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सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के खिलाफ जैन समाज के लोग राजवाड़ा पर जुटे |
सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के खिलाफ जैन समाज के लोग राजवाड़ा पर जुटे:-
11 रविवार को छुट्टी के दिन राजवाड़ा पर सन्नाटे की बजाय मुंडियां नजर आ रही थीं। हाथ में विरोध की पट्टी, जैन धर्म की पताका और बाजू में काली पट्टी बांधकर जैन समाज के लोगों ने आज सुबह राजवाड़ा से विरोध जुलूस निकाला। इनकी नाराजगी सम्मेदशिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने को लेकर थी।
राजवाड़ा पर जैन समाज के सारे संगठन के लोग, महिला-पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हुए। सुबह 10
बजे से जुलूस निकालने का ऐलान किया गया था। जिसके लिए समाजजन जुट गए थे। राजवाड़ा से शुरू हुआ कारवां कृष्णपुरा पुल तक खचाखच भरा था। विरोध के लिए महिलाएं आगे खड़ी थीं। सभी को एक साथ जमाकर पैदल चलना शुरू हुआ।
जो तख्तियां लिए जैन समाज के लोग चल रहे थे। उस पर अपनी बात लिखकर आक्रोश जता रहे थे। पर्वतराज से पेड़ों का अवैध कटान पत्थरों का अवैध खनन और महुआ के लिए आग लगाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए सम्मेदशिखर को बचाने की अपील की गई। साथ ही पारसनाथ पर्वतराज और मधुवन को मांस- मंदिरा मुक्त, जैन तीर्थ का ऐलान करने की मांग की गई। जुलूस की शुरुआत मौन रहकर की गई।
जैन समाज के सारे संगठन इस विरोध जुलूस में कदमताल करते दिखे। इन लोगों का गुस्सा था कि झारखंड में सम्मेदशिखर को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है। जिससे सम्पूर्ण जैन समाज में नाराजगी है विरोध इंदौर ही नहीं, आज देशभर में हो रहा है। मौन जुलूस के जरिए अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए तख्तियां लिए हम निकले हैं।
जुलूस साढ़े दस बजे राजवाड़ा से निकला कतार इतनी लंबी थी कि एक सिरा कृष्णपुरा पुल तो दूसरा राजवाड़ा पर खत्म हो रहा था।
रिटायर्ड जज जेके जैन का कहना है कि जैनियों का महातीर्थ सम्मेद शिखर आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। यहां से जैन समाज के बीस तीर्थंकर और कई मुनिराज मोक्ष गए है। हजारों लोग यहां पहुंचकर धर्म साधना करते है। पर्यटन स्थल बनाने से विलासिता बढ़ेगी। मांसाहार होगा। मुनि आदित्य सागरजी महाराज ने कहा कि हम अहिंसक हैं, पर कायर नहीं। सरकार इस बेतुके निर्णय को वापस ले। यदि समाज के प्रयासों से बात नहीं बनती तो साधु भी सड़क पर उतरेंगे।
फैसला नहीं बदला तो संत भी लड़ेंगे!
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