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सरकार से जैन क्या चाहते हैं? सम्मेद शिखर हमारा है! |
सरकार से जैन क्या चाहते हैं? सम्मेद शिखर हमारा है :-
जो जिस धरती के कण-कण को महान एवं पवित्र मानता हो और उस धरती पर अगर कोई व्यक्ति उस तीर्थ क्षेत्र की पवित्रता को भंग करता है। तो क्या यह बात जैन धर्म के अनुयायियों को स्वीकार होगी?
नहीं, कदापि नहीं, उनके लिए तीर्थक्षेत्र सम्मेद शिखरजी का कण-कण पवित्र है और एक आस्था के केंद्र के साथ अगर कोई खिलवाड़ करता है, तो वह जैनधर्म के अनुयायियों को स्वीकार कैसे होगी?
नहीं होगी, जैन तो क्या वो किसी भी धर्म का व्यक्ति क्यों न हो यह बात कभी स्वीकार नहीं करता कि उसके सामने उसके आस्था के केंद्र को क्षति पहुंचाई जा रही है।
ये सम्मेद शिखर जी ऐसा तीर्थ क्षेत्र है, जिसपर ना जाने कितने तीर्थंकर भगवंतों ने मोक्ष प्राप्त किया है और अभी वर्तमान के 20 तीर्थंकर ने मोक्ष प्राप्त किया है।
उस पवित्र धरती पर अगर लोग अल्पसंख्यक, कमजोर और अहिंसक समझकर उस धरती की पवित्रता और शांति को भंग करना चाहते हैं तो उनकी यह गलत बात है।
जैन तो सुंदर और सन्मार्ग पर चलने वाले होते हैं, वह कभी भी किसी दूसरे व्यक्ति की संपत्ति नही हथयाते, न ही दूसरे की संपत्ति पर अपना अधिकार जताते हैं इसलिए जो व्यक्ति अपने तीर्थ क्षेत्रों से इतना प्रेम करता हो और जो आस्था के केंद्र हो उन्हें शान्ति से धर्म करते रहने दो।
यही शान्ति का मार्ग है.....