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New Education system : NEP 2020 |
New Education system : NEP 2020 :-
दुनिया में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है सफलता को प्राप्त करने का सबसे सरलतम उपाय है शिक्षा। कहने का मतलब यह है कि व्यक्ति शिक्षा के माध्यम से सफलता को आसानी से प्राप्त कर सकता है इसलिए भारतीय संविधान के नीति निदेशक तत्वों में कहा गया है कि 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों के लिए अनिवार्य तथा निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए 1948 में डॉक्टर राधाकृष्णन की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय शिक्षा आयोग का गठन किया गया था। तभी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति का निर्वाण होना भी शुरू हो गया था।
कोठारी आयोग (1964-1966) की सिफारिशों पर आधारित 1968 में भारत में पहली बार शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव वाला प्रस्ताव इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में पारित किया गया था। इसे प्रथम शिक्षा नीति के नाम से जाना जाता है।
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अगस्त 1985 में "शिक्षा की चुनौती" नामक एक दस्तावेज तैयार किया गया। जिसमें भारत के विभिन्न वर्गो जैसे कि बौद्धिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यवसायिक तथा प्रशासनिक आदि ने शिक्षा के संबंध में अपनी टिप्पणियां दी और भारत सरकार ने 1986 में "नई शिक्षा नीति 1986" का प्रारूप तैयार किया।
इस शिक्षा नीति की सर्वाधिक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी। कि इसमें संपूर्ण देश के लिए एक समान शैक्षणिक ढांचे को स्वीकार किया गया था इसे राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में जारी किया गया था। इस शिक्षा नीति में 1992 में कुछ संशोधन किया गया था। इस शिक्षा नीति को द्वितीय शिक्षा नीति के नाम से जाना जाता है।
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के आम चुनाव में पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में भारत में एक नवीन शिक्षा नीति बनाने का विषय शामिल था। जिसके अंतर्गत 2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति के लिए जनता से सुझाव तथा सलाह मांगना शुरू कर दिया था।
तथा देश भर की अधिकांश शैक्षणिक संस्थाओं के साथ वार्तालाप भी किया गया था।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित ऑनलाइन सभा में 7 अगस्त 2020 को नई शिक्षा नीति 2020 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरी रंजन के साथ विशेष बिंदुओं पर चर्चा की गई।
नई शिक्षा नीति 2020 को भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया था। यह शिक्षा नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है।
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कुछ प्रमुख परिवर्तन :-
• नई शिक्षा नीति 2020 में 10+2 की पद्धति को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है और 10+2 की पद्धति को बांटकर 5+3+3+4 की पद्धति में ढाला गया है।
• राज्य सरकार में शिक्षा पद्धति को 4 चरणों में विभाजित किया गया है। जो कि इस प्रकार से है...
1.) foundation stage (फाउंडेशन चरण)
2.) preparatory stage (प्रारंभिक चरण)
3.) middle stage ( मध्य चरण)
4.) secondary stage (माध्यमिक चरण)
• नई शिक्षा नीति 2020 में 5+3+3+4 पद्धति का मतलब यह है कि..
फाउंडेशन चरण में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल और कक्षा 1 और कक्षा 2 शामिल होंगी।
प्रारंभिक चरण में कक्षा 3 कक्षा 4 तथा कक्षा 5 शामिल होंगी।
मध्य चरण में कक्षा 6 कक्षा 7 तथा कक्षा 8 शामिल होंगी। तथा माध्यमिक चरण में कक्षा 9 कक्षा 10 कक्षा 11 तथा कक्षा 12 शामिल होंगी।
• पुरानी शिक्षा नीति में 6 वर्ष के बाद शिक्षा का प्रावधान था लेकिन नई शिक्षा नीति 2020 में 3 वर्ष के बाद शिक्षा का प्रावधान है कहने का मतलब यह है कि 3 साल के बच्चे प्री-प्राइमरी स्कूल में जाने लगेंगे।
• नई शिक्षा नीति 2020 को 4 चरणों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक चरण की अलग-अलग विशेषता है जो कि इस प्रकार से है...
