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प्राचीन भारत में जाति और छुआछूत: इतिहास और वास्तविकता

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प्राचीन भारत में जाति और छुआछूत: इतिहास और वास्तविकता

प्राचीन भारत में जाति और छुआछूत: इतिहास और वास्तविकता

प्राचीन भारत में जाति और छुआछूत जैसी सामाजिक भेदभाव व्यवस्थाएँ नहीं थीं। जानिए कैसे योग्यता और कर्म के आधार पर समाज चलता था और अंग्रेजों ने इसे कैसे बदला।

भारत के इतिहास में जाति और छुआछूत जैसी व्यवस्थाओं के बारे में अक्सर गलतफहमियाँ फैली हैं। लेकिन जब हम प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय इतिहास का अध्ययन करते हैं, तो वास्तविक तस्वीर कुछ और ही दिखती है।

वैदिक और प्राचीन काल में समानता

प्राचीन भारत में समाज योग्यता और कर्म के आधार पर चलता था। उदाहरण के लिए:

  • सम्राट शांतनु और भीष्म: भीष्म ने सत्यवती के पुत्र को राजा बनाने के लिए संतानहीन रहने की प्रतिज्ञा ली। जाति भेदभाव के कारण नहीं।
  • महर्षि वेद व्यास: मछवारे परिवार से होने के बावजूद महान ऋषि बने और गुरुकुल चलाया।
  • विदुर: दासी के पुत्र होने के बावजूद हस्तिनापुर के महामंत्री बने और विदुर नीति जैसी अमूल्य ग्रंथ रचना की।
  • भीम और हिडिम्बा: वनवासी हिडिम्बा से विवाह किया, समाज में कोई रोक नहीं थी।
  • श्री कृष्ण और बलराम: दूध और कृषि परिवार से आने के बावजूद भारत के सबसे पूजनीय अवतार बनें।

वर्ण प्रणाली: कर्म और कार्य का विभाजन

वर्ण व्यवस्था जन्म आधारित नहीं, बल्कि कर्म आधारित थी। इसे आज की अर्थव्यवस्था में Division of Labor कहा जा सकता है। समाज में सभी को शिक्षा और पद पाने का अधिकार था।

प्राचीन साम्राज्यों में जाति का प्रभाव

  • नन्द वंश (मगध): नाई जाति से शुरू होकर साम्राज्य पर शासन किया।
  • मौर्य वंश: चन्द्रगुप्त मोर पालक परिवार से थे, ब्राह्मण चाणक्य ने उन्हें सम्राट बनाया।
  • गुप्त वंश: घोड़े पालक परिवार से थे और 140 साल तक देश पर शासन किया।

यह दिखाता है कि प्राचीन भारत में योग्यता ही सत्ता और सम्मान का आधार थी।

मध्यकाल और विदेशी शासन

1100-1750 ईस्वी तक भारत में अधिकतर मुस्लिम आक्रमणकारी और उनके शासन का प्रभाव रहा। इसके बाद मराठों का उदय हुआ, जैसे:

  • बाजी राव पेशवा ने गाय चराने वाले गायकवाड़ को गुजरात का राजा बनाया।
  • चरवाहा जाति के होलकर को मालवा का राजा बनाया।
  • अहिल्या बाई होलकर ने मंदिर और गुरुकुल बनवाए।

मुग़ल और अंग्रेजी काल

मुगल काल में पर्दा, गुलाम प्रथा और बाल विवाह जैसी व्यवस्थाएँ आईं।
लेकिन जातिवाद और छुआछूत का व्यापक रूप अंग्रेजों ने 1800-1947 के बीच “फूट डालो और राज करो” की नीति के तहत बढ़ाया।

  • अधिकारी निकोलस डार्क की किताब “Caste of Mind” में वर्णित है कि कैसे अंग्रेजों ने जातिवाद को बढ़ावा दिया।

महान भारतीय उदाहरण

  • मीरा बाई: राजपूत होने के बावजूद गुरु एक चर्मकार रविदास थे।
  • योगी आदित्यनाथ: ब्राह्मण नहीं, गोरखपुर मंदिर के महंत।
  • उमा भारती: पिछड़ी जाति से, महा मंडलेश्वर बनी।

ये उदाहरण दिखाते हैं कि जन्म आधारित जाति प्राचीन भारतीय समाज में कभी बाधा नहीं थी।

निष्कर्ष

प्राचीन भारत में जाति और छुआछूत जैसी व्यवस्थाएँ सामाजिक नियंत्रण या शोषण का कारण नहीं थीं। ये भ्रांतियाँ और भेदभाव विदेशी शासन और राजनीतिक स्वार्थ के कारण पनपे।

हमारा संदेश:

  • भारतीय होने पर गर्व करें।
  • घृणा, द्वेष और जातिगत भेदभाव से खुद को दूर रखें।
  • योग्यता, कर्म और शिक्षा को सर्वोपरि मानें।

FAQs (Google Snippet के लिए)

Q1: क्या प्राचीन भारत में जाति के आधार पर भेदभाव था?
A1: नहीं, प्राचीन भारत में जाति केवल कर्म और कार्य के आधार पर थी। योग्यता ही समाज में सम्मान और पद तय करती थी।

Q2: महाभारत और रामायण के पात्रों का जाति क्या थी?
A2: पात्रों की जाति समाजिक भूमिका तय करने के लिए नहीं, बल्कि उनके कर्म और योग्यता के आधार पर थी।

Q3: जातिवाद और छुआछूत भारत में कैसे आई?
A3: अंग्रेजों के शासनकाल में “फूट डालो और राज करो” नीति के तहत जातिवाद और छुआछूत का फैलाव हुआ।

Q4: प्राचीन भारत में कौन-कौन सत्ता में आया?
A4: नन्द वंश (नाई जाति), मौर्य वंश (मोर्पालक परिवार), गुप्त वंश (घोड़े पालक) और कई अन्य। सभी योग्यता के आधार पर सत्ता में आए।

Abhay Kumar Jain

Abhay Kumar Jain

Empowering HNIs & Corporates with Tailored Investment Strategies.
Helping Clients with IPOs, Algo Trading & Portfolio Growth.

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