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बागेश्वर धाम सरकार : Bageshwar Dham Sarkar |
बागेश्वर धाम सरकार की भावना :-
बागेश्वर धाम सरकर के प्रिय भक्तों आपको यह जानकर बहुत हर्ष होगा। कि बागेश्वर धाम सरकार के पेज पर फेसबुक ने सब्सक्रिप्शन का बटन दे दिया है।
बागेश्वर धाम सरकार के समस्त भक्तों के प्रति गुरुदेव की भावना है कि बागेश्वर धाम सरकार के समस्त भक्त सुखी तथा संपन्न रहें! अतः बागेश्वर धाम सरकार के समस्त भक्तों से गुरुदेव का अनुरोध है कि बागेश्वर धाम सरकार के पेज का एक महीने के लिए सब्सक्रिप्शन मात्र ₹199 में मिल रहा है। अतः गुरुदेव का समस्त भक्तों से अनुरोध है कि बागेश्वर धाम सरकार के पेज का सब्सक्रिप्शन जरूर लें। ताकि बागेश्वर धाम सरकार की कृपा आप पर बनी रहे!
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हिंदू महासभा : बागेश्वर धाम सरकार
वर्तमान समय को देखते हुए हिंदू महासभा ने संपूर्ण परिस्थिति का अवलोकन करते हुए यह निर्णय किया है कि हिंदू महासभा बागेश्वर धाम सरकार को 'हिंदू रत्न' से सम्मानित करेंगी।
हिन्दू महासभा बागेश्वर धाम सरकार को हिंदुओ में श्रेष्ठ मानती हुई उन्हें हिन्दू रत्न की उपाधि से सम्मानित करेंगी।
14 या 15 कब है मकर संक्रांति ?
बागेश्वर धाम सरकार के अनुसार मकर संक्रांति पर्व का सही काल यह है......
• हिंदू पंचांग के अनुसार, 14 जनवरी दिन शनिवार को सूर्य देव रात 8 बजकर 14 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे
इसी वजह से लोगों में इसकी तारीख को लेकर कन्फ्यूजन है दरअसल रात्रि प्रहर में स्नान, दान-धर्म के कार्य वर्जित होते हैं, इसलिए 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना सही नहीं है।
• उदया तिथि चलते अगले दिन यानी 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति का पर्व मनाएं।
• 15 जनवरी को मकर संक्रांति पर सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक मकर संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा।
• इस अवधि में स्नान, दान-धर्म के कार्य बहुत ही शुभ माने जाते हैं चूंकि मकर संक्रांति का पर्व रविवार के दिन पड़ रहा है तो इससे त्योहार का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि यह वार सूर्य देव को ही समर्पित है।
चलो नागपुर….
बागेश्वर धाम सरकार के भक्तों के लिए एक बार फिर खुशखबरी आई है। कि 5 जनवरी से 11 जनवरी 2023 तक नागपुर नगरी के रेशमबाग में भक्ति गंगा बहेगी।
पूज्य सरकार के श्रीमुख से भक्तिरस ‘’श्रीराम चरित्र-चर्चा’’ का आयोजन दोपहर 1:00 से होने जा रहा है। आप सभी भक्त इस कथा में सादर आमंत्रित है। साथ में जो भक्त गण नागपुर नगरी में नहीं आ सकते हैं। वह घर बैठे सोशल मीडिया के माध्यम से कथा को सुनकर आनंद ले सकते हैं।
ख़ुशख़बरी…
बाला जी की असीम कृपा से पूज्य बागेश्वर धाम सरकार के मुख़ारविन्द से श्रीमद भागवत का आचमन दिनांक 08-12-2022 से 14-12-2022 तक प्राचीन शिव मंदिर,रामलीला ग्राउंड के पास छतारी, बुलंदशहर ( उत्तरप्रदेश )…
कलश यात्रा प्रथम दिवस सुबह ९ बजे से…दिनांक 10-11 दिसम्बर ‘’महादिव्य दरबार’’ सुबह ९ बजे से…12 दिसंबर रात ९ बजे से सरकार से सीधी बात…और 13 दिसंबर सुबह ११ बजे से दिव्य भभूति वितरण…
बागेश्वर धाम सरकार से पूछा गया, संत कैसा होता है ?
