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सम्मेद शिखरजी.....4 दिन में अनशन पर बैठे दूसरे जैन मुनि ने प्राण त्यागे! |
सम्मेद शिखरजी.....4 दिन में अनशन पर बैठे दूसरे जैन मुनि ने प्राण त्यागे :-
झारखंड स्थित जैन तीर्थस्थल सम्मेद शिखर की पवित्रता बचाए रखने के लिए एक और जैन मुनि ने अपने प्राण त्याग दिए। गुरुवार देर रात 1:20 बजे मुनि समर्थ सागर (74) का निधन हो गया। चार दिन में ये दूसरे संत हैं, जिन्होंने देह त्याग दी। शुक्रवार सुबह संत के देह छोड़ने की जानकारी मिलने के बाद बड़ी संख्या में जैन समुदाय के लोग मंदिर पहुंचे। संत की डोल यात्रा संघीजी मंदिर से विद्याधर नगर तक निकाली गई।
यह सब कुछ झारखंड के गिरिहीड जिले में स्थित सम्मेद शिखरजी को बचाने के लिए किया जा रहा था, और अंततः अनशन के तहत अपने प्राणों को समर्पित कर दिया जिन धर्म की आराधना और प्रभावना बनी रहे आपका इसमें यही भावना थी इसी भावना के साथ आपने इस देह को त्याग दिया। लेकिन इस घटना से पूरी समाज दुखी है पूरे समाज में आक्रोश है और सरकार के प्रति भी एक रोष की लहर पैदा हुई है कि सम्मेद शिखर को शीघ्रातिशीघ्र जैन तीर्थक्षेत्र घोषित किया जाए और पर्यटन क्षेत्र का निर्णय वापस दिया जाये।
मुनि श्री ने शरीर को त्याग दिया तो ये इसलिए नहीं कि एक हटा ग्रह था मुनि हटा ग्रह से शरीर नहीं त्यागते उन्हें अंदर से जिन धर्म की प्रभावना आराधना की ही भावना थी इसलिए मोन रहकर आमरण अनशन व्रत लेकर समाधि में लीन हो गए और इसी के साथ अपने शरीर को त्याग दिया।
सम्मेद शिखर तीर्थ क्षेत्र यह मात्र एक स्थान ही नहीं है बल्कि जैन धर्म की आस्था का एक बहुत ही बड़ा केंद्र है, ये केंद्र था, है और रहेगा इसमें किसी भी प्रकार की दोराय नहीं है।
जैन धर्म जैन धर्म की पहचान और जैन धर्म की मान्यता दूसरे धर्म को आहत किए बिना है।
सब की रक्षा हो, सबका हित हो , यही भावना भाता है तो सरकार से जैन धर्म के आलंबियों की यही गुहार है कि इसे तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाय।