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भारत का फार्मा सेक्टर: क्यों नहीं लगे अमेरिकी टैरिफ जेनेरिक दवाओं पर?

भारत का फार्मा सेक्टर: क्यों नहीं लगे अमेरिकी टैरिफ जेनेरिक दवाओं पर?, Abhay Kumar Jain, अभय कुमार जैन
भारत का फार्मा सेक्टर: क्यों नहीं लगे अमेरिकी टैरिफ जेनेरिक दवाओं पर?

भारत के फार्मा सेक्टर पर 'टैरिफ बम' क्यों नहीं गिरा पा रहे हैं ट्रंप? ये है असली वजह

Tariffs on Pharma Sector | Indian Pharmaceutical Industry | Generic Drug Export | Pharma Market in USA

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लागू किया है, जिससे कुल टैरिफ 50% तक पहुंच गया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि भारत का फार्मा सेक्टर (Pharma Sector in India) इन टैरिफ से पूरी तरह बाहर रखा गया है। यह फैसला सिर्फ आर्थिक दृष्ट‍ि से ही नहीं बल्कि ग्लोबल हेल्थकेयर सिस्टम के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है।

इस आर्टिकल में हम समझेंगे कि आखिर क्यों भारत का फार्मास्युटिकल सेक्टर (Indian Pharmaceutical Sector) अमेरिकी टैरिफ बम से बचा हुआ है, क्या है इसके पीछे का असली कारण, और आने वाले समय में इसका भारतीय अर्थव्यवस्था, निवेशकों और ग्लोबल हेल्थ इंडस्ट्री पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

भारत का फार्मा सेक्टर – दुनिया का जेनेरिक पावरहाउस

  • भारत दुनिया की 80% से अधिक जेनेरिक दवाओं (Generic Medicines Export from India) की सप्लाई करता है।
  • अमेरिका की Affordable Healthcare System में भारतीय दवाओं की भूमिका बेहद अहम है।
  • इंडियन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री सालाना $25 बिलियन से अधिक का निर्यात (Pharma Export from India) करती है, जिसमें से लगभग 35% हिस्सा अमेरिका को जाता है।

जेनेरिक दवाओं का महत्व

अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बेहद ज्यादा है। वहां Generic Medicines की डिमांड लगातार बढ़ रही है क्योंकि ये ब्रांडेड दवाओं की तुलना में 70–90% सस्ती होती हैं। भारत की कंपनियां जैसे:

  • सन फार्मा (Sun Pharma)
  • डॉ. रेड्डीज़ (Dr. Reddy’s Laboratories)
  • सिप्ला (Cipla)
  • लुपिन (Lupin)
  • औरोबिंदो फार्मा (Aurobindo Pharma)

अमेरिकी बाजार में सस्ती और विश्वसनीय दवाएं उपलब्ध कराती हैं।

अमेरिका ने भारतीय फार्मा को टैरिफ से क्यों बचाया?

  1. सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूरी – अगर अमेरिकी सरकार भारतीय जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ लगाती, तो दवाइयों की कीमतें अचानक कई गुना बढ़ जातीं। इससे करोड़ों मरीज प्रभावित होते।
  2. दुनिया का सबसे बड़ा सप्लायर – भारत के अलावा कोई और देश इतनी बड़ी मात्रा में जेनेरिक दवाएं उपलब्ध नहीं करा सकता।
  3. अमेरिकी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का दबाव – हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां चाहती हैं कि दवाओं की कीमतें कम रहें।
  4. स्ट्रैटेजिक पॉलिसी – अमेरिका भी जानता है कि अगर फार्मा सेक्टर पर टैरिफ लगाया गया तो US-India Trade Relations को नुकसान होगा।

इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की राय

इंडियन फार्मास्युटिकल एलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन का कहना है –

“जेनेरिक दवाएं अमेरिका में किफायती हेल्थकेयर देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसी वजह से ट्रंप प्रशासन ने फार्मा सेक्टर को टैरिफ से बाहर रखा है।”

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) की रिपोर्ट बताती है कि:

