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जैनों की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है : भरत जैन

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जैनों की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है : भरत जैन

जैनों की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है : भरत जैन

शहर के जेएसपी ग्रुप ऑफ कम्पनी के भरत जैन का मानना है कि आने वाले 20 वर्षों में जैनों के घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे। भाई, भाभी, देवर, देवरानी, जेठ, जेठानी, काका, काकी सहित अनेक रिश्ते जैनों के घरों से समाप्त हो जाएंगे। बस ढाई-तीन लोगों के परिवार ही बचेंगे। न हिम्मत देने वाला बड़ा भाई होगा, न तेज तर्राट छोटा भाई होगा, न घर में भाभी होगी, न कोई छोटा देवर होगा, बहू भी अकेली होगी, न उसकी कोई देवरानी होगी, न जेठानी। कुल मिलाकर इस एक बच्चा फैशन और सिर्फ मैं मैं की मूर्खता के कारण जैन परिवार खत्म होते जा रहे हैं। दो भाई वाले परिवार भी अब आखरी स्टेज पर हैं। अब भरे पूरे परिवार असम्भव हो चले हैं। पहले कच्चे घरों में भी बड़े परिवार रह लेते थे, अब बड़े बंगलों में भी दो-तीन लोग रहने का फैशन चल पड़ा है। यह सोचकर मन दुखी होता है। यह एक विकट समस्या है। हम जैनों को ईमानदारी से इस दिशा में सोचना चाहिए। इस चुनौतीपूर्ण सदी में हम एक बच्चे को कहां तक संबल प्रदान करते रहेंगे? उसमें हिम्मत कौन भरेगा? बिना भाइयों के कंधे पर हाथ कौन रखेगा? जैनों की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है। जैनों को अपना ट्रेंड परिवर्तन करना होगा। बच्चों की शादी की उम्र 20 से 24 तक निश्चित करें। कामयाब बनाने के चक्कर में 28 से 32 वर्ष तक खींच रहे हैं। इतने में एक पीढ़ी का अंतर हो जाता है। आपकी कामयाबी के समय में सामने वाला बीस का आंकड़ा पार कर देता है। यह एक सोचनीय विषय है।

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