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अक्टूबर 2025 में विदेशी निवेशकों की दमदार वापसी: ₹3,358 करोड़ का निवेश, भारतीय शेयर बाजार में फिर लौटा भरोसा |
विदेशी निवेशकों का भारत पर फिर भरोसा: अक्टूबर में ₹3,300 करोड़ से ज्यादा का निवेश, बाजार में तेजी का संकेत
भारतीय शेयर बाजार के लिए अक्टूबर 2025 का महीना बेहद अहम साबित हो रहा है। फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (एफपीआई) यानी विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक करीब ₹3,358 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया है। यह संकेत देता है कि विदेशी निवेशक एक बार फिर भारतीय बाजार में भरोसा जता रहे हैं।
📊 एफपीआई का रुख फिर हुआ पॉजिटिव
नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL) के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने अक्टूबर में इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और म्यूचुअल फंड जैसे सेगमेंट में निवेश बढ़ाया है। पिछले कुछ महीनों की तुलना में यह एक बड़ा बदलाव है, जब वैश्विक मंदी, ऊंची ब्याज दरों और डॉलर की मजबूती के कारण एफपीआई भारतीय बाजार से पैसा निकाल रहे थे।
अब स्थिति उलटती दिख रही है — विदेशी निवेशक फिर से भारतीय इक्विटी में खरीदारी कर रहे हैं, जिससे बाजार में सकारात्मक भावना (Positive Sentiment) बनी हुई है।
🌏 एफपीआई निवेश बढ़ने के पीछे के प्रमुख कारण
1️⃣ भारत-वैश्विक बाजारों के बीच वैल्यूएशन गैप में कमी
जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी.के. विजयकुमार का कहना है कि भारत और बाकी वैश्विक बाजारों के बीच वैल्यूएशन का अंतर घटा है।
पहले भारतीय शेयर बाजार को अन्य देशों की तुलना में “महंगा” माना जाता था, लेकिन हालिया हफ्तों में यह अंतर कम हुआ है। इससे विदेशी निवेशकों को भारत में आकर्षक वैल्यूएशन मिला है।
2️⃣ भारत की विकास दर और कंपनियों की आय में तेजी
विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2027 तक भारतीय कंपनियों की आय (Corporate Earnings) में मजबूत बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
कम ब्याज दरें, जीएसटी में राहत और स्थिर नीति वातावरण कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी को सपोर्ट कर रहे हैं। यही भरोसा विदेशी निवेशकों को भारत में पैसा लगाने के लिए प्रेरित कर रहा है।
3️⃣ कैश मार्केट में लगातार खरीदारी
10 अक्टूबर को खत्म हुए सप्ताह में एफपीआई ने कैश मार्केट में लगातार चार कारोबारी सत्रों तक खरीदारी की, जिसकी कुल वैल्यू लगभग ₹3,289 करोड़ रही।
यह रुझान बताता है कि विदेशी निवेशक न केवल लंबी अवधि के निवेश के लिए, बल्कि शॉर्ट टर्म ट्रेडिंग के लिए भी भारतीय बाजार पर दांव लगा रहे हैं।
💣 वैश्विक कारक: अमेरिका-चीन तनाव का असर
हालांकि, दुनिया के दो सबसे बड़े आर्थिक देशों — अमेरिका और चीन — के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध ने कुछ हद तक बाजार की धारणा को प्रभावित किया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर आयात शुल्क 100% तक बढ़ाने और कुछ निर्यात पर रोक लगाने की धमकी के बाद वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ गई है।
विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले महीनों में एफपीआई निवेश की दिशा इस बात पर निर्भर करेगी कि यह ट्रेड वार किस दिशा में जाता है।