बागेश्वर धाम सरकार का शानदार जवाब!
जब एक इंटरव्यू में बाबा जी से पूछा गया कि संत कैसा होता है, आज कल जो हिंदू बाबा जैल में है उनके बारे में आप क्या कहना चाहते हैं?
बागेश्वर धाम सरकार ने बड़ी सहजता से कह दिया, वो संत नही हैं वो तो कुछ और हैं जो संत होता है वो मोज में होता है और जो अपनी मोज में होता है, उससे बड़ा कोई संत नही होता है। आज कल हिंदू मान्यता को समझने बिना अथवा हिंदू वेशभूषा धारण करके कोई संत नही होता उसके लिए एक समर्पण और निष्ठा की जरूरत है, जिसकी कोशिश सभी को करनी चाहिए।
"अपनी राय कॉमेंट में छोड़ सकते हैं।"
संसार के भरोसे मत जियो :-
बागेश्वर धाम सरकार ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को संसार के भरोसे नहीं जीना चाहिए क्योंकि जब तक आपके पास संपत्ति रहती है तब तक संसार वाले आपकी बातों बातें मिलाते रहते हैं अर्थात् आपके साथ में रहते हैं लेकिन जब संपत्ति आपसे दूर होती है तो वही आपके अपने दूर हो जाते हैं इसलिए हमें कभी भी संसार के भरोसे नहीं रहना चाहिए।
धनतेरस पर क्या खरीदें :-
बागेश्वर धाम सरकार ने कहा है कि हमें झाडू जरूर होनी चाहिए धनतेरस पर झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है लाभदायक माना जाता है लेकिन एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमें धनतेरस के दिन लोहा तथा कांच के सामानों को नहीं खरीदना चाहिए क्योंकि लोहा तथा कांच के सामानों को धनतेरस पर खरीदना अशुभ तथा अनिष्ट कारक माना जाता है।
लक्ष्मी घर में क्यों नहीं रुकती!
लक्ष्मी घर में क्यों नहीं रुकती इसके लिए बागेश्वर धाम सरकार है 8 कारण बताए हैं यदि 8 कारणों का पालन किया जाए तो आपके घर में लक्ष्मी का निवास जरूर होगा। 8 कारक इस प्रकार से है...
माता पिता, गुरु तथा अतिथि का सम्मान करो
क्रोध ना करके प्रेम युक्त जीवन जियो
जूठे बर्तन नहीं रखो तथा अन्य का सम्मान करो
उत्तर दिशा में कचरा तथा झाड़ू को ना रखें
सूर्य अस्त के बाद घर में झाड़ू ना लगाएं
मां लक्ष्मी के साथ नारायण की पूजा करें
गूंथा हुआ आटा फ्रिज में ना रखें
शाम के वक्त किसी को दान में नमक ना दें।
ध्यान रहे इन 8 कारणों का पालन करते हुए अपने कर्म को करते रहना है क्योंकि कर्म के बिना फल की प्राप्ति नहीं होती है इसलिए कर्म को करते हुए इन 8 कारणों का पालन जरूर करना। इससे लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।
बागेश्वर सरकार की वनवासियों के प्रति भावना :-
सनातन को बचाने और भगवान श्रीराम के जंगलों में साथी रहे वनवासी बहनों एवम भाइयों को अपने आराध्य की गाथा बतलाने का इससे अच्छा प्रयास हो नहीं सकता... ये सिर्फ़ भीड़ नहीं है ये वो लोग है जिनके मन मंदिर में प्रभु श्रीराम बसते है…बस उन्हें जगाने की ज़रूरत है…अमीर और समृद्ध लोगों के लिए तो हज़ारों कथा पूरे देश में होती है लेकिन बुंदेलखंड के गरीब और असहाय वनवासी लोगों को मान सम्मान देने और उनके मन में प्रभु भक्ति की अलख जगाने गुरुदेव सुदूर ग्रामीण क्षेत्र क़ल्दा,पन्ना में कथा कहने आए है…सीमित संसाधन अपूर्ण व्यवस्था लेकिन सिर्फ़ लोगों के भाव के भूखे है ‘’सरकार’’…अद्भुत है आप अद्भुत है आपकी महिमा….
