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सुपरटेक ट्विन टावर का काला सच : Supertech Twin Tower Demolition Reasons

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सुपरटेक ट्विन टावर का काला सच : Supertech Twin Tower Demolition Reasons

सुपरटेक ट्विन टावर का काला सच : Supertech Twin Tower Demolition Reasons :-

बिल्डर कंपनी सुपरटेक का ट्विन टावर किराने मात्र से क्या होगा। बाद में फिर सरकारें बदलेगी तो फिर सुपरटेक जैसी कंपनीयां फिर से कई टावरों को स्थापित कर लेंगी ?
इसलिए हमें बिल्डर कंपनी सुपरटेक का ट्विन टावर गिराने के साथ-साथ लालची सोच तथा लालची नियत को भी गिराना चाहिए जिसके कारण भविष्य काल में भिष्टाचार का प्रतीक सुपरटेक ट्विन टावर स्थापित ना हो सके।

बिल्डर कंपनी सुपरटेक के ट्विन टावर के बारे में निम्न बिंदुओं के माध्यम से "अब नहीं रहा सुपरटेक का कुतुब मीनार : Supertech Twin Tower Demolition" नामक आलेख में समझ लिया है। जो बिंदु इस प्रकार से है..
ट्विन टावर को क्यों गिराया गया
ट्विन टावर कितने मंजिला था
कुतुब मीनार से भी बड़े थे सुपरटेक के ट्विन टावर
ट्विन टावर को बनाने में कितनी लगी थी लागत?
ट्विन टावर को गिराने में कितनी लगी थी लागत?
ट्विन टावर के मलवा को बेचकर कितने की होगी कमाई?
ट्विन टावर्स के आसपास के हालात
ट्विन टॉवर्स के कितने फ्लैट हो चुके थे बुक
ट्विन टॉवर्स के कई ग्राहकों (फ्लैट को खरीदने वालों) को अभी तक नहीं मिला रिफंड

इन बिंदुओं के माध्यम से बिल्डर कंपनी सुपरटेक के ट्विन टावर के बारे में बहुत अच्छी तरह से समझ लिया है।
अब हम इस आलेख के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि
बिल्डर कंपनी सुपरटेक को ट्विन टावर बनाने में लगभग 3 साल का समय लगा था क्या इतने लंबे समय से सरकार को इस टावर के बारे में भनक भी नहीं लगी ?
उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार होते हुए भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ने अवैध ट्विन टावर कैसे बना लिया ?
क्या सुपरटेक ट्विन टावर को बनाने में उत्तर प्रदेश की सरकार का भी हाथ है ?
इत्यादि अनेक हो प्रश्न हो सकते हैं जो उत्तर प्रदेश की सरकार की ओर इशारा करते हैं।

उत्तर प्रदेश में नई सरकार 29 अगस्त 2003 में बनी थी। जिसके मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। तथा जिनका कार्यकाल 29 अगस्त 2003 से 13 मई 2007 तक था।
वास्तव में बिल्डर कंपनी सुपरटेक के ट्विन टावर की कहानी की शुरुआत 2005 में हो गई थी।
जब 2005 में नोएडा में 'न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलोपमेन्ट ऑथोरिटी' नामक कंपनी को नोएडा में 'एमराल्ड कोर्ट' नामक एक सोसाइटी विकसित करने की योजना की स्वीकृति मिली थी।
इस सोसाइटी की योजना के अंतर्गत 9 मंजिला 14 आलीशान भवनों से गिरी हुई सोसाइटी का विकास होना था जिसमें खेल का मैदान तथा पूजा स्थल के साथ-साथ एक बड़ा पार्क बनाने का भी नक्शा शामिल था।

इस बीच उत्तर प्रदेश में 13 मई 2007 में सरकार बदल गई और फिर उत्तर प्रदेश में नई सरकार 13 मई 2007 में बनी। जिसकी मुख्यमंत्री मायावती थी तथा जिनका कार्यकाल 13 मई 2017 से 15 मार्च 2012 तक रहा।
मायावती की सरकार ने 2009 में पार्क की जगह पर (जिसे मूल योजना में Grean area कहा गया था) दो विशाल रिहायसी टावर (अपैक्स व सीएन ) बनाने का प्रस्ताव स्वीकृत कर लिया। तथा इसे 9 मंजिला की अन्य इमारतों की जगह 24 मंजिला बनाने की स्वीकृति भी प्राप्त हो गई। जिसे उस वक्त कुछ प्रगतिशील मीडिया हाउसेस ने समाजवाद का टावर भी कहा क्योंकि इस टावर को अमेरिकी ट्विन टावर से मुकाबला करना था।

इसी बीच पुनः उत्तर प्रदेश में 15 मार्च 2012 में सरकार बदल गई और  उत्तर प्रदेश में नई सरकार 15 मार्च 2012 में बनी। जिसके मुख्यमंत्री अखिलेश यादव थे तथा जिनका कार्यकाल 15 मार्च 2012 से 19 मार्च 2017 तक रहा।
उत्तर प्रदेश में पुनः सरकार का परिवर्तन हुआ था तो योजना तो बदलनी ही थी क्योंकि 700 - 800 करोड़ की योजना में किसकी दिलचस्पी नहीं होगी!
14 आलीशान भवनों की योजना में परिवर्तन करके 15 आलीशान भवनों में परिवर्तित कर दिया तथा प्रस्तावित ट्विन टावर के 24 मंजिला को परिवर्तित करके 40 मंजिला बनाने की अनुमति कंपनी को दे दी गई।

पहले से रह रहे वहां के निवासियों ने पाया की यह ट्विन टावर तो उसी जगह बन रहा है जहां मूल योजना में पार्क था अर्थात जिसे मूल योजना में ग्रीन एरिया कहा गया था।
वहां के निवासियों ने उच्च न्यायालय में बिल्डर कंपनी सुपरटेक के ऊपर केस कर दिया और अंत में 31 अगस्त 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने बिल्डर कंपनी सुपरटेक के सुपरटेक ट्विन टावर को अवैध घोषित कर गिराने का आदेश दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का अनुसरण करते हुए बिल्डर कंपनी सुपरटेक का सुपरटेक ट्विन टावर को 3700 किलोग्राम बारूद का इस्तेमाल करके ध्वस्त कर दिया।

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सच तो यह है कि यह बिल्डर कंपनी सुपरटेक का सुपरटेक ट्विन टावर समाजवाद का टावर बनने की जगह भ्रष्टाचार का टावर बन गया था जो गिर गया। पर उससे बड़ा सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश में सरकार होते हुए भी भ्रष्टाचार का प्रतीक सुपरटेक ट्विन टावर कैसे बना ?

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