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Supertech Twin Tower Demolition |
दिल्ली में स्थित देश के संसद भवन से मात्र 25 किलोमीटर की दूर नोएडा में स्थित थे सुपरटेक के ट्विन टावर।
अब नहीं रहा सुपरटेक का गगनचुंबी ट्विन टावर क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार सुपरटेक के ट्विन टावर को जमींदोज करने के लिए 3700 किलोग्राम बारूद का इस्तेमाल किया गया।
103 और 97 मीटर ऊंचे टावर देश में पहली बार गिराया गया।
सुपरटेक के ट्विन टावर के मलबे से होगी करोड़ों की कमाई क्योंकि यह इमारतें हजारों टन स्टील से बनी हुई थी।
नोएडा में जहां सुपरटेक का ट्विन टावर खड़ा था उसके आसपास छोटी-बड़ी कुल मिलाकर 6 सोसाइटी हैं इन 6 सोसाइटी में लगभग 3 हजार से अधिक फ्लैट हैं।
रविवार यानी 28 अगस्त 2022 को दोपहर ठीक 2.30 बजे नोएडा के सेक्टर 93-A स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को जमींदोज कर दिया गया।
29 और 32 मंजिला ये गगनचुंबी इमारतें क्षण भर में ही भरभरा कर मिट्टी में मिल गईं। थोड़ी देर पहले जहां बिल्डर कंपनी सुपरटेक की गगनचुंबी इमारतें थी, वहां अब मात्र मलबे का ढेर है, ब्लास्ट के बाद धुएं का जबरदस्त गुबार उठा। बताया जा रहा है कि करीब 300 मीटर की ऊंचाई तक धूल का गुबार रहा तथा दो घंटे तक धूल का गुबार हवा में रहा।
आसपास की सोसाइटी के लोगों को पहले ही वहां से सरकार द्वारा हटाया जा चुका था तथा सुरक्षा की दृष्टि से 3 अस्पताल भी अलर्ट पर रखे गए थे।
लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस इमारत को गिराने में भी करोड़ों रुपये खर्च हुए हैं।
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सुपरटेक के ट्विन टावर के बारे में निम्न बिंदुओं के माध्यम से समझते हैं...
ट्विन टावर कितने मंजिला था
कुतुब मीनार से भी बड़े थे सुपरटेक के ट्विन टावर
ट्विन टावर को बनाने में कितनी लगी थी लागत?
ट्विन टावर को गिराने में कितनी लगी थी लागत?
ट्विन टावर के मलवा को बेचकर कितने की होगी कमाई?
ट्विन टावर्स के आसपास के हालात
ट्विन टॉवर्स के कितने फ्लैट हो चुके थे बुक
ट्विन टॉवर्स के कई ग्राहकों (फ्लैट को खरीदने वालों) को अभी तक नहीं मिला रिफंड
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ट्विन टावर को क्यों गिराया गया :-
इलाहाबाद के हाई कोर्ट का फैसला बिल्डर कंपनी सुपरटेक के खिलाफ था इसलिए बिल्डर कंपनी सुपरटेक ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस को ले गया।
लंबी प्रक्रिया से गुजरने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार ट्विन टावर को गिराने का आदेश सुनाया गया इसलिए सरकार द्वारा ट्विन टावर को गिराया गया।
जिसका खर्च बिल्डर कंपनी सुपरटेक को देने का आदेश दिया।
ट्विन टावर कितने मंजिला था ?
और दूसरे का नाम था एपेक्स। जो कि 32 मंजिला था।
कुतुब मीनार से भी बड़े थे सुपरटेक के ट्विन टावर :-
ट्विन टावर की ऊंचाई कुतुब मीनार से भी ऊंची थी क्योंकि कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है जबकि ट्विन टावर की ऊंचाई 103 मीटर तथा 97 मीटर थी।
ट्विन टावर को बनाने में कितनी लगी थी लागत?
ट्विन टावर को बनाने में लगभग 200 से 300 करोड़ रुपये का खर्चा आया था जिसमें 4,000 टन स्टील भी शामिल है।
ट्विन टावर को गिराने में कितनी लगी थी लागत?
टावर को ध्वस्त करने की लागत लगभग 267 रुपये प्रति वर्ग फुट बताई जा रही है इस हिसाब से 7.5 लाख वर्ग फुट के निर्माण को गिराने की लागत लगभग 20 करोड़ रुपये होती है इसमें बारूद (विस्फोटक) की कीमत भी शामिल है।
ट्विन टावर के मलवा को बेचकर कितने की होगी कमाई?
ट्विन टावर के मलबे के वजन का गणित इस प्रकार से लगाया गया है कि 4,000 टन स्टील सहित मलबे का वजन लगभग 55,000 टन होगा।
ट्विन टावर्स के आसपास के हालात :-
नोएडा में जहां ट्विन टॉवर्स खड़े हुए थे उसके आसपास छोटी बड़ी कुल मिलाकर 6 सोसाइटी है इन 6 सोसाइटी में लगभग 3000 से ज्यादा फ्लैट है।
ट्विन टॉवर्स के कितने फ्लैट हो चुके थे बुक :-
मार्केट या बुकिंग वैल्यू + इंटरेस्ट की कीमत बराबर प्रॉपर्टी दी गई है, विल्डर ने प्रॉपर्टी की कीमत कम या ज्यादा होने पर पैसा रिफंड किया या अतिरिक्त रकम ली। जिन लोगों को बदले में सस्ती प्रॉपर्टी दी गई उनमें सभी को अभी तक बाकी अमाउंट नहीं मिला है।
ट्विन टॉवर्स के कई ग्राहकों (फ्लैट को खरीदने वालों) को अभी तक नहीं मिला रिफंड :-
ट्विन टॉवर्स के 59 ग्राहकों को अभी तक नहीं मिला रिफंड। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिफंड की अंतिम तारीख 31 मार्च 2022 दी गई थी।ट्विन टॉवर्स में कुल 950 फ्लैट्स बनाए गए थे फ्लैट्स को बनाने में सुपरटेक ने लगभग 200 से 300 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिराने का आदेश जारी होने से पहले फ्लैट्स की मार्केट वैल्यू बढ़कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी।