![]() |
आखिर Silicon Valley Bank क्यों डूबा, क्या इंडिया में भी बैंकों पर मंडरा रहा खतरा? |
आखिर Silicon Valley Bank क्यों डूबा, क्या इंडिया में भी बैंकों पर मंडरा रहा खतरा?
हालांकि दिसंबर, 2022 के अंत में Silicon Valley Bank के पास 209 अरब डॉलर का एसेट था। फिर, कुछ ही महीनों में इस बैंक की हालत इतनी बिगड़ गई कि यह दिवालिया हो गया। इसका कैश बैलेंस निगेटिव हो गया है। इसके कई डिपॉजिटर्स (depositors) के पैसे को इंश्योरेंस (insurance) कवर हासिल नहीं है।
Silicon Valley Bank के डूबने की खबरें लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं। हालांकि सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) अमेरिकी बैंक है, लेकिन इसकी खबरें दुनियाभर में पढ़ी जा रही हैं। भारत में भी इस बैंक को लेकर खूब चर्चा हो रही है। कई लोगों को 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (global financial crisis) की याद आ रही है। इससे इनवेस्टर्स के बीच डर का माहौल पैदा हो गया है। इंडिया में भी बैंकों में डिपॉजिट रखने वाले लोग थोड़ा डरे हुए हैं। वे जानना चाहते हैं कि क्या SVB के डूबने का असर इंडिया बैंकों पर पड़ सकता है? आखिर SVB क्यों डूब गया? इसके डूबने से सबसे ज्यादा असर किस पर पड़ेगा? SVB के डिपॉजिटर्स के पैसे का क्या होगा? SVB के डूबने को स्टार्टअप्स के लिए बड़ा झटका क्यों माना जा रहा है? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं।
बॉन्ड में निवेश से SVB को कितना लॉस?
सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) ने 8 मार्च (बुधवार) को बताया था कि उसने 21 अरब डॉलर के बॉन्ड बेच दिए हैं। इससे उसे 1.18 अरब डॉलर का लॉस हुआ है। उसने यह भी कहा कि वह पूंजी जुटाने की कोशिश कर रहा है। बैंक के इस ऐलान के बाद इसके डिपॉजिटर्स डर गए। उन्होंने बैंक से अपने डिपॉजिट निकालने शुरू कर दिए। बैंक की शाखाओं के बाहर इसके ग्राहकों की लाइन लग गई। डिपॉजिटर्स को लगा कि सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) में उनका पैसा सुरक्षित नहीं है। ज्यादा नुकसान की स्थिति में उनका डिपॉजिट भी डूब सकता है। इसलिए डिपॉजिटर्स ने अपने पैसों को निकालने की कोशिश की। जिससे सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) के हालात और बेकार होने लगें।
क्यों डूबा बैंक?
दुनियाभर के केंद्रीय बैंक बढ़ती महंगाई (rising inflation) पर लगाम लगाने के लिए ब्याज दरों में लगातार बढ़ोतरी करते जा रहे हैं। अमेरिका में केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व भी ब्याज दरों में इजाफा कर रहा है। 2023 में फेडरल रिजर्व बैंक ने टेक कंपनियों (tech companies) के लिए ब्याज दर बढ़ा दी। इसके चलते टेक कंपनियों (tech companies) को काफी नुकसान हुआ और फंडिंग में कमी आई। इसलिए कंपनियों (tech companies) ने बैंकों से अपने पैसे निकालने लगीं। इसके अलावा, ब्याज दरें बढ़ने से बैंक के बॉन्ड्स की वैल्यू घटने लगी। इसके चलते सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) को पूरा लिक्विड बॉन्ड पोर्टफोलियो नुकसान पर बेचना पड़ा। इसमें बैंक को 1.8 अरब डॉलर का घाटा हुआ।
शेयरों के भाव में आई कितनी गिरावट?
सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) की वित्तीय स्थिति खराब को लेकर तरह-तरह की चर्चा शुरू हो गई। इसका असर इसके शेयरों की कीमतों पर भी पड़ा। इसके शेयर के प्राइस 60 फीसदी से ज्यादा टूट गए। जिसके कारण शेयर मार्केट में अफरा-तफरी मच गई। इसका असर दूसरे बैंकों के शेयरों के प्राइसेज पर भी पड़ा। कुछ एक्सपर्ट्स ने यहा तक कहा कि बैंकिंग सिस्टम (Banking System) के लिए यह बहुत बड़ा झटका है, लेकिन यह तय है कि 2008 की फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद यह अमेरिका में किसी बड़े बैंक के डूबने की सबसे बड़ी घटना है।
बेलेंसशीट निगेटिव होने का क्या मतलब?