  • भारतीय जेनेरिक दवाएं लो कॉस्ट – हाई वैल्यू (Low Cost, High Value Pharma Export) मॉडल पर काम करती हैं।
  • पिछले कुछ सालों में अमेरिकी बाजार से भारतीय कंपनियों की आय थोड़ी घटी है, लेकिन Revenue Diversification और Strong Balance Sheet की वजह से इंडस्ट्री सुरक्षित है।

भारतीय फार्मा इंडस्ट्री का भविष्य

1. ग्लोबल मार्केट शेयर में बढ़त

भारत का फार्मा सेक्टर आने वाले 5 सालों में $130 बिलियन इंडस्ट्री बनने की ओर बढ़ रहा है।

2. टेक्नोलॉजी और रिसर्च पर फोकस

AI, मशीन लर्निंग और Biotechnology के बढ़ते उपयोग से भारत नई दवाओं और Specialty Medicines में भी जगह बना रहा है।

3. निवेशकों के लिए गोल्डन चांस

भारतीय फार्मा स्टॉक्स जैसे Sun Pharma, Dr. Reddy’s, Cipla, Divi’s Labs लगातार निवेशकों को मजबूत रिटर्न दे रहे हैं।

निवेशकों के लिए मैसेज

  • लॉन्ग टर्म ग्रोथ – भारतीय फार्मा कंपनियों का बिजनेस मॉडल डाइवर्सिफाइड है, यानी सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं।
  • सुरक्षित निवेश (Safe Investment) – बैलेंस शीट मजबूत है, लिक्विडिटी का कोई बड़ा रिस्क नहीं।
  • ग्लोबल डिमांड – बढ़ती उम्र की आबादी और क्रॉनिक डिजीज की वजह से दवाओं की मांग और बढ़ेगी।

👉 इसलिए, फार्मा सेक्टर आने वाले समय में Best Long-Term Investment Sector in India साबित हो सकता है।

FAQs – भारत का फार्मा सेक्टर और अमेरिकी टैरिफ

Q1. अमेरिकी टैरिफ से भारत के फार्मा सेक्टर को क्यों छूट मिली?
अमेरिका में सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत है और भारतीय जेनेरिक दवाएं इसका अहम हिस्सा हैं। इसीलिए फार्मा इंडस्ट्री को छूट दी गई।

Q2. भारत के कुल फार्मा निर्यात का कितना हिस्सा अमेरिका को जाता है?
लगभग 35% फार्मा एक्सपोर्ट अमेरिका को होता है।

Q3. क्या भविष्य में भारत के फार्मा सेक्टर पर टैरिफ लग सकता है?
एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसकी संभावना बेहद कम है क्योंकि अमेरिका खुद इन दवाओं पर निर्भर है।

Q4. निवेशकों को भारतीय फार्मा कंपनियों में क्यों निवेश करना चाहिए?
क्योंकि यह सेक्टर लगातार ग्रोथ कर रहा है, ग्लोबल डिमांड मजबूत है और कंपनियों की बैलेंस शीट सुरक्षित है।

Q5. भारत के टॉप फार्मा एक्सपोर्टर कौन हैं?
Sun Pharma, Cipla, Dr. Reddy’s, Lupin और Aurobindo Pharma प्रमुख कंपनियां हैं।

निष्कर्ष

भारत का फार्मा सेक्टर सिर्फ एक इंडस्ट्री नहीं, बल्कि ग्लोबल हेल्थकेयर का आधार है। अमेरिकी टैरिफ से छूट मिलना इस बात का सबूत है कि Generic Drug Export from India दुनिया की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए अनिवार्य है।

आने वाले समय में भारत की फार्मा कंपनियां न सिर्फ जेनेरिक बल्कि Specialty Drugs, Biopharma और Research-based Medicines में भी अग्रणी भूमिका निभाएंगी। निवेशकों और पॉलिसी मेकर्स दोनों के लिए यह सेक्टर एक Golden Opportunity है।

Abhay Kumar Jain

Abhay Kumar Jain

Empowering HNIs & Corporates with Tailored Investment Strategies.
Helping Clients with IPOs, Algo Trading & Portfolio Growth.

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