कितनी पेशी जरूरी है ?
बंधुओं, दरबार में जब आपकी अर्जी लग जाती है तो दिव्य दरबार में पूज्य गुरुदेव खुद बता देते हैं कि कितनी पेशी आपको करनी है। वैसे तो कम से कम 5 मंगलवार की पेशी हर भक्त को करने का आदेश आता है। आप भक्तगण इससे अधिक पेशी भी कर सकते हैं और हां जब तक आपकी पेशी पूरी नहीं हो जाती, तब तक मदिरा, मांस, लहसुन और प्याज का सेवन पूरी तरह से वर्जित रखना होता है। बागेश्वर धाम सरकार की कृपा उन्हीं भक्तों पर होती है जो मदिरा, मांस, लहसुन और प्याज का सेवन नहीं करते हैं इसलिए यदि आप चाहे तो आजीवन तक इन सभी का त्याग कर सकते हैं।
कब डाले जाते हैं टोकन?
टोकन कब डलेंगे, उस दिन का निर्धारण खुद पूज्य गुरुदेव जी करते हैं। जब तिथि तय हो जाता है तो सोशल मीडिया द्वारा या फिर गुरुदेव के दिव्य दरबार के आखिर में इसकी सूचना भक्त जनों को दे दी जाती है। टोकन लेने के लिए जिस पर्ची को भक्त जमा करता है, उनमें से कुछ पर्चियों को छांट कर फोन के माध्यम से भक्तों से संपर्क किया जाता है। इसका मतलब ये होता है कि बालाजी महाराज की इच्छा और आशीर्वाद से आपका नंबर आ जाता है। इसके लिए कोई भी शुल्क नहीं लिया जाता हैं।
बागेश्वर धाम में अर्जी कैसे लगती है?
बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने की प्रक्रिया बेहद सरल है। करना भी इतना होता है कि आप जब धाम पर आते हैं तो आपको लाल कपड़े में एक नारियल बांध कर धाम परिसर में रखना होता है। हालांकि यहां आप लाल, पीले और काले कपड़े में बंधा नारियल देखेंगे। इसके पीछे की वजह ये है कि अगर आपकी अर्जी सामान्य है तो और लाल कपड़े में नारियल बांधे, अगर शादी-विवाह से जुड़ी अर्जी है तो नारियल को पीले कपड़े में बांधे और अगर अर्जी प्रेत बाधा से जुड़ी है तो नारियल को काले कपड़े में बांधे।
कई बार अपनी कथाओं में भी पूज्य गुरुदेव कहते हैं कि अगर आप धाम आकर ऐसा नहीं कर सकते तो अपने घर में स्थित पूजा स्थल पर आप ऐसा कर सकते हैं। बागेश्वर बालाजी महाराज आपकी अर्जी को अवश्य सुनेंगे।
अनिरुद्ध आचार्य पर कवि कुमार विश्वास की नाराजगी ?