📈 मोतीलाल ओसवाल का विश्लेषण: बाजार में राहत के संकेत
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के वेल्थ मैनेजमेंट रिसर्च हेड सिद्धार्थ खेमका के अनुसार, पिछले शुक्रवार को निफ्टी 104 अंक की बढ़त के साथ 25,285 के स्तर पर बंद हुआ।
इस तेजी के पीछे कई कारण रहे —
- वैश्विक धारणा में सुधार
- भू-राजनीतिक तनाव में कमी
- इज़राइल-हमास युद्धविराम पर सहमति
- भारत-अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते की उम्मीदें
उन्होंने कहा, “एफपीआई की नई खरीदारी ने भारतीय बाजार में ताजगी लाई है। निवेशकों को भरोसा है कि आने वाले महीनों में आर्थिक वृद्धि और कॉर्पोरेट कमाई में सुधार जारी रहेगा।”
🤝 भारत-यूके साझेदारी ने भी भरोसा बढ़ाया
भारत और ब्रिटेन ने हाल ही में शिक्षा, जलवायु परिवर्तन, रक्षा और क्रिटिकल मिनरल्स जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का ऐलान किया है।
इस कदम से विदेशी निवेशकों के बीच यह संदेश गया कि भारत वैश्विक स्तर पर अपने रणनीतिक रिश्तों को मजबूत कर रहा है — जिससे दीर्घकालिक निवेश के अवसर बढ़ेंगे।
💹 अक्टूबर 2025 में एफपीआई की वापसी का अर्थ
अक्टूबर 2025 में एफपीआई का निवेश भारत के प्रति भरोसे की वापसी को दर्शाता है।
यह निवेश न केवल बाजार को मजबूती दे रहा है, बल्कि घरेलू निवेशकों की भावना को भी बल प्रदान कर रहा है।
अगर अमेरिका-चीन जैसे वैश्विक कारक स्थिर रहते हैं और भारत की GDP Growth उम्मीद के अनुसार बढ़ती रही, तो विशेषज्ञों का मानना है कि FPI inflow आने वाले महीनों में और तेज हो सकता है।
🔮 आगे का रास्ता
- भारत की फाइनेंशियल स्थिरता और सुधारों की रफ्तार विदेशी पूंजी को आकर्षित करती रहेगी।
- डॉलर इंडेक्स और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट से भी एफपीआई प्रवाह को सहारा मिल सकता है।
- अगर विदेशी निवेशक लगातार खरीदारी जारी रखते हैं, तो दिवाली सीजन में बाजार नई ऊंचाइयों को छू सकता है।
❓ 5 FAQs: एफपीआई और अक्टूबर 2025 के निवेश रुझान
1️⃣ एफपीआई क्या है?
एफपीआई (Foreign Portfolio Investor) ऐसे विदेशी निवेशक होते हैं जो भारतीय बाजार में इक्विटी, डेट, या म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय साधनों में निवेश करते हैं।
2️⃣ अक्टूबर 2025 में एफपीआई ने कितना निवेश किया?
अब तक लगभग ₹3,358 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश हुआ है।
3️⃣ एफपीआई निवेश बढ़ने के प्रमुख कारण क्या हैं?
भारत-वैश्विक बाजारों के वैल्यूएशन गैप में कमी, कंपनियों की बढ़ती आय और स्थिर नीतिगत माहौल इसके मुख्य कारण हैं।
4️⃣ एफपीआई निवेश से शेयर बाजार पर क्या असर पड़ा?
बाजार में सकारात्मक भावना लौटी है, निफ्टी और सेंसेक्स दोनों में तेजी देखी गई है।
5️⃣ भविष्य में एफपीआई प्रवाह किन कारकों पर निर्भर करेगा?
अमेरिका-चीन व्यापार विवाद, डॉलर इंडेक्स की चाल और भारत की GDP ग्रोथ एफपीआई के निर्णय को प्रभावित करेंगे।
✅ निष्कर्ष:
अक्टूबर 2025 में विदेशी निवेशकों की वापसी भारतीय बाजार के लिए शुभ संकेत है। यह निवेश केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक विश्वसनीयता और वैश्विक स्तर पर उसके बढ़ते प्रभाव का प्रमाण है। अगर स्थिरता बनी रही, तो आने वाले महीनों में भारतीय शेयर बाजार नई बुल रन (Bull Run) की ओर अग्रसर हो सकता है।