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EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में हुई बहस, क्या EWS रिजर्वेशन रद्द हो सकता है? |
EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में हुई बहस, क्या EWS रिजर्वेशन रद्द हो सकता है?
शिक्षा एवं सरकारी नौकरी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को 10% EWS रिजर्वेशन मिलना चाहिए या फिर नहीं? वर्तमान समय में यह विषय बहस का कारण बना हुआ है। 13 सितंबर, 14 सितंबर और 15 सितंबर को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस हुई है। जिस दौरान संविधान, जाति, सामाजिक न्याय जैसे शब्दों का भी जिक्र किया गया है।
इस लेख के माध्यम से हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट में चली बहस में न्यायाधीशों का क्या दृष्टिकोण रहा है। उन्हीं दृष्टिकोण को यहां पेश किया जा रहा है..
सुप्रीम कोर्ट में 13 सितंबर को हुई सुनवाई के आधार पर :-
एडवोकेट मोहन गोपाल का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि सामाजिक और आर्थिक रूप से जो वास्तव में पिछड़े हैं, उन्हें EWS आरक्षण से दूर रखा गया है। ऐसे में EWS आरक्षण समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, जो संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ है।
एडवोकेट मीनाक्षी अरोड़ा का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि ऐतिहासिक रूप से जिन वर्गों के साथ अन्याय हुआ है, उन्हें मेन स्ट्रीम में लाने के लिए आरक्षण की व्यवस्था लाई जानी चाहिए। EWS आरक्षण को केवल आर्थिक आधार पर नहीं दिया जा सकता है। आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण की गरीबी मिटाने के लिए आरक्षण की जरूरत नहीं है, बल्कि पैसा देकर भी उनकी समस्या का समाधान किया जा सकता है। जो कि उचित भी हैं।
एडवोकेट संजय पारीख का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि पिछड़े, दलित और आदिवासी समुदाय के गरीबों को EWS आरक्षण से अलग रखना संविधान में दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है।
एडवोकेट मोहन गोपाल का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि EWS आरक्षण का लाभ पाने की सीमा 8 लाख रुपए सालाना कमाई तक है। यानी, इसका लाभ उन्हें मिलेगा जिनकी मासिक आय 66 हजार रुपए तक है। देश के ज्यादातर परिवारों की मासिक आय 25 हजार है। इससे साफ होता है कि इसका लाभ पाने वाले वर्ग की आर्थिक स्थिति दूसरे वर्गों से बेहतर है।
सुप्रीम कोर्ट में 14 सितंबर को हुई सुनवाई के आधार पर :-
सीनियर एडवोकेट पी विल्सन का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि विलियम ए ने कहा था कि शेर और बैल के लिए एक तरह का कानून बनाना भी उत्पीड़न ही है। SC, ST, OBC को छोड़ उच्च जातियों को EWS आरक्षण देने के बारे में भी मैं यही कहना चाहता हूं।
चीफ जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि मिस्टर विल्सन हम सिर्फ पैराग्राफ नहीं, बल्कि आपके विचार चाहते हैं।
सीनियर एडवोकेट पी विल्सन का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि वर्तमान समय में समाज में जातिगत भेदभाव मौजूद है। इसके लिए मैं एकलव्य और महाभारत का जिक्र नहीं करना चाहता। देश के राष्ट्रपति को मंदिर में घुसने से रोक दिया गया, इससे जाहिर होता है कि वर्तमान समय में समाज में भेदभाव मौजूद है। आरक्षण ही केवल इस ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने की दवा है।
प्रोफेसर रवि वर्मा कुमार का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि सिर्फ इसलिए कि मैं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में पैदा हुआ हूं। मुझे EWS माने जाने से अयोग्य ठहराया जा रहा है। 10% आरक्षण मेरी उस जाति की निंदा करता है जिसमें मैं पैदा हुआ हूं। ऐसे में अनुच्छेद 19 के तहत समान अवसर के मौलिक अधिकार और अनुच्छेद 19 के तहत किसी विशेष जाति से जुड़े होने के मेरे अधिकार से मुझे वंचित कर दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में 15 सितंबर को हुई सुनवाई के आधार पर :-
एडवोकेट शादान फरासत का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि किसानों के खाते में 6,000 रुपए भेजना सरकार की सकारात्मक पहल का आधार हो सकता है, लेकिन आरक्षण को सरकार की सकारात्मक पहल का आधार कहना सही नहीं हो सकता है। आरक्षण हर समस्या का समाधान नहीं है। आरक्षण केवल समाज के सामाजिक और शैक्षणिक तौर पर पिछड़े लोगों को समाज की मुख्यधारा यानी मेन स्ट्रीम में लाने का एक जरिया है।
एडवोकेट के एस चौहान का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में 8 जनवरी को और राज्यसभा में 9 जनवरी को पारित हुआ था। मुझे इस पर कोई बहस होती नहीं दिखी। संसद में बिना ज्यादा बहस के कानून पारित किए जा रहे हैं।
चीफ जस्टिस यूयू ललित का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि जब हम यह जानते हैं कि विधायिका के कामों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते, तो फिर इस पर चर्चा और बहस क्यों कर रहे हैं?
जस्टिस एस रवींद्र भट का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि हम इस बारे में और ज्यादा बात करेंगे, तो हम अपनी ही ऊर्जा बर्बाद कर रहे होंगे।
एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि मैं EWS आरक्षण के मुद्दे पर युवा, समानता और स्वतंत्र समूह की वकालत कर रहा हूं, जो जाति आधारित रिजर्वेशन के खिलाफ हो।
चीफ जस्टिस यूयू ललित का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि मैंने तो अब तक नहीं सुना कि अगड़ी जाति का कोई व्यक्ति EWS आरक्षण का विरोध कर रहा है।
एडवोकेट यादव नरेंद्र सिंह का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि हमारे देश में 70% लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। ऐसे में कुछ लोगों को EWS आरक्षण मिलना ठीक नहीं है। वैकल्पिक रूप से EWS आरक्षण तो BPL कैटेगरी के लोगों को दिया जाना चाहिए क्योंकि हमारे पास उनका सही डेटा भी है।
एडवोकेट दिव्या कुमार का EWS आरक्षण के बारे में कहना है कि आरक्षण का गरीबी खत्म करने से कोई लेना-देना नहीं है बल्कि यह पिछड़े वर्गों के उत्पीड़न को कम करने का एक जरिया है। समाज में समानता लाने के लिए पिछड़ों को सरकारी नौकरी में रिजर्वेशन दिया जाता है, जिससे उनका प्रतिनिधित्व और भागीदारी बढ़े।
केंद्र सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में अभी EWS आरक्षण के बारे में पक्ष रखा जाना बाकी है। हालांकि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने कहा है कि सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संविधान के अनुच्छेद 46 के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा करें।
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