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संस्कार का महत्त्व |
संस्कार का महत्त्व
आज का युग विज्ञान का युग है, आज के समय में संस्कार का महत्त्व उतना ही है, जितना की जीने में ऑक्सीजन का। Technology का प्रयोग करके हम अपने जीवन को सरल बना सकते है, लेकिन संस्कार के महत्त्व को समझकर हम अपने जीवन को मज़बूत बना सकते है फैसला आपके हाथ में है ? आज के समय में संस्कार के महत्त्व को गौण करके Technology को ज्यादा महत्त्व दिया जा रहा है।
Technology ने हमें चारों ओर से घेर लिया है, हमारा कोई भी काम Technology के बिना नहीं होता है या फिर हम यह भी कह सकते हैं , कि हम कोई भी काम Technology के बिना करना ही नहीं चाहते। क्योंकि Technology ने हमें आसान बना दिया अर्थात Technology ने हमारे जीवन को आसान बना दिया है। लेकिन हमारे विचारों पर और हमारे संस्कारों पर बहुत विपरीत और गंभीर प्रभाव पड़ा है, जिसके कारण हमारी विचारधारा बदल गई है ।
संस्कार का महत्त्व:-
हमारी विचारधारा दो प्रमुख कारणों से बदल गई है, जो इस प्रकार है-
1. एक तो आधुनिक Technology का अंधाधुन विकास होना।
2. अंधाधुन पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करना।
जिसके कारण हमारी भारतीय संस्कृति की विचारधारा मुरझा सी गई है।
हमारे पूर्वजों ने अपनी भारतीय संस्कृति की ध्वजा हमारे हाथों में सौंपी थी, कि हम उसका विकास कर सकें, उन्नति कर सकें, लेकिन आज हमने अपनी भारतीय संस्कृति की डोर छोड़ दी है।
हमारे पूर्वजों ने भारतीय संस्कृति को अपनाया था, उनके पास क्या कमी थी ? संस्कार थे,उन्नति थी, और अपने अनुसार विकास भी था, लेकिन आज हमने अपनी भारतीय संस्कृति को छोड़ दिया है। जिसके कारण हमारे पास आज है भी क्या ? मात्र विकास?
आज के समय में देखा जाए तो व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति ही तो सुधरी है, अर्थात विकास ही तो हुआ है। लेकिन उन्नति उनकी उसी समय रुक गई थी, जिस समय उन्होंने भारतीय संस्कृति को छोड़ा था।
भारतीय संस्कृति को छोड़ने से नुकसान निम्न हुए है :-
1. आज के मनुष्य विचारों के हीन हो गए है।
2. संबंधों से हीन हो गए है।
3. आज हर कोई स्वार्थी बन गया है। मात्र उसका एक ही कारण है अपनी भारतीय संस्कृति को छोड़ने से व्यक्ति स्वार्थी हुआ है
वर्तमान समय विकास का समय है, हर कोई विकास चाहता है, विकास चाहता है, मात्र विकास ही चाहता है लेकिन यह नहीं जानता ? कि जो विकास उन्नति के बिना होता है,वह विकास नही, बल्कि दीर्घकालीन विनाश होता है।
यदि हम वास्तव में अपना विकास और उन्नति चाहते हैं, तो हमें भारतीय संस्कृति को अपनाना ही होगा, क्योंकि वही हमें विकास और उन्नति प्रदान करेगी।
इंसान और पशुओं में जो शरीर की बनावट का अंतर है, वह तो स्थूल अंतर है । लेकिन जो इंसान और पशुओं की विचारधाराओं में अंतर है , वह सूक्ष्म अंतर है, उसी अंतर के कारण इंसान को इंसान कहा जाता है । और पशु को पशु कहा जाता है, और जो इंसान इस सूक्ष्म अंतर पर खरा नहीं उतरता है, उस इंसान को लोग व्यवहार में पशु भी कह दिया जाता है। जो कि उचित ही है।
आज का व्यक्ति बिना उन्नति के जितना अधिक विकास की ओर बढ़ रहा है , उतना ही अधिक तेजी से विनाश की ओर बढ़ रहा है,मात्र नजरिए का अंतर है।
यदि हम वास्तव में अपना विकास और उन्नति करना चाहते हैं, तो हमें भारतीय संस्कृति को अपनाना ही होगा।
भारतीय संस्कृति को अपनाने के लिए हमें सर्वप्रथम जरूरत पड़ेगी संस्कार की, जो हमें माता पिता से मुफ्त में नसीब हो जाया करते है, और भी कई कारण है जिन्हें जानना जरूरी ही नहीं ,बल्कि अनिवार्य है ,और वो इसलिए क्योंकि हमें संस्कारी जो होना है।
तो आइए हम देखते हैं कि
आज के बच्चे असंस्कारी क्यों होते जा रहे हैं?