1.) foundation stage (फाउंडेशन चरण) में कोई एग्जाम नहीं होगा।
2.) preparatory stage (प्रारंभिक चरण) में एग्जाम होना प्रारंभ हो जाएगा।
3.) middle stage ( मध्य चरण) में देश की किसी भी भाषा को पढ़ने में रुचि हो, तो देश की कोई भी भाषा को ले सकते हैं।
4.) secondary stage (माध्यमिक चरण) में विदेश की किसी भी भाषा को पढ़ने में रुचि हो, तो विदेश की कोई भी भाषा को ले सकते हैं। (चीन की मंदारिन भाषा को छोड़कर)
• अब स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, अब छात्र जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वो ले सकते हैं।
• संगीत, खेल, योग आदि को सहायक पाठ्यक्रम या अतिरिक्त पाठ्यक्रम की बजाय अब मुख्य पाठ्यक्रम में ही जोड़ा जाएगा।
• नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद का कुल 6 प्रतिशत खर्च करने का लक्ष्य है, जो इस समय में 4.43% है।
• नई शिक्षा नीति 2020 में मानव संसाधन मंत्रालय का नाम पुनः "शिक्षा मंत्रालय" करने का फैसला लिया गया है।
• नई शिक्षा नीति 2020 में M. Phil को समाप्त किया जायेगा। अब अनुसंधान में जाने के लिये तीन साल के स्नातक डिग्री के बाद दो साल स्नातकोत्तर करके पीएचडी में प्रवेश लिया जा सकता है।
• नई शिक्षा नीति 2020 में शिक्षकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया जाएगा।
•नई शिक्षा नीति 2020 में प्राइवेट स्कूलों में मनमाने ढंग से फीस रखने और बढ़ाने को भी रोकने का प्रयास किया जाएगा।
• पहले 'समूह' के अनुसार विषय चुने जाते थे, किन्तु अब उसमें भी बदलाव किया गया है। नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार जो छात्र इंजीनियरिंग कर रहे हैं वह संगीत को भी अपने विषय के साथ पढ़ सकते हैं।
• नई शिक्षा नीति 2020 में पहले और दूसरे कक्षा में गणित और भाषा एवं चौथे और पांचवें कक्षा के बालकों के लेखन पर जोर देने की बात कही गई है।
• पहले जहां 11वीं कक्षा से विषय चुनने की आज़ादी थी, लेकिन नई शिक्षा नीति 2020 के अनुसार अब विषय चुनने की आजादी 9वीं कक्षा से रहेगी।
• शिक्षण के माध्यम के रूप में पहली से पांचवीं तक मातृभाषा का इस्तेमाल किया जायेगा। इसमें रट्टा विद्या को ख़त्म करने की भी कोशिश की गई है जिसको मौजूदा व्यवस्था की बड़ी खामी माना जाता है।
• किसी कारणवश विद्यार्थी उच्च शिक्षा के बीच में ही कोर्स छोड़ के चले जाते हैं। ऐसा करने पर उन्हें कुछ नहीं मिलता एवं उन्हें डिग्री के लिये दोबारा से नई शुरुआत करनी पड़ती है। लेकिन नई शिक्षा नीति 2020 में पहले वर्ष में कोर्स को छोड़ने पर प्रमाण पत्र, दूसरे वर्ष में छोड़ने पर डिप्लोमा एवं अंतिम वर्ष में छोड़ने पर डिग्री देने का प्रावधान है।
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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की कुछ प्रमुख बातें :-
1. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio-GER) को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।
2. नई शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा के क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
3. नई शिक्षा नीति 2020 में 'मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय' का नाम परिवर्तित कर 'शिक्षा मंत्रालय' कर दिया गया है।
4. देश भर के उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये "भारतीय उच्च शिक्षा परिषद" नामक एक एकल नियामक की परिकल्पना की गई है। शिक्षा नीति में यह पहला परिवर्तन बहुत पहले लिया गया था लेकिन अब की बार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीतइ 2020 में जारी किया गया।
5. नई शिक्षा नीति 2020 में 5वीं कक्षा तक की शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है। साथ ही मातृभाषा को कक्षा 8 और आगे की कक्षाओं में शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संबंध मे कुछ प्रतिक्रियाएं :-
नई शिक्षा नीति 2020 के घोषणा के उपरांत बुद्धिजीवियों, आम जनता तथा शिक्षा जगत में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली। अधिकांश लोगों ने उक्त शिक्षा नीति में घोषित बदलाव का स्वागत किया।
कुछ लोगों ने नई शिक्षा नीति 2020 में घोषित लक्ष्य को पूरा होने पर संदेह व्यक्त किया।
शिक्षा पर GDP का 6% खर्च करने का लक्ष्य बहुत ही पुराना था, जिसे फिर से दोहराया गया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कुलपति एम॰ जगदीश कुमार ने नई शिक्षा नीति 2020 को समावेशी कहा है।
कांग्रेस नेता एवं सांसद शशि थरूर का कहना है कि नई शिक्षा नीति 2020 में रखे गए कई लक्ष्य ऐसे हैं, जिनका पूर्ण होने की संभावना कम है।
बीबीसी के अनुसार इस नीति में आरएसएस की पद्धति और योजना को शामिल किया गया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के संगठन दूटा (DUTA) ने नई शिक्षा नीति 2020 की कड़ी आलोचना व्यक्त करते हुए नई शिक्षा नीति 2020 को आपत्तिजनक माना है जिसका कहना है कि इसके द्वारा विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता को बोर्ड ऑफ़ गवर्नर के ज़िम्मे झोंक देना अनुचित है।
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