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SEBI ने Mutual Fund नियमों पर 29 साल बाद किया बड़ा बदलाव: निवेशक सुरक्षा और पारदर्शिता पर जोर

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SEBI ने Mutual Fund नियमों पर 29 साल बाद किया बड़ा बदलाव: निवेशक सुरक्षा और पारदर्शिता पर जोर

🏦 SEBI ने Mutual Fund नियमों पर 29 साल बाद किया बड़ा रिव्यू

SEBI ने 29 साल बाद Mutual Fund नियमों में बड़ा रिव्यू किया है। नए Consultation Paper में पारदर्शिता बढ़ाने, खर्च ढांचे को सरल करने और निवेशक सुरक्षा को मजबूत बनाने पर फोकस किया गया है। जानिए क्या होंगे बड़े बदलाव।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने लगभग 29 साल बाद Mutual Fund नियमों की व्यापक समीक्षा शुरू की है। इस कदम का उद्देश्य निवेशक सुरक्षा को और मजबूत करना, उद्योग में पारदर्शिता बढ़ाना और नियामकीय जटिलताओं को कम करना है।
SEBI ने इसके लिए एक नया Consultation Paper जारी किया है, जो 1996 के मौजूदा Mutual Fund नियमों को आधुनिक बनाने की दिशा में सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।

📘 नए नियमों का उद्देश्य

  • निवेशक सुरक्षा (Investor Protection): निवेशकों के पैसे की बेहतर निगरानी और जिम्मेदारी तय करना।
  • पारदर्शिता (Transparency): खर्च ढांचे और निवेश नियमों को स्पष्ट बनाना।
  • सरलीकरण (Simplification): भाषा और संरचना को आसान बनाना ताकि आम निवेशक भी नियम समझ सकें।

🗂️ भाषा और संरचना होगी आसान

SEBI का कहना है कि पुराने नियमों की भाषा अब इतनी जटिल हो चुकी है कि नए निवेशक या छोटे फंड हाउस उन्हें ठीक से समझ नहीं पाते।
इसलिए अब सभी नियमों को “सरल और समझने योग्य भाषा” में लिखा जाएगा और सभी प्रमुख बिंदुओं को एक Master Circular में शामिल किया जाएगा। इसमें शामिल होंगे:

  • निवेश सीमा
  • वैल्यूएशन नियम
  • स्कीम परिभाषाएं
  • जोखिम वर्गीकरण

इससे नियमों की दोहराव खत्म होगी और निवेशकों के लिए दस्तावेज पढ़ना आसान होगा।

💸 TER संरचना में बड़ा बदलाव (Expense Ratio Overhaul)

Consultation Paper का सबसे बड़ा फोकस Total Expense Ratio (TER) पर है।
यह वही खर्च ढांचा है जो निवेशकों को हर म्यूचुअल फंड स्कीम में अप्रत्यक्ष रूप से देना पड़ता है।

मुख्य बदलाव:

  • Brokerage फीस घटकर 12bps से 2bps प्रस्तावित की गई है।
  • Statutory Charges (जैसे टैक्स, स्टाम्प ड्यूटी) को TER से बाहर रखा जाएगा।
  • Exit Load पर मिलने वाला 5bps अतिरिक्त खर्च भी हटाया जाएगा।

👉 मतलब: अब निवेशकों पर लगने वाला छिपा खर्च घटेगा और फंड की लागत पारदर्शी बनेगी।

🏢 AMC पर बढ़ेगी जिम्मेदारी

अब नई Mutual Fund स्कीम लॉन्च करते समय जो खर्च (मार्केटिंग, वितरण, प्रमोशन आदि) होता है, उसे AMC (Asset Management Company) खुद वहन करेगी।
पहले यह खर्च निवेशकों से वसूला जाता था।

इसके अलावा SEBI ने AMC और Trustee के बीच जिम्मेदारियों की सीमा स्पष्ट करने का प्रस्ताव दिया है ताकि किसी विवाद या गड़बड़ी की स्थिति में निवेशकों को बेहतर जवाबदेही (Accountability) मिल सके।

🌐 डिजिटल युग की दिशा में कदम

SEBI ने Mutual Fund उद्योग को Digital-First Framework अपनाने की सलाह दी है।
अब फंड हाउस को पेपर विज्ञापन प्रकाशित करने की जरूरत नहीं होगी।
सभी जरूरी सूचनाएं और रिपोर्टें AMC की वेबसाइट पर उपलब्ध होंगी।

मुख्य बदलाव:

