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EWS आरक्षण जारी रहेगा, 5 में से 3 जजों ने EWS आरक्षण की दी स्वीकृति

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EWS आरक्षण जारी रहेगा, 5 में से 3 जजों ने EWS आरक्षण की दी स्वीकृति

EWS आरक्षण जारी रहेगा, 5 में से 3 जजों ने EWS आरक्षण की दी स्वीकृति :-

आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुहर लगा दी है। EWS आरक्षण के जरिए सामान्य वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा तथा सरकारी नौकरी में 10% का आरक्षण प्राप्त होगा।

EWS आरक्षण पर फैसला सुनाने में चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत सुप्रीम कोर्ट के 5 जज शामिल थे। जिसमें से 3 जजों ने इकोनॉमिकली वीकर सेक्शंस (EWS) रिजर्वेशन पर सरकार के फैसले को संवैधानिक ढांचे का उल्लंघन करने वाला नहीं माना है अर्थात् EWS आरक्षण जारी रहेगा।

EWS आरक्षण की शुरुआत कब तथा कैसे हुई :-

2019 के लोकसभा के चुनाव से पहले एनडीए सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों के लिए आर्थिक आधार पर शिक्षा तथा सरकारी नौकरी में 10% का आरक्षण दिया था। इसके लिए भारतीय संविधान में 103 वां संशोधन किया गया था।

भारतीय संविधान के हिसाब से आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए‌। वर्तमान समय में देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है वह 50% सीमा के भीतर ही आता है।

केंद्र सरकार के EWS आरक्षण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं दर्ज हुई थी। याचिकाओं के आधार पर EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। सुप्रीम कोर्ट ने EWS आरक्षण पर 27 सितंबर को अपना फैसला देना सुरक्षित रखा था।

EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला :-

CJI यूयू ललित, जस्टिस बेला त्रिवेदी, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस रवींद्र भट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने EWS आरक्षण पर फैसला सुनाया।

चीफ जस्टिस और जस्टिस भट EWS आरक्षण के खिलाफ रहे, जबकि जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने EWS आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया।

EWS आरक्षण के पक्ष में तीन जजों का फैसला :-

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी : EWS आरक्षण

जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने EWS आरक्षण के बारे में कहा कि केवल आर्थिक आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण भारतीय संविधान के मूल ढांचे और समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। भारतीय संविधान के अनुसार आरक्षण 50% से ज्यादा नहीं होना चाहिए इसलिए आरक्षण भारतीय संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है। और 50% आरक्षण की सीमा अपरिवर्तनशील नहीं है।

जस्टिस बेला त्रिवेदी : EWS आरक्षण

जस्टिस बेला त्रिवेदी ने EWS आरक्षण के बारे में कहा कि मैं जस्टिस दिनेश माहेश्वरी से पूर्णतया सहमत हूं और मैं यह मानती हूं कि EWS आरक्षण भारतीय संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन नहीं करता है और ना ही यह किसी तरह का पक्षपात है। यह बदलाव आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मदद पहुंचाने के तौर पर ही देखना चाहिए, इसे अनुचित नहीं कहा जा सकता है।

जस्टिस पारदीवाला : EWS आरक्षण

जस्टिस पारदीवाला ने EWS आरक्षण के बारे में कहा कि मैं जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस बेला त्रिवेदी से सहमत हूं, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि आरक्षण का अंत नहीं है इसे अनन्त काल तक जारी नहीं रखना चाहिए। वरना यह आरक्षण निजी स्वार्थ में तब्दील हो जाएगा। आरक्षण सामाजिक और आर्थिक असमानता खत्म करने के लिए है आरक्षण का अभियान 7 दशक पहले शुरू हुआ था डेवलपमेंट और एजुकेशन ने सामाजिक और आर्थिक असमानता की खाई को कम करने का काम किया है।

EWS आरक्षण के विपक्ष में दो जजों का फैसला :-

जस्टिस रवींद्र भट : EWS आरक्षण

जस्टिस रवींद्र भट ने EWS आरक्षण के बारे में कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर तथा गरीबी झेलने वाले को सरकार आरक्षण दे सकती है और ऐसे में आर्थिक आधार पर आरक्षण देना अवैध नहीं है। लेकिन EWS आरक्षण से SC-ST और OBC को बाहर किया जाना असंवैधानिक है। मैं यहां स्वामी विवेकानंदजी की बात याद दिलाना चाहूंगा कि भाईचारे का मकसद समाज के हर सदस्य की चेतना को जगाना है। ऐसी प्रगति बंटवारे से नहीं, बल्कि एकता से हासिल की जा सकती है। ऐसे में EWS आरक्षण केवल भेदभाव और पक्षपात को जन्म देता है। समानता की भावना को खत्म करता है। इसलिए मैं EWS आरक्षण को गलत मानता हूं।

चीफ जस्टिस यूयू ललित : EWS आरक्षण

चीफ जस्टिस यूयू ललित ने EWS आरक्षण के बारे में कहा कि मैं जस्टिस रवींद्र भट के विचारों से पूरी तरह से सहमत हूं।

EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला :-

सामान्य वर्ग के गरीबों को दिया जाने वाला EWS आरक्षण जारी रहेगा। जिसके अंतर्गत सामान्य वर्ग के गरीब लोग शिक्षा तथा सरकारी नौकरी में 10% का आरक्षण प्राप्त कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों में से 3 जजों ने EWS आरक्षण को स्वीकृति दी है। इसलिए EWS आरक्षण जारी रहेगा।

EWS आरक्षण को जारी रखने के लिए केंद्र सरकार की दलील :-

EWS आरक्षण को जारी रखने के लिए केंद्र सरकार की दलील थी कि हमने 50% का बैरियर नहीं तो रहा है। केंद्र सरकार की ओर से पेश तत्कालीन अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुनवाई के दौरान कहा था कि आरक्षण के 50% बैरियर को सरकार ने नहीं तोड़ा।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1992 में फैसला दिया था कि 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए ताकि बाकी 50% जगह सामान्य वर्ग के लोगों के लिए बची रहे। यह आरक्षण 50% में आने वाले सामान्य वर्ग के लोगों के लिए ही है। यह बाकी के 50% वाले ब्लॉक को डिस्टर्ब नहीं करता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम निर्णय अपने पास रखा :-

5 जजों के बेंच ने EWS आरक्षण के मामले पर साढ़े छह दिन तक सुनवाई की। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। फिर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को EWS आरक्षण पर फैसला देते हुए कहा कि EWS आरक्षण जारी रहेगा। जिसके माध्यम से सामान्य वर्ग के गरीब लोग शिक्षा तथा सरकारी नौकरी में 10% का आरक्षण प्राप्त कर सकेंगे।

कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत :-

कांग्रेस पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के EWS आरक्षण पर दिए गए फैसले का स्वागत किया है।

कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट के 103 वें संवैधानिक संशोधन को बरकरार रखने के फैसले का स्वागत करती है।

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