मैं धर्म का सामान्य व अज्ञानी विद्यार्थी हूँ।सनातन भारतीय धार्मिक ग्रंथों में स्त्री का सम्मान परम पर है। विश्व के सबसे प्राचीन ज्ञान वेदों में तो केवल चेतना शक्ति अर्थात् देवि का ही स्तवन है। पर जिन पर हमारे धर्म के प्रसारण की ज़िम्मेदारी है उन्हें तो व्यास-पीठ पर बैठकर कुछ गंभीरता बरतनी चाहिए । मैं कुपात्र तो केवल उद्बोधन पीठ पर बैठकर भी यथासंभव सतर्कता बरतने की चेष्टा करता रहता हूँ ।
मैं धर्म के अधिकारी सज्जनों पर सार्वजनिक टिप्पणी से सदैव बचता हूँ पर ये सब इतनी सारी माताओं व बहनों-बेटियों के सामने ऐसा कैसे बोल लेते हैं ? यानि व्यसनी रावण द्वारा हमारी माता भारतेश्वरी सीता के हरण और लंपट अधम दुशासन द्वारा याज्ञसेनी द्रोपदी के चीर-हरण के लिए वे पापी नहीं बल्कि हमारी माताएँ दोषी थीं ? कैसी प्रचंड मूर्खता है।पर समस्या तो ये है कि आज के हमारे तथाकथित धर्म व संस्कृति रक्षक भी इस सब पर कुछ नहीं बोलेंगें।राजनैतिक पार्टियों की परचमी महिलाएँ भी चुप रह जाएँगीं ,क्यूँकि उनकी भावनायें भी बस अपने विपक्षी राजनैतिक ख़ेमों या दूसरे धर्म के लोगों की टिप्पणियों भर से ही आहत होती हैं 😡
कैसे मिलेगा बागेश्वर धाम में टोकन?
बागेश्वर धाम सरकार के प्रिय भक्तों को टोकन के लिए बागेश्वर धाम सरकार की कमेटी के माध्यम से समय-समय पर टोकन वितरित किए जाते हैं इसके लिए आपको एक पेटी में अपनी निम्न जानकारी लिखकर डाली होती है जो कि इस प्रकार से है अपना नाम, अपने पिता का नाम, अपने गांव का नाम, जिला व राज्य का नाम पिन कोड सहित लिखना होता है यह सब जानकारी एक कागज पर लिखकर बागेश्वर धाम सरकार के परिसर में पेटी रखी होती है उसमें डालना होता है इस पर्ची में साथ में मोबाइल नंबर भी लिखा जाता है क्योंकि जब आपका अर्जी लगाने का नाम आता है तो आपको बागेश्वर धाम कमेटी के माध्यम से सूचित किया जाता है कि आपका टोकन निकला है आपको अमुक तिथि पर बागेश्वर धाम अर्जी लगाने के लिए आना है
इस प्रकार बागेश्वर धाम सरकार में व्यवस्था की जाती है।
करवा चौथ पर बागेश्वर सरकार के विचार :-
करवा चौथ पर्व उत्तरी और पश्चिमी भारत की हिंदू महिलाओं द्वारा कार्तिक महीने में पूर्णिमा (पूर्णिमा) के चौथे दिन मनाया जाने वाला एक त्योहार विशेष है । कई हिंदू त्योहारों की तरह, करवा चौथ का पर्व भी चंद्र- सौर कैलेंडर पर आधारित है, जो सभी खगोलीय स्थितियों, विशेष रूप से चंद्रमा की स्थिति के लिए जिम्मेदार है, जिसका उपयोग महत्वपूर्ण तिथियों की गणना के लिए एक मार्कर के रूप में किया जाता है। यह पर्व कार्तिक महीने में पूर्णिमा के चौथे दिन पड़ता है ।
बागेश्वर सरकार के श्री मुख से कथा आयोजन : पन्ना
अंतर्राष्ट्रीय कथाव्यास और लोकप्रिय युवा संत पं. बागेश्वर सरकार के द्वारा सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार और इसके संरक्षण के लिए एक अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय कथा के दौरान 14 अक्टूबर को दोपहर एक बजे से 4 बजे तक कथा होगी।
इसी तरह अगले दिन 15 अक्टूबर को सुबह 10 बजे से 12 बजे तक दिव्य दरबार एवं दोपहर 1 बजे से 4 बजे तक श्रीराम कथा होगी।
16 अक्टूबर को भी दोपहर 1 से 4 बजे तक रामकथा होगी।इस कथा का सीधा प्रसारण बागेश्वर धाम के YouTube/Facebook पर और इस कथा का विशेष प्रसारण शाम 4 बजे से संस्कार tv पर होगा…आप सभी सादर आमंत्रित है….
