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BJP ने समझौते के नाम पर जैन समाज की पीठ में छुरा घोंपा!

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BJP ने समझौते के नाम पर जैन समाज की पीठ में छुरा घोंपा!

BJP ने समझौते के नाम पर जैन समाज की पीठ में छुरा घोंपा!

कल दिल्ली के अंदर जैन समाज के उद्योगपतियों के साथ केंद्र सरकार के मंत्री भूपेंद्र यादव ने समझौते के नाम पर जैन समाज की पीठ में छुरा मारने का काम किया है जो काम अंग्रेजों ने और मुगलों ने भी नहीं किया था वह बीजेपी की केंद्र सरकार ने अपने अंधभक्त अंध समर्थक जैन समाज के साथ एक कमेटी बनाकर जो पर्वतराज सम्मेद शिखर उसमें दो प्रतिनिधि जैन समाज के और एक प्रतिनिधि आदिवासी समाज से रखा गया है जबकि हमारी जो डिमांड थी वह झारखंड और केंद्र सरकार से थी आदिवासी समाज से हमारा कोई झगड़ा नहीं था लेकिन एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत केंद्र की मोदी सरकार ने हमें उस चौराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है जिस तरह हम गिरनार जी में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं उससे भी बुरा हाल हमारा पर्वतराज सम्मेद शिखर में कल के बाद होने जा रहा है हमारी डिमांड केवल 2 अगस्त 2019 का नोटिफिकेशन नंबर 2795 को वापस लेकर पूरे पर्वतराज सम्मेद शिखर को धार्मिक क्षेत्र घोषित करने की थी लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा ना करके एक कमेटी बनाकर इस मामले को बुरी तरह उलझा दिया है।

                        हजारों साल से जो पर्वतराज सम्मेद शिखर जैन समाज का था और वहां का आदिवासी समाज उस पर अपना दावा ठोकने की कोशिश करता था और वह कभी सफल नहीं होता था लेकिन मोदी सरकार ने कल के षड्यंत्र ने आदिवासी समाज के अंदर खुशियों की लहर दौड़ पड़ी है। केवल एक पत्र झारखंड की सरकार को भेजकर की पर्वतराज सम्मेद शिखर पर अब मदिरा नॉनवेज और लाउडस्पीकर का तेज आवाज में उपयोग नहीं होगा।

                        जबकि इस केंद्र सरकार के पत्र की कोई वैल्यू नहीं है कल के समझौते के बाद सम्मेद शिखर के अंदर कैसे आदिवासी नेता और वहां का समाज खुशियां मना रहा है 

आप झारखंड के प्रमुख समाचार पत्रों की फोटो देखें वे खुश है क्योंकि आदिवासी समाज को बिना मांगे केंद्र की मोदी सरकार ने 33% की भागीदारी दे दी है फिर आप देखकर अंदाजा लगा लेना किस तरह केंद्र की मोदी सरकार ने जैन समाज की आत्मा को कुचलने का काम किया है ।

फिर आप तय कर ले जैन समाज कल के समझौते में हमने क्या पाया है कुछ नहीं पाया सिर्फ खोया है ।

हमें किसी भी कीमत पर यह समझौता नहीं चाहिए हमारी तो सीधी सीधी डिमांड है नोटिफिकेशन रद्द किया जाए और पूरे पर्वतराज को धार्मिक क्षेत्र घोषित किया जाए

मनोज जैन पत्रकार

अब जैन समाज को राज्य और केंद्र की सरकार को अपना अंधा समर्थन देने‌ के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया है। लगता है कि इन दोनों ही सरकारों को जैन समाज की कोई परवाह नहीं है ।

और जैन समाज पर हुए किसी भी आक्रमण से इन दोनों सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ता।

अब समय आ गया है कि अंध भक्ति छोड़ देनी चाहिए।

देश भर के कितने‌ ही जैन अपने को हिंदू कैटेगरी में दर्ज कराते हैं और अपने को हिन्दू मत से अलि नहीं मानते।

लेकिन शायद हिंदू सम्प्रदाय ने जैन समाज को कभी भी अपना नहीं माना। जिस कारण जैनों की जनसंख्या भी कम दिखती है और शायद यही कारण है कि जैन मंदिरों और जैन क्षेत्रों पर direct indirect हमले और अतिक्रमण लगातार हो रहे हैं।

हमले और अतिक्रमण करने वाले ऐसे लोगों पर त्वरित कार्यवाही भी नहीं होती।

जैनों को कानूनी दांव पेचों से उलझाकर‌रखा जाता है। यही कारण है कि कोई भी सरकार, जैनों की बात पर गंभीर नहीं है।

देश की कोर्ट ही ऐसे मामलों का‌ स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और अहिंसक समाज को हिंसा के दलदल से बचाया जा सके।

सरकारें केवल दिखावा करने का ढ़ौंग करती हैं।

इस सरकार ने‌ अपने कार्यकाल में जैन समाज के हित में काम करने की बजाय वह, अहित के कामों का रिकॉर्ड बनाया है।

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