Education Best Wealth |
विद्या/शिक्षा सर्वश्रेष्ठ धन क्यों? - Education Best Wealth :-
वर्तमान समय में धर्म से ज्यादा धन को महत्व दिया जाता है, लेकिन कोई भी यह जानना ही नहीं चाहता कि वास्तविक धन है क्या? क्या शिक्षा वास्तविक धन है?
आज के समय में पैसों को ही धन माना जाता है यदि मैं आप से ही पूछो कि आपके पास कितना धन है तो आप यही कहेंगे कि मेरे पास इतने पैसे बैंक में है और इतने पैसे वर्तमान में मेरे पास है इत्यादि ही कहा जाएगा।
कोई भी यह नहीं कहेगा, कि मेरे पास बहुत सी पुस्तकों का ज्ञान है, बहुत से शास्त्रों का ज्ञान है और वास्तव मैं यही हमारा वास्तविक धन है। खैर, कोई बात नहीं समझ समझ का खेल है।
सबसे पहले मैं आप से पूछना चाहता हूं, कि आप सर्वश्रेष्ठ धन किसे मानते हो?
आपके बहुत से उत्तर हो सकते हैं, लेकिन मैं कहूंगा कि इसका सर्वश्रेष्ठ उत्तर शिक्षा ही होना चाहिए, क्योंकि शिक्षा ही एक मात्र ऐसा धन है, जिसका कभी भी क्षय नहीं होता है। इसलिए कहा जाता है कि शिक्षारुपी धन समय और अनुभव के साथ बढ़ता ही जाता है। इसलिए शिक्षा को सर्वश्रेष्ठ धन कहा जा सकता है।
मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप शक्तिशाली किसे मानते हो?
आप कहोगे, कि जिसके पास पॉवर है पैसा है वह व्यक्ति शक्तिशाली हो सकता है, लेकिन मैं कहूंगा कि पॉवर, पैसा किसी को शक्तिशाली नहीं बनाता है या फिर बनाता भी है तो कुछ ही समय के लिए बना सकता है क्योंकि किसी के पास जो पॉवर है, वह कुछ ही समय के लिए है और किसी के पास जो पैसा है वह भी कुछ ही समय के लिए है क्योंकि पैसा को वेश्या के समान माना जाता है इसलिए जिस प्रकार वेश्या मात्र धन से प्यार करती है, उसी प्रकार यह धन भी मात्र आपके भाग्य से प्यार करता है अर्थात पाप का उदय आने पर धन भी चला जाता है
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जिसके पास ज्ञान है, विद्या है वास्तव में वही व्यक्ति शक्तिशाली है, बलवान है।
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जब तक हम वास्तविक धन को नहीं जानेंगे तब तक उसकी प्राप्ति का उद्यम कैसे करेंगे?
वास्तविक धन क्या है इसे हम एक उदाहरण के माध्यम से देखते हैं:-
एक समय की बात है, एक नगर में एक राजा राज्य करता था। वह बहुत शक्तिशाली राजा माना जाता था, इसलिए वह स्वयं ही अकेले शिकार करने के लिए जंगल में जाया करता था।
एक दिन की बात है, कि राजा शिकार करते-करते जंगल में बहुत अंदर तक चले गए, महाराज को जंगल में बहुत प्यास लगी, लेकिन पानी की व्यवस्था ना होने के कारण इधर-उधर देखने लगे, तभी उन्होंने देखा कि तीन व्यक्ति आ रहे थे।
राजा ने तीनों व्यक्तियों को रोका और कहा कि मैं इस राज्य का राजा हूं, मुझे अभी प्यास लगी है, यदि आपके पास पानी हो तो मुझे दे दो, मैं आपके लिए आपकी इच्छा अनुसार धन दूंगा।
तीनों व्यक्तियों के पास पानी होता है, इसलिए वह महाराज को दे देते हैं, फिर महाराज अपने राजमहल में आ जाते हैं और तीनों व्यक्तियों को दरबार में बुलाते हैं।
राजा प्रथम व्यक्ति से पूछता है बोलो आपको क्या चाहिए,
प्रथम व्यक्ति बोलता है, कि मुझे पैसे चाहिए जिससे हमारी जिंदगी आराम से व्यतीत हो सके।
दूसरा व्यक्ति बोलता है, कि मुझे मकान नौकर चाकर इत्यादि चाहिए जिससे हमारी जिंदगी भी आराम से व्यतीत हो सके।
तीसरा व्यक्ति बोलता है कि मुझे भी आपसे धन चाहिए वह धन यह है, कि मैं ज्ञान को अर्जिन करना चाहता हूं, अतः गुरुकुल की व्यवस्था की जानी चाहिए।
तीनों व्यक्तियों के कहे अनुसार राजा तीनों की व्यवस्था कर देता है
कुछ समय बाद.....