वासना की रस्सी खोलनी पड़ेगी?
बागेश्वर धाम सरकार ने आज की कथा में बहुत ही अच्छी बात कही है उन्होंने कहा है कि परमात्मा की प्राप्ति के लिए वासना की रस्सी खोलनी ही पड़ेगी यदि वासना के रस्सी नहीं खोलेंगे तो परमात्मा की प्राप्ति नहीं होगी उन्होंने एक उदाहरण के माध्यम से भी बताया है कि दो दोस्त थे एक का नाम था चंगीलाल। दूसरे का नाम था मंगीलाल।
जंगीलाल और मंगीलाल दोनों ने भांग खाकर रात में नाव के माध्यम से वृंदावन से मथुरा जाने का विचार किया और दोनों दोस्त नाव में बैठकर मथुरा को जाने के लिए प्रस्थान करने लगे। दोनों दोस्तों ने रात भर नाव चलाई।
सुबह हो गया है हम किसी से पूछ लेते हैं कि यह कौन सा शहर आ गया है एक व्यक्ति दिखाई दिया तो चंगीलाल ने पूछा भैया यह कौन सा शहर है वहां से उस व्यक्ति ने जवाब दिया यह वृंदावन है तो चंगीलाल और मंगीलाल परेशान होते हुए सोचने लगे कि हम दोनों कल से नाव चला रहे हैं लेकिन अभी तक वृंदावन से बाहर नहीं निकले क्या कारण हो सकता है तब उन्होंने देखा कि उन्होंने नाव की रस्सी खोलना तो भूल ही गए थे इसलिए वह नाव तो चलाते रहे लेकिन वह अपने स्थान से आगे की ओर अग्रसर नहीं हुई उसी प्रकार हमारी जिंदगी में भी है कि हम ठाकुर की भक्ति में, परमात्मा की भक्ति में लगे हुए रहते हैं लेकिन यदि हमने अपनी वासना की रस्सी को नहीं खोला तो परमात्मा की भक्ति करना सब व्यर्थ हो जाएगा इसलिए हमें सबसे पहले वासना की रस्सी खोलना चाहिए तभी परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है ठाकुर की प्राप्ति हो सकती है।
रावण ने सीता जी का हरण क्यों किया :-
रावण ने सीता जी का हरण क्यों किया था इसके पीछे अनेक कारण हो सकते हैं क्योंकि कारण के बिना कार्य नहीं होता है।
यद्यपि रावण धन, धान्य, बल, सेना, संपत्ति इत्यादि अनेक आधारों पर श्रीराम से अधिक उत्कृष्ट था फिर भी रावण का अंत श्रीराम के माध्यम से हुआ।
जैसा कि कहा जाता है कि विनाश काले विपरीत बुद्धि अर्थात विनाश काल में बुद्धि विपरीत दिशा की ओर प्रवाहित होती है।
वास्तव में रावण के साथ भी यही हुआ था। रावण अपने सभी भाइयों में उत्कृष्ट होने के साथ-साथ सभी भाइयों का सहयोग भी रावण को यथासंभव मिला है फिर भी रावण की दुर्गति हुई है।
रावण अपने राज्य में सबसे न्याय प्रिय तथा लोकप्रिय राजा रहा है लेकिन विनाश काले विपरीत बुद्धि के अनुसार जब रावण का विनाश काल नजदीक आया तो उसकी बुद्धि विपरीत दिशा की ओर प्रवाहित हो गई इसलिए रावण ने सीता का हरण किया और अपने अहंकार के कारण वह सीता को राम के लिए वापस नहीं लौटा रहा था इसलिए राम द्वारा रावण का विनाश हुआ।
इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपनी बुद्धि को धर्म में लगाए रखना चाहिए क्योंकि पता नहीं कब बुद्धि विपरीत हो जाए और विनाश काल हमारे सामने आकर खड़ा हो जाए।
बागेश्वर धाम सरकार के श्री मुख से श्रीराम कथा लंदन में हुई सानंद संपन्न :-