उनमें संस्कार हीनता कैसे आई ?
क्या हम भी संस्कार हीन तो नहीं ?
इत्यादि अनेक प्रश्नों को लेते हुए आइए हम देखते हैं संस्कार! !! !!!
संस्कार:-
संस्कार के इर्द गिर्द भले ही धूम लो, यदि संस्कार शब्द का अर्थ ही नहीं जानेंगे तो सब व्यर्थ है। तो सबसे पहले हम संस्कार शब्द की व्युत्पत्ति परक अर्थ देखते हैं ।
संस्कार - (सम् )उपसर्ग पूर्वक +(सुट्)प्रत्यय करके+(कृ)धातु होने पर +(घञ्)प्रत्यय लगाकर संस्कार शब्द की व्युत्पत्ति होती है ।
किसी वस्तु को परिमार्जित करना संस्कार है।
हमारे जीवन में संस्कार का विशेष महत्व रहा है, इनका उद्देश्य शरीर, मन और मस्तिष्क की शुद्धि और उनको बलवान करना है, जिससे मनुष्य समाज में अपनी भूमिका आदर्श रूप मे निभा सके।
संस्कार का अर्थ होता है-परिमार्जन-शुद्धीकरण।
आज के समय में संस्कार का बहुत ही महत्त्व है, क्योंकि आज का समाज जिन हालातों से गुजर रहा है, उस समाज को संभालने के लिए संस्कार ही एक महत्वपूर्ण और उपर्युक्त कारण बन सकता है, जिनके कारण समाज को एक नई दिशा प्रदान की जा सकती है।
जिस प्रकार पानी के बिना कोई भी इंसान जीवित नहीं रह सकता, उसी प्रकार संस्कार के बिना इंसानियत जीवित नहीं रह सकती।
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आज भी हर भारतीय के दिल और दिमाग में भारतीय संस्कृति का कोई ना कोई अंश अवश्य जिंदा है, क्योंकि आज भी अन्य देशों में भारतीयों की मांग है और आज भी अनेक देशों में उच्च पदों पर भारतीय विराजमान है और भविष्य में भी अन्य देशों के उच्च पद पर भारतीय ही विराजमान होगें।
इसका यह कारण बिल्कुल भी मत समझना, कि भारतीयों के पास टैलेंट है क्योंकि टैलेंट तो अन्य देशों के भी पास है,लेकिन फिर भी अन्य देशों में भारतीयों को ही क्यों उच्च पदों की प्राप्ति होती है, इसका एक मात्र महत्त्वपूर्ण कारण हमारी भारतीय संस्कृति है, क्योंकि हमारी भारतीय संस्कृति में ही संस्कारों को विशेष महत्व दिया गया है, जिसके कारण हर भारतीय या फिर हर संस्कारी भारतीय हर देश में सम्मान प्राप्त करता है, जो कि उसका अधिकार भी है।
भारतीय संस्कृति ने संस्कारों पर विशेष महत्व दिया है, इसलिए आज अन्य देशों के विशिष्ट पदों पर भारतीय विराजमान हैं,आइए हम इसे एक उदाहरण के माध्यम से देखते हैं।
दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति बिल गेट्स जिसका नाम तो आप सभी ने सुना ही होगा, दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति है, जो चाहे तो बड़ी से बड़ी कंपनी को कुछ ही मिनिटों में खरीद सकता है, आपको क्या यह जानकारी है, कि उसका जो मुख्य कार्यकारी अधिकारी सत्यनारायण नडेला है, वह एक भारतीय है, क्या कारण था कि बिल गेट्स जैसे सबसे अमीर व्यक्ति को एक भारतीय की आवशकता पड़ी, क्या अमेरिका में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है, जो बिल गेट्स का मुख्य कार्यकारी अधिकारी बन सकता था? नहीं, बिल्कुल नहीं।
संस्कार किसी व्यक्ति को जमीन से आसमान में भी ले जा सकता है और संस्कार हीन व्यक्ति को जमीन पर गिरा सकता है यह संस्कार की ही ताकत है।
संस्कार करता है,कहता नहीं। आइए हम इसे ध्यान से देखते हैं संस्कार करता है,कहता नहीं, इसे एक उदाहरण के माध्यम से देखते हैं
इस समय की बात है। दादाजी बैठे हुए थे, उनके सामने उनके नाती पोता भी खेल रहे थे, कुछ समय बाद दादा जी को प्यास लगी और उन्होंने
अपने एक नाती से कहा -
बेटा मुझे प्यास लगी है, अंदर से पानी लेते आना।
बेटा बोलता है-
जी दादा जी, बेटा फिर अपने खेल में फिर मस्त हो गया।
दादाजी ने फिर थोड़ी देर बाद कहा -
बेटा मुझे प्यास लगी है, पानी लेते आना।
बेटा ने फिर से कहा -
जी दादा जी,
दादा जी समझ रहे थे, शायद बेटा ने ध्यान से सुना नहीं है, इसलिए दादाजी फिर से बोले -
बेटा मुझे प्यास लगी है, अंदर से पानी लेते आना।
बेटा फिर बोलता है-
जी दादा जी मैंने सुन लिया है
इतने मैं दूसरा बेटा अंदर से पानी लाकर,
गिलास में देते हुए बोलता है दादाजी पानी।
अब मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि दोनों में से संस्कारी कौन सा बेटा है?
ध्यान रखिए, आपके माता पिता ने आपसे कोई काम करने के लिए कहा और आपने उस काम को कर दिया उसे संस्कार नहीं कहते हैं, बल्कि संस्कार उसे कहते हैं जिस काम को आपके माता पिता कर रहे हैं और उस काम को देख कर आपके मन में जो अपनत्व की भावना पैदा होती है या फिर कहें कि बिना प्रयोजन से दूसरों की सहायता करने की जो भावना पैदा होती है उसे संस्कार कहा जाता है।
जन्म लेते समय हर बालक नादान होता है,
लेकिन संस्कार ही उसे महान बना देता है।
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आइए हम कुछ उन समस्याओं के आधार पर संस्कार के महत्व को देखते हैं, जो समस्या है आज एक परिवार की नहीं,एक देश की नहीं, बल्कि संपूर्ण दुनिया की बनी हुई है।
आतंकवाद की समस्या:-
आतंकवाद की समस्या का जन्म संस्कार की हीनता के कारण ही हुआ है, क्योंकि आज आप खुद महसूस कर सकते हैं, कि दुनिया में जितने भी आतंकवादी है, उनमें से नब्बे प्रतिशत आतंकवादियों को बचपन से ही माता-पिता का सर पर हाथ नहीं मिला, साफ-साफ शब्दों में हम आपसे कह सकते हैं, कि बचपन से ही आतंकवादियों को 'संस्कार' शब्द का ज्ञान नहीं हुआ तो संस्कार की नींव कैसे पढ़ती ?