बरसात का समय लगभग पूर्ण ही होने वाला था, कि बाढ़ आ जाती है और प्रथम और द्वितीय व्यक्ति की धन संपत्ति बाढ़ में ही बह जाती है और दोनों फिर फटे हाल कंगाल हो जाते हैं,
वह भी क्या सकते थे, क्योंकि जब विधान का समय आता है तो निदान नहीं हो पाता है।
किसी कारणवश वह तीनों व्यक्ति एक स्थान पर मिल जाते हैं। तब वह तीसरा व्यक्ति उन दोनों से पूछता है, कि आप की धन संपत्ति का क्या होगा?
तो प्रथम और द्वितीय व्यक्ति बोलते हैं कि बाढ़ आने के कारण बह गई।
तो तीसरा व्यक्ति बोलता है,कि जो संपत्ति बाढ़ आने के कारण ही बह जाए,वह संपत्ति हमारी संपत्ति कैसे हो सकती ? हमारी संपत्ति तो वह संपत्ति है, जो बाढ़ आने पर, तूफान आने पर, भूकंप आने पर, आदि अनेक विपरीत से विपरीत समस्या आने पर भी हमसे अलग ना हो वही वास्तविक हमारी संपत्ति है अर्थात ज्ञान ही हमारी संपत्ति है, विद्या ही हमारी संपत्ति है, शिक्षा ही हमारी संपत्ति है और वही सर्वश्रेष्ठ संपत्ति है और वही सर्वश्रेष्ठ धन भी है।
इस कहानी के माध्यम से यह सिद्ध होता है कि ज्ञान, विद्या, शिक्षा ही वास्तविक धन है, सर्वश्रेष्ठ धन है, इसके अलावा कोई भी धन,धन नहीं है।
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शास्त्रों में भी विद्या को सर्वश्रेष्ठ धन माना गया है उन्हें हम श्लोकों के माध्यम से देखे हैं:-
न चोरहार्यं न च राजहार्यंन भ्रातृभाज्यं न च भारकारी ।
व्यये कृते वर्धते एव नित्यं विद्याधनं सर्वधन प्रधानम् ॥
भावार्थ :
विद्यारुपी धन को कोई चुरा नहीं सकता, राजा ले नहीं सकता, भाईयों में उसका भाग नहीं होता, उसका भार नहीं लगता, (और) खर्च करने से बढता है। सचमुच, विद्यारुप धन सर्वश्रेष्ठ है ।
नास्ति विद्यासमो बन्धुर्नास्ति विद्यासमः सुहृत् ।
नास्ति विद्यासमं वित्तं नास्ति विद्यासमं सुखम् ॥
भावार्थ :
विद्या जैसा बंधु नहीं, विद्या जैसा मित्र नहीं, (और) विद्या जैसा अन्य कोई धन या सुख नहीं ।
ज्ञातिभि र्वण्टयते नैव चोरेणापि न नीयते ।
दाने नैव क्षयं याति विद्यारत्नं महाधनम् ॥
भावार्थ :
यह विद्यारुपी रत्न महान धन है, जिसका वितरण ज्ञातिजनों द्वारा हो नहीं सकता, जिसे चोर ले जा नहीं सकते, और जिसका दान करने से क्षय नहीं होता ।
सर्वद्रव्येषु विद्यैव द्रव्यमाहुरनुत्तमम् । अहार्यत्वादनर्ध्यत्वादक्षयत्वाच्च सर्वदा ॥
भावार्थ :
सब द्रव्यों में विद्यारुपी द्रव्य सर्वोत्तम है, क्योंकि वह किसी से हरा नहीं जा सकता; उसका मूल्य नहीं हो सकता,
और उसका कभी नाश नहीं होता ।
विद्या नाम नरस्य रूपमधिकं प्रच्छन्नगुप्तं धनम्
विद्या भोगकरी यशः सुखकरी विद्या गुरूणां गुरुः ।
विद्या बन्धुजनो विदेशगमने विद्या परं दैवतम्
विद्या राजसु पूज्यते न हि धनं विद्याविहीनः पशुः ॥
भावार्थ :
विद्या इन्सान का विशिष्ट रुप है, गुप्त धन है। वह भोग देनेवाली, यशदात्री और सुखकारक है। विद्या गुरुओं का गुरु है, विदेश में वह इन्सान की बंधु है। विद्या बडी देवता है; राजाओं में विद्या की पूजा होती है, धन की नहीं इसलिए विद्याविहीन पशु ही है।
