तेरा नाम इश्क़ By Ajay Singh Rana - Tera Naam Ishq Book Review & Summary in hindi |
तेरा नाम इश्क उपन्यास की समीक्षा - Tera Naam Ishq Book Review :-
एक समय की बात है, जब कश्मीर में आतंकवाद, राष्ट्रवाद, धर्मवाद और जातिवाद की जड़े बहुत गहराई से कश्मीर के माहौल में घुल चुकी थी, और कभी कभी वहां की आवाम अपने ही भारतीय जवानों पर पत्थरबाजी करते हुए नजर आ रहे हैं, उसी पृष्ठभूमि पर तेरा नाम इश्क नामक उपन्यास की नींव रखी गई है।
प्रस्तुत उपन्यास की कहानी साहिल और नेहा के इर्द गिर्द घूमती है अर्थात् उक्त उपन्यास में साहिल और नेहा की एक प्रेम कथा है जिसमें विरह -वेदना ,त्याग, समर्पण एवं एकांगी प्रेम का अनूठा द्वंद्व चित्रित किया गया है ।
राष्ट्रवाद, दोस्ती और प्रेम पर लिखी यह एक अद्भुत प्रेम कहानी है, जिसका आधार कथानक की मेहनत और शोध का ही परिणाम है।
तेरा नाम इश्क नामक उपन्यास की संपूर्ण कहानी अध्यायों में विभाजित है प्रत्येक अध्याय का शीर्षक अपने आप में एक सुंदर कविता है, जो कि इस उपन्यास को रोचक और रोमांच युक्त बनाती है।
पहला अध्याय हमारा ध्यान आकर्षित करता है और कहानी खत्म होने तक हमें मंत्रमुग्ध और दिलचस्पी बनाए रखता है।
तेरा नाम इश्क नामक उपन्यास को कथानक ने फिल्मी अंदाज में प्रस्तुत करने की कोशिश की है और वे इस में पूर्णतया सफल भी रहे हैं।
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तेरा नाम इश्क नामक उपन्यास में जहां भी जो भी विषय उठाया गया है, उस विषय में लेखक ने अपने विचारों को भी प्रस्तुत किया है, जो कि इस उपन्यास को उच्च कोटि का उपन्यास बनाता है।
कथानक को हिंदी साहित्य के अलावा ऐतिहासिक भौगोलिक आदि का भी बहुत ही शानदार ज्ञान है, जिसका जीवंत प्रमाण इस उपन्यास में देखने को मिलता है।
कथानक ने उपन्यास में इस प्रकार की भाषा का प्रयोग किया है, कि संपूर्ण उपन्यास जीवंत सा प्रतीत होने लगा है।
तेरा नाम इश्क़ में प्रेम के कई सुनहरे अध्याय साथ खुलते हैं। इसमें अपने देश, अपने वतन के प्रति मर मिटने की भावना लिए उफनता, लहराता प्रेम है।
माँ और बच्चों के मध्य का स्वाभाविक प्रेम है,
मित्रों का टूटकर किया जाने वाला और दोस्ती के नाम सब कुछ क़ुर्बान कर देने वाला प्रेम भी मौजूद है।
पर इन सब पक्षों को साथ लेते हुए मूलतः यह साहिल और नेहा के पवित्र प्रेम की कथा है।
प्रेम के परिदृश्य में लवलीन यह उपन्यास कई पारिवारिक मुद्दों को भी व्यवस्थित तरीके से उभरता हुआ चलता है। अपने अधूरे स्वप्न को पूर्ण करने के प्रयास में माता-पिता कैसे अपने बच्चों की उम्मीदों और इच्छाओं पर पानी फेर देते हैं या फिर उनका अति व्यस्त जीवन उन्हें अपने परिवार से कितना दूर कर देता है समाज का यह दृश्य भी इस उपन्यास में बखूबी तरीके से उकेरा गया है।
यह उपन्यास वर्तमान समय में धर्म के दुरुपयोग, दिग्भ्रमित युवा एवं स्वार्थ से वशीभूत राजनीतिक साँठगाँठ की ओर भी इंगित करता चलता है।
1984 के दंगों का ज़िक्र भी जैसे पुराने ज़ख्मों को उघाड़कर रख देता है। सच भी है, बम कहीं भी फटे, शहर कोई भी हो; पीड़ा आम इंसानों के हिस्से ही आती है तथा अपनों को सदा के लिए खो देने का दर्द भी उम्र भर उसे ही झेलना होता है। सरकारें आश्वासन देती हैं और इंसानी जान की क़ीमत का मुआवज़ा भरने का हुक़्म भी; लेकिन दर्द को समूल नष्ट करने के इरादे कभी मजबूत नज़र नहीं आते।
भले ही नेहा को नेह और साहिल को साहिल नहीं मिलता है और न ही आशीष को दैविक आशीष सीधे शब्दों में कहूं तो इस प्रेम कथा का दुखद अंत होता है।
तेरा नाम इश्क उपन्यास का सारांश - Summary of Tera Naam Ishq Book :-
तेरा नाम इश्क नामक उपन्यास की कहानी की यात्रा कश्मीर के मीर गांव से प्रारंभ होती है और वहां से चलकर चंडीगढ़, मुंबई, दिल्ली, कानपुर, जयपुर और मंडी होती हुई फिर कश्मीर के उसी मीर गांव में पूर्ण हो जाती है। यह संपूर्ण क्रम कहानी को और अधिक रोचक और रोमांच युक्त बनाता है।
गद्य में पद्य का प्रयोग करना कथानक की अनूठी विशेषता रही है। मूलतः यह एक प्रेम कथा है जिसमें विरह -वेदना ,त्याग, समर्पण एवं एकांगी प्रेम का अनूठा द्वंद्व चित्रित किया गया है ।
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आशीष ने अपने किरदार के माध्यम से 'दोस्त' शब्द को बहुत ही अच्छी तरह से बखूबी परिभाषित किया है अर्थात् कहने का मतलब यह है, कि आशीष का किरदार कहो या फिर 'दोस्त' शब्द का अर्थ कहो दोनों एकार्थ वाची हो गए है।
आशीष जैसे दोस्त बहुत कम हुआ करते हैं, जो अपने इश्क को दबाते हुए अपने दोस्ती को बुलंदी तक पहुंचाते हैं इस कारण मुझे आशीष का किरदार बहुत ही पसंद आया ।
आखिर क्यों पढ़ें 'तेरा नाम इश्क़' :-
तेरा नाम इश्क़ नामक उपन्यास को पढ़ने में हमारी रुचि का कारण इस उपन्यास का title ही रहा है, जिसने मुझे तेरा नाम इश्क़ नामक उपन्यास को पढ़ने के लिए बहुत ही आंदोलित किया है।
तेरा नाम इश्क नामक उपन्यास का अंत तो बहुत ही शानदार और रोमांच युक्त लिखा गया है जिस दृश्य में दोस्ती को बुलंदी तक पहुंचाया गया है मुझे इस उपन्यास का यह अंश बहुत ही रोमांटिक लगा है वाकई में इस उपन्यास में उच्च कोटि का लेखन किया गया है जो कि भाषा और साहित्य प्रेमियों को यह उपन्यास जरूर पढ़ना चाहिए।
नेहा, साहिल से मिल पाती है, कि नहीं..... यह एक सवाल है और जिसका जवाब इस उपन्यास के गर्त में छिपा हुआ है।
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लेखक :- अजय सिंह राणा, चंडीगढ़
प्रकाशन :- सृष्टि प्रकाशन, चंडीगढ़