स्वच्छ वातावरण की समस्या:-
वर्तमान समय में संस्कार हीन होने के कारण वातावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है, जो कि आप देख ही सकते हैं, हमारी भारतीय संस्कृति में वृक्षों को देवता के आवास का स्थान माना जाता था, लेकिन अभी वर्तमान समय में संस्कार हीन होने के कारण वृक्षों की अंधाधुन तरीकों से कटाई हो रही है, जिसके कारण हमारे वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ा है, और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती जा रही है।
बलात्कार की समस्या:-
वर्तमान समय में संस्कार हीन होने के कारण दिन-पे-दिन बलात्कारों की संख्या बढ़ती जा रही है। हमारी भारतीय संस्कृति में हर एक पर्व का अपना विशेष योगदान रहा है या फिर कह सकते हैं भारतीय संस्कृति के हर पर्व का विशेष महत्व है हमारी भारतीय संस्कृति में रक्षाबंधन, दीपावली, होली, दशहरा जैसे अनेक पर्व है, जो हमें अनेक प्रकार से शिक्षित करते हैं, प्रशिक्षित करते हैं हम अपनी भारतीय संस्कृति के इन पर्वों के महत्त्व को भूलते जा रहे हैं, जिसके कारण हमारे संस्कार हीन होते जा रहे हैं और बलात्कारों की संख्या दिन-पे-दिन बढ़ती जा रही हैं।
गौ हत्या की समस्या:-
वर्तमान समय में संस्कार हीन होने के कारण से गौ हत्या में भी विशेष रूप से वृद्धि हुई है, जिसे हम वर्तमान में देख सकते हैं, हमारी भारतीय संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है, लेकिन वर्तमान समय में अपनी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं और चंद पैसों के लिए हम अपनी भारतीय संस्कृति की बलि चढ़ा रहे हैं।
और भ्रष्टाचार जैसी अनेक समस्याएं भारतीय संस्कृति को अपने जीवन से हटाने के कारण से ही पैदा हुई है, यदि हम चाहते हैं कि इन समस्याओं का जड़ से ही अभाव किया जाना चाहिए, तो हमें फिर से अपनी भारतीय संस्कृति को अपनाना ही होगा।
संस्कार से लाभ:-
अभी हमनें अनेक विषयों के माध्यम से संस्कार की विस्तार से चर्चा की है, अब हम संस्कार से होने वाले अनेक लाभों को देखते हैं
संस्कार एक, फायदे अनेक
आइए हम देखते हैं,
संस्कार होने पर व्यक्ति के पास क्या क्या गुण होते हैं:-
1.आदर्श व्यक्तित्व का धनी होना।
2.समाज में उच्च सम्मान प्राप्त होना।
3.सदाचारमय जीवन होना।
4.संस्कार से कुल का उत्थान होता है एवं असंस्कार से कुल का नाश होता है।
5.संस्कारी पुरुष का हर क्षेत्र में सम्मान होता है और असंस्कारी पुरुष का हर क्षेत्र में अपमान होता है।
6.संस्कार जीवन संभालने की कुंजी है, जो हर वक्त व्यक्ति को सचेत करती रहती है।
7.संस्कारवान व्यक्ति एक खुली किताब की तरह होता है, जिसे हर एक व्यक्ति बिना किसी हिचकिचाहट के पड़ सकता है, तो असंस्कारी व्यक्ति एक गुमनाम किताब की तरह होता है।
8.संस्कारी व्यक्ति के दिमाग पर किसी भी प्रकार का बोझा नहीं रहता है।
9.जहां संस्कार होता है,वहां तनाव नहीं होता अर्थात् जीवन की सभी समस्याएं संस्कार के आधार से आसान हो जाती है।
10.संस्कार जीवन रूपी वृक्ष की वह मजबूत शाखा है,जिस पर सहनशीलता धैर्यता उदारता गंभीरता आत्मविश्वास शालीनता विनम्रता इत्यादि अनेक गुण रूपी फल लगें होते हैं।
11.प्रत्येक व्यक्ति की सफलता के पीछे उत्तम संस्कारों का ही योगदान होता है, जिसकी नींव माता-पिता के आधार से स्थापित होती है।
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