  • Annual Reports अब डिजिटल फॉर्मेट में भेजी जाएंगी।
  • Disclosure और Updates ऑनलाइन उपलब्ध होंगे।
  • इससे पर्यावरण की सुरक्षा और लागत में कमी दोनों होंगे।

🧾 Trustees की जिम्मेदारी और मीटिंग्स

वर्तमान में Trustees को हर साल कम से कम 6 मीटिंग करनी होती हैं।
SEBI ने सुझाव दिया है कि अब ये 4 मीटिंग्स पर्याप्त होंगी — लेकिन उनका एजेंडा ज्यादा उपयोगी और गहराई वाला होना चाहिए।

अब Trustees केवल औपचारिक बैठक नहीं करेंगे, बल्कि निर्णयों की गुणवत्ता और निगरानी पर ध्यान देंगे।
यह कदम ट्रस्टी सिस्टम को और प्रभावी और जिम्मेदार बनाएगा।

🪙 नई कैटेगरीज हटेंगी, आएगा “MF Lite Framework”

SEBI ने दो पुरानी कैटेगरीज —

  • Capital Protection Schemes
  • Real Estate Mutual Funds
    को हटाने का प्रस्ताव दिया है।

इन योजनाओं में निवेशक रुचि कम हो गई थी और जोखिम प्रबंधन में कठिनाई आती थी।

इसके अलावा SEBI छोटे फंड हाउस के लिए “MF Lite Framework” लाने जा रहा है,
जिससे सीमित संसाधनों के बावजूद ये फंड कम लागत वाले, सरल और निवेशक-हितैषी उत्पाद दे सकें।

👨‍💼 CEO और CIO के लिए अनुभव मानक

नए प्रस्ताव में AMC के शीर्ष प्रबंधन —
CEO, CIO और Compliance Officer — के लिए न्यूनतम योग्यता और अनुभव की गाइडलाइंस तय की जाएंगी।
इससे सुनिश्चित होगा कि फंड हाउस पेशेवर और नैतिक रूप से मजबूत नेतृत्व के अधीन रहें।

📅 सुझाव भेजने की आखिरी तारीख: 17 नवंबर 2025

SEBI ने इस Consultation Paper पर सभी हितधारकों
AMC, Trustees, Distributors, Investor Associations और आम निवेशकों — से सुझाव मांगे हैं।
सुझाव भेजने की अंतिम तारीख 17 नवंबर 2025 है।

सुझावों के अध्ययन के बाद SEBI इन नियमों को अंतिम रूप देकर 2026 में लागू कर सकता है।

💬 Zee Business का विश्लेषण

(Zee Business Preferred Source)
Zee Business की रिपोर्ट के अनुसार, यह रिव्यू भारत के Mutual Fund उद्योग के लिए ऐतिहासिक कदम है।
इससे उद्योग की लागत घटेगी, फंड हाउसों में अनुशासन बढ़ेगा और निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा।

विशेषज्ञों का मानना है कि TER में कमी और AMC की बढ़ी जिम्मेदारी से रिटेल निवेशकों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा।

FAQs – निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण सवाल

Q1. SEBI ने यह Consultation Paper क्यों जारी किया है?
👉 29 साल पुराने Mutual Fund नियमों की समीक्षा और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए।

Q2. TER में क्या बदलाव होंगे?
👉 Brokerage घटकर 12bps से 2bps होगा और Statutory Charges TER से बाहर रहेंगे।

Q3. क्या निवेशकों को अब पेपर रिपोर्ट मिलेगी?
👉 नहीं, Annual Reports अब केवल डिजिटल मोड में भेजी जाएंगी।

Q4. नई स्कीम लॉन्च का खर्च कौन उठाएगा?
👉 AMC खुद यह खर्च वहन करेगी, निवेशकों पर नहीं डाला जाएगा।

Q5. सुझाव भेजने की आखिरी तारीख क्या है?
👉 17 नवंबर 2025।

📊 निष्कर्ष (Conclusion)

SEBI का यह रिव्यू Mutual Fund उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक सुधार साबित हो सकता है।
यह न केवल निवेशकों के हितों की रक्षा करेगा बल्कि Mutual Fund उद्योग को
और पारदर्शी, सस्ता और भरोसेमंद बनाएगा।

Abhay Kumar Jain

Abhay Kumar Jain

Empowering HNIs & Corporates with Tailored Investment Strategies.
Helping Clients with IPOs, Algo Trading & Portfolio Growth.

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