इस प्रकार अनेक श्लोकों के माध्यम से विद्या / शिक्षा ही सर्वश्रेष्ठ धन सिद्ध होती है।
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अब हम कुछ वर्तमान समय की बात करते हैं कि वर्तमान समय में भी ज्ञान को, शिक्षा को, विद्या को ही वास्तविक धन माना जाता है अन्य पैसों आदि को तो उपचार से धन कहा जाता है आइए अब इसी बात को सिद्ध करते हैं।
इसे हम एक उदाहरण के माध्यम से देखते हैं:-
एक शहर में एक होटल बन रहा था उस होटल को बनाने में बहुत से मजदूर भाई काम कर रहे थे और उन मजदूरों के ऊपर भी बहुत से इंजीनियर भाई लगे हुए थे उन इंजीनियर भाइयों के ऊपर भी दो मालिक थे।
मजदूर भाई दिन भर काम करते थे और उन्हें दिन भर काम करने के मात्र ₹600 मिला करते थे और उनके ऊपर जो इंजीनियर काम करते थे उन्हें दिन भर में ₹7000 मिला करते थे।
मजदूर भाइयों के पास ज्ञान की, शिक्षा की, विद्या की कमी होने के कारण, दिनभर कठिन काम करने पर भी कम पैसे मिला करते थे लेकिन इंजीनियर भाइयों के पास ज्ञान की, शिक्षा की, विद्या की बढ़ोत्तरी होने के कारण से दिन भर सरल काम करने पर भी अधिक पैसे मिला करते थे।
किसी भी व्यक्ति को किसी काम से पैसा नहीं मिलता, बल्कि उस व्यक्ति को अपने ज्ञान के, शिक्षा के, विद्या के बल पर पैसा मिला करता है, इसलिए कहा जाता है,
कि कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता है।
इससे भी यह सिद्ध होता है कि विद्या ही सर्वश्रेष्ठ धन है
अंग्रेजी में कहा जाता है कि Information is Wealth.
अर्थात जानकारी ही धन है। आज का व्यक्ति भी पैसों को धन नहीं मानता वह मात्र जानकारी को ही, नॉलेज को ही धन मानता है।
आइए हम इसी बात को सिद्ध करते हैं
वर्तमान समय में हैकिंग का बहुत अधिक भय हो गया है हर कोई व्यक्ति अपने मोबाइल का डाटा और अपने अन्य डाटा को भी सुरक्षित करना चाहता है कोई भी नहीं चाहता कि किसी की कोई गुप्त बातें किसी को पता चले।
यदि किसी व्यक्ति की कोई गुप्त जानकारी किसी को मिल जाती है, तो उस व्यक्ति से उससे सदा ही भय बना रहता है, और वह व्यक्ति उस व्यक्ति से अपनी जानकारी लेने के लिए जीवन काल में कमाया हुआ धन भी दे देता है, इससे मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि आज के समय में जानकारी को ही धन माना जा रहा है और जिस व्यक्ति के पास जानकारी है। वहीं आज के समय में धनी व्यक्ति है।
जानकारी का मतलब हम नॉलेज भी ले सकते हैं। जिसके पास नॉलेज है, ज्ञान है, शिक्षा है, विद्या है वास्तव में आज के समय में वही अमीर व्यक्ति है, क्योंकि उस व्यक्ति से वह नॉलेज, वह ज्ञान, वह शिक्षा कोई भी नहीं छीन सकता है और जो कागज के टुकड़ों में पैसे हैं वह तो कोई भी कभी भी छीन सकता है, इसलिए वह वास्तविक धन नहीं है।
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