Silicon Valley Bank ने 9 मार्च को रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया कि उसका केश बेलेंस (Cash Balance) निगेटिव हो गया है। इसका मतलब यह है कि उसके पास जितने पैसे हैं, उससे ज्यादा उस पर देनदारी है। Silicon Valley Bank ने 95.8 करोड़ डॉलर निगेटिव कैश की जानकारी रेगुलेटर को दी। हालांकि, Silicon Valley Bank ने यह कहा कि कुल वित्तीय स्थिति खराब नहीं है, लेकिन इनवेस्टर्स और डिपॉजिटर्स ने करीब 42 अरब डॉलर के डिपोजिट निकाल लिए। इससे बैंक का वजूद खतरे में पड़ गया। और Silicon Valley Bank दिवालिया घोषित हो गया।
10 मार्च को किसने किया, SVB को बंद करने का ऐलान?
Federal Deposit Insurance Corporation (FDIC) ने 10 मार्च को ऐलान किया कि केलिफोर्निया डिपार्टमेंट ऑफ प्रोटेक्शन एंड इनोवेशन ने Silicon Valley Bank को बंद करने का फैसला लिया है। FDIC ने इसे रिसीवर नियुक्त किया था। FDIC ने ऐसी सभी ग्राहक जिनके डिपॉजिट का बीमा है, उन्हें बताया है कि 13 मार्च तक उन्हें अपने अकाउंट का पूरा एक्सेस हासिल होगा। लेकिन, इसमें पेंच यह है कि डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर की सीमा 1.50,000 डॉलर है। इसका मतलब है कि इससे ज्यादा डिपोजिट रखने वाले ग्राहकों को लॉस होगा।
डिपॉजिटर्स के पैसे का क्या होगा?
सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) के ऐसे ग्राहक काफी डरे हुए हैं, जिनके डिपॉजिट का कोई बीमा नहीं है। कई डिपॉजिटर्स को यह पता नहीं है कि उनके डिपोजिट का बीमा है या नहीं? इस बीच रेगुलेटर्स की तरफ से ऐसे ग्राहकों को एक टोल-फ्री नंबर पर कॉल करने को कहा गया है। अब FDIC सिलिकॉन वैली बैंक के एसेट्स को बेचेंगी। इससे मिलने वाले पैसे से उन डिपॉजिटर्स को पैसे लौटाए जाएंगे जिनके डिपॉजिट का इंश्योरेंस नहीं है।
कब हुई थी सिलिकॉन वैली बैंक की शुरुआत?
Silicon Valley Bank की शुरुआत 1983 में हुई थी। यह ज्यादातर टेक्नोलॉजी (टेक्नोलॉजी) से जुड़े स्टार्टअप्स को बेकिंग सेवाएं देता था। अमेरिका में वेंचर फंडों की मदद से ऑपरेट करने वाले टेक्नोलॉजी और हेल्थ केयर कंपनियों में से करीब 50 फीसदी की फाइनेंसिंग SVB करता था। इसलिए ये स्टार्टअप्स अपने पैसे इसी बैंक में रखना पसंद करते थे। यह अमेरिका का 15वां सबसे बड़ा बैंक था। साल 2022 के अंत में इसका एसेट्स करीब 209 अरब डॉलर था। लेकिन अब सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) दिवालिया हो गया है।
क्या दूसरे बैंकों के भी डूबने का खतरा है?
Pershing Square Capital Management के सीईओ Bil Ackman ने एक बयान दिया है, जो डर पैदा करता है। यह बयान सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Banik) के ध्वस्त हो जाने के बाद आया है। Bil Ackman ने कुछ और बैंकों के डूबने की आशंका जताई है। उन्होंने कहा है कि अमेरिकी अथॉरिटीज के हस्तक्षेप के बावजूद कुछ और बैंकों के डूबने की आशंका है। हालांकि अमेरिकी अधोरिटीज सिलिकॉन वैली क्राइसिस के बाद बैंकिंग सिस्टम (Banking System) में इनवेस्टर्स का भरोसा बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
क्या इंडिया में भी बैंकों पर मंडरा रहा खतरा?
स्टेकहोल्डर इम्पावरमेंट सर्विसेज के जोएन गुप्ता ने बताया है कि "जहां तक इंडियन बैंकिंग सेक्टर का संबंध है तो सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) के डूबने का इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेडिंग रेशियो के मामले में इंडियन बैंक्स अभी बहुत सेक्योर स्थिति में हैं। इकिटी मार्केट्स की बात करें तो इसका मामूली असर होगा दुनिया में अगर कुछ बड़ा होता है तो इसका असर हर मार्केट पर पड़ता है।"
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने बताया है कि "इसका हमारे बैंकिंग सेक्टर पर असर पड़ने की संभावना नहीं है। इसकी वजह यह है कि हमारा बैंकिंग सिस्टम बहुत बड़ा है और इसका इस तरह का एक्सपोजर भी नहीं है। यहां मसला यह है कि स्टार्टअप्स की तरफ से डिपोजिट आया था और शॉर्टफॉल की वजह से बैंक को अपने सिक्योरिटीज बेचने पड़े, जिससे इसकी वैल्यू में गिरावट आई। हमारे यहां ऐसी स्थिति नहीं है। सिलिकॉन वैली बैंक (Silicon Valley Bank) इतना छोटा बैंक है कि इसके डूबने का ज्यादा असर अमेरिकी बैंकिंग सेक्टर पर भी नहीं पड़ेगा। रेगुलेटर इस मामले को देख रहा है।