा।

विश्व की अद्वितीय रचना : ढाईद्वीप जिनायतन

ढाईद्वीप जिनालय विश्व की अद्वितीय रचना है, जो कि भारत के सबसे स्वच्छ मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर नगर में स्थित है। यह रचना, मात्र रचना ही नहीं है, अपितु ढाईद्वीप में स्थित समस्त तीर्थंकर भगवन्तों एवं अकृत्रिम चैत्यालयों को लिए हुए जीवंत प्रतिकृति हैं।

तीर्थधाम ढाईद्वीप जिनालय में जैन शास्त्रों में वर्णित करणानुयोग के आधार से पर्वतों नदियों जिनालयों की संख्या, जिनालयों के नाम, पर्वतों के रंग व नामों की सार्थकता का विशेष ध्यान रखा गया हैं।

एक नजर में ढाईद्वीप जिनायतन :-

पूज्य गुरुदेव कानजीस्वामी के पुण्य प्रभावना योग में मुमुक्षु समाज में अनेक जैन संकुलों का निर्माण हुआ है। उसमें से यह ढाईद्वीप जिनायतन संपूर्ण मुमुक्षु समाज के लिए अद्वितीय स्थान बन रहा है।

ढाईद्वीप जिनायतन का यह संकुल लगभग डेढ़ एकड़ में फैला है। लगभग डेढ़ एकड़ में फैला यह संकुल जिसमें 24 हजार स्क्वायर फीट का विशाल ढाईद्वीप जिन मंदिर, जो करीब 18 हजार स्क्वायर फीट का विशाल स्वाध्याय भवन है। जिसमें एक विशाल आडिटोरियम, बहिन बेन चित्रालय, विशाल पुस्तकालय औार विश्व की सबसे बड़ी विदेह क्षेत्र में साक्षात विराजमान सीमंधर स्वामी की 33 इंच की स्फटिकमणि की प्रतिमा विराजमान है। साथ ही 56 कमरों का आधुनिक सुसज्जित गेस्ट हाउस, 24 वन बीएचके फ्लैट का विद्वत निवास, 24 कमरों का छात्रावास, 4500 स्क्वायर फीट की विशाल भोजनशाला, 17 कमरों का स्टाफ क्वार्टर स्थित हैं प्रकृति के निकट और गोम्मटगिरी की तलहटी में स्थित यह विशाल प्रांगण अत्यंत भव्य एवं मनोहारी हैं। यह संकुल इंदौर आने वाले प्रत्येक जनमानस के लिए सर्वसुविधायुक्त एवं रमणीय स्थान-एयरपोर्ट से मात्र 2 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।

तीर्थधाम ढाईद्वीप जिनायतन न केवल धार्मिक महत्व की दृष्टि से बल्कि पर्यटन के नजरिए से भी महत्वपूर्ण स्थल होगा।

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