बागेश्वर धाम सरकार के श्री मुख से लंदन में 26 सितंबर से 4 अक्टूबर तक श्री राम कथा का मंगलमय आयोजन किया गया था। जो कि सानंद संपन्न हो गई है।
बागेश्वर धाम सरकार ने भारत से लेकर लंदन तक सनातन संस्कृति का पाठ जन जन को पढ़ाया है तथा समय-समय पर बागेश्वर धाम सरकार ने वर्तमान समय की समस्याओं को लेते हुए उन समस्याओं का समाधान सनातन संस्कृति से निकालते हुए सनातन संस्कृति को अपनाने पर विशेष जोर दिया है।
बागेश्वर धाम सरकार ने कहा कि "धर्म के लिए कोई भाषा का बंधन नहीं कोई संस्कृति का बंधन नहीं।"
लंदन में Lidia Karzewicz बनी बागेश्वर धाम सरकार की सबसे प्यारी बहन:-
बागेश्वर धाम सरकार की ये कुछ तस्वीरें लंदन की है लंदन में सनातन संस्कृति की बयार कैसे बह रही है आप इन तस्वीरों के माध्यम से समझते हैं।
धर्म के लिए कोई भाषा का बंधन नहीं कोई संस्कृति का बंधन नहीं।
लंदन में बागेश्वर धाम सरकार कितने माता के पुत्र समान हो गए कितनों के भाई समान हो गए तथा Lidia Karzewicz तो गुरुदेव की सबसे प्यारी बहन बन गई है।
कथा यजमान किरण बहन तो पूरी कथा तन्मयता से सुनने के साथ गुरुदेव के लंदन में सनातन प्रवाह में अग्रसर हो चुकी है…हज़ारों अंग्रेज़ी सभ्यता वाले गुरुदेव के भदेश अन्दाज़ के मुरीद हो चुके है…अद्भुत है आपकी लीला गुरुदेव…विदेश में भी सनातन का डंका बज रहा है….
बागेश्वर धाम सरकार की कथा में पधारे ब्रिटेन सांसद गौरी थॉमस :-
बागेश्वर धाम सरकार द्वारा लंदन में कथा का बहुत ही अद्भुत तरीके से आयोजन किया गया है जिसका आज पांचवा दिन चल रहा है। लंदन के लोगों को कथा बहुत ही अच्छी लग रही है तथा समस्त लंदन वासी कथा का आनंद ले रहे हैं।
आज ब्रिटेन के माननीय सांसद गौरी थॉमस कथा में पधारे थे उन्होंने भारतीय संस्कृति में अपनी आस्था को व्यक्त किया है तथा बागेश्वर धाम सरकार से आशीर्वाद है प्राप्त किया है
'विदेशी चीतों की भूख मिटाने के लिए परोसे सैकड़ों चीतल और हिरण' पर बागेश्वर धाम सरकार के विचार :-
बागेश्वर धाम सरकार ने बताया कि समाचारों के माध्यम से हमें यह पता लगा है कि इन 8 विदेशी चीतों की भूख मिटाने के लिए आहार के रूप में सैकड़ों चीतल, हिरण तथा अन्य पशु पक्षियों की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।
यह समाचार देश के समस्त हिंदु समाज की भावनाओं को आहत करने वाला है। हमें कोई हक नहीं बनता है कि हम बेजुबान बेगुनाह जीवों को किसी मांसाहारी जीव के सामने आहार के लिए प्रस्तुत करें।
बागेश्वर धाम सरकार ने बताया है कि समाचारों से यह भी पता लगा है कि 'प्रोजेक्ट चीता' के तहत अगले 5 साल में 50 चीतें भारत लाने की योजना पर अभी कार्य चल रहा है।
बागेश्वर धाम सरकार ने यह भी बताया है कि विलुप्त होती चीता की प्रजाति को बचाया जाना चाहिए लेकिन चीतों के लिए चीतल और हिरण परोसने के फैसले को अवैधानिक और संवेदनहीन मानते हुए तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए।