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लेटलतीफ़ लव By Surbhi Singhal - Latelatif Love Book Review & Summary in hindi

Latelatif Love Book Review & Summary in hindi

लेटलतीफ़ लव उपन्यास की समीक्षा - Latelatif Love Book Review :-

लेटलतीफ़ लव कहानी है एक ऐसे 60 वर्षीय अधेड़ की, जिसे दुनिया सिरे से ही भ्रम पूर्ण प्रतीत होती थी। वह पेशे से डॉक्टर था, वह भी दिल का। परंतु दिल के इमोशंस से गैर वाकिफ। वह हमेशा अपने पेशेंट से घिरा रहता था और कईयों की जिंदगियां उसकी वजह से ही गुलजार थी परंतु फिर भी वह हर किसी के लिए अवांछित था। उसके आसपास का प्रत्येक शख्स उससे कन्नी काटकर चलता था और मिस्टर ट्रंप नाम के इस डॉक्टर को भी लगभग सभी से खास किस्म की एलर्जी थी। जिंदगी के 60 साल उसके हाथ से यूं फिसले जैसे मुट्ठी से सूखी रेत। और जब जिंदगी का सूर्यास्त नजदीक था, ऐसे में उसे इश्क हो जाता है । औरत जात से ताउम्र दूर रहने वाला और उसे देखते ही नाक भौं-सिकोड़ने वाला मिस्टर ट्रंप अपनी रहस्यमयी प्रेयसी की असलियत से अनजान, उसकी तलाश में ऐसे लोक में पहुंच जाता है, जहां इंसानों का प्रवेश वर्जित था। मगर डॉक्टर ट्रंप पर अपनी प्रेयसी का सम्मोहन इस कदर हावी था कि इस अजनबी लोक की तमाम बंदिशों के बावजूद वह इस अपरिचित और रहस्यमई दुनिया में प्रवेश पा जाता है। वह इस लोक के नियम-कायदों से नितांत बेखबर था और अपनी उल्टी-सीधी हरकतों की वजह से किसी बड़ी मुसीबत में फंसने ही वाला था कि उसकी जिंदगी में राद्री का प्रवेश होता है । राद्री मिस्टर ट्रंप को बचा तो लेती है मगर उसकी जान बचाने के बदले में उससे सेक्स की मांग करती है और तब मिस्टर ट्रंप.......!!
लेटलतीफ लव जैसे एक संपूर्ण,विशुद्ध व्यस्क,बालिग उपन्यास की विवेचना करना इस पर कुछ लिखना, एक अजब, अजमंजस वाली सी मनस्थिति, कशमकश से पार पाना भी है।
इक आग का दरिया है।
और डूबकर जाना है।।
हिंदी भाषा में तो लेटलतीफ लव जैसे विषय पर लेखन से बहुत अधिक दूरी बनाकर ही रखी गई है।
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हिंदी के पाठकों को इसके लिए हिंदी में अनुवादित किए गए उपन्यासों की शरण में जाना पड़ता था। उनको घर में रखते भी थे, लेकिन दुनिया से छुपछुपाकर।
बिस्तरों के सिरहाने बदलने के दौरान ही घर वालों को उनके इस छुपाकर रखे गए खजाने का पता चल पाता था।
ऐसी परिस्थितियों के बरकरार रहने के चलते ही लोलिता, लेडीज चैटर्टीज लवर,जैसे उपन्यास कई प्रकाशकों के द्वारा कई संस्करणों मे छापे जाते रहे। जेम्स हैडली चेइज,निक कार्टर के हिंदी में अनुवादित उपन्यासों को काफी इस उम्मीद, आशा के साथ भी खरीद लेते थे कि उन्हें वर्जित फल से जुड़ाव, भोगने का अवसर, अध्ययन के माध्यम से भी मिल जाए।
हिंदी को मन मसोसकर रह जाना पड़ता था कि अंग्रेजी में इतना कुछ होने पर भी किसी को कोई शिकायत भी नहीं होती लेकिन हिंदी में तो......।
इन सब स्वतःस्फूर्त प्रतिबंध, लक्ष्मण रेखा के दौरान कुछ चुनींदा उपन्यासों में कुछ लेखक, लेखिकाओं ने रति, यौनाकर्षण, यौनानंद के हासिल होने, उस पर कुछ किए जाने का जिक्र तो किया लेकिन थोड़ा तथा मध्यम सा ही जिक्र किया है। फिर भी विस्तृत वर्णन से सामाजिक, साहित्यिक दूरी ही बनाकर रखी गई।
चित्तकोबरा, घेरे से बाहर कुछ कृतियाँ हैं, जो इसलिए भी चर्चित हो उठी कि उन्होंने बालिग दायरे के अंदर का लिखने का अतिक्रमण भी कर दिया था।
किसी अटकाकर रखी गई चीज को एक न एक दिन तो अवतरित हो जाना ही होता है।
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यूं भी फरमा सकते हैं कि इस उपन्यास ने सामाजिक, नैतिक बंधन, वर्जना को तोड़ने का श्रीगणेश कर दिया है।
लेटलतीफ लव की लेखिका सुरभि सिंघल ने लेटलतीफ लव में किसी भी बंदिश के बंधन से अपनी कलम को बंधने, सिकुड़ने नहीं दिया।
ऐसी मनोस्थिति, शारिरिक क्रियाओं, मिलन का वर्णन इतना खुलकर किया है कि पढ़ने वाले को चिकोटी काटनी पड़ती है कि वाकई इतना खुल्लमखुल्ला हिंदी में भी लिखा गया है!
उपन्यास पूरी तरह से संपूर्ण बालिग उपन्यास है, किंतु लेखिका इस आधार पर ही उपन्यास को जीवंत नहीं बनाए रखती है। उपन्यास की विषयवस्तु का बालिग होना ही उपन्यास की जान नहीं है, बल्कि उम्दा कहानी, प्रभावशाली किरदार, तीखे संवाद, और कसी हुई भाषा शैली, गंभीर चरित्र इस उपन्यास में पठनीय का तड़का लगाते ही रहते हैं।

बालिग विषय का चुना जाना ही कर्णधार नहीं है, लेटलतीफ लव के लिए!
मुख्य किरदार इतना शक्तिशाली है कि उस पर, उसके किए पर विश्वास करने को मन मचलने, हठ करने लगता है। साहित्यिक सौंदर्य, विश्वसनीय कथ्य, इन पर भी लेखिका सुरभि सिंघल द्वारा भरपूर और सार्थक मेहनत की गई है।
लेखिका सुरभि सिंघल द्वारा लेटलतीफ लव पर भरपूर और सार्थक मेहनत की गई है। जिसके फलस्वरूप पाठकों का उपन्यास से जुड़ाव बना रहा है।
उत्तेजना का संचार पाठकों में आदि से लेकर अंत तक विद्यमान रहता है।
लेखिका सुरभि सिंघल ने लेटलतीफ़ लव में ब्रह्मांड के एक बिल्कुल ही अलग अनूठे इंसान की कहानी है, जिसको साठ साल के पश्चात ही यौनसुख हासिल हो पाता है। इस मुकाम तक पहुंचने की प्रक्रिया को लेटलतीफ़ लव के माध्यम से लेखिका सुरभि सिंघल ने बताया हैं।
उसके पश्चात उस प्यार को पाने के लिए जिसमें वासना भी रचीबसी है, उस प्यार की खोज यात्रा का बहुत ही रोचक, दिलचस्प, मजेदार और जीवंत वर्णन किया है।
चुटिले संवाद, जोरदार, धमाकेदार और उंमुक्त पंक्तियां पाठकों के आनंद, पढाई से प्राप्त यौनानंद को कई गुणा प्रभावकारी करने में पूर्णतया सफल रहती हैं।
समापन ऐसा है कि दूसरे भाग के लिए भी द्वार को खुला रखा गया है।
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लेटलतीफ़ लव उपन्यास का सारांश - Summary of Latelatif Love Book :-

प्रेमांकुर उम्र का मोहताज नहीं होता।
60 की संख्या, यूं तो जीवन चक्र में सेवानिवृति की उम्र होती है,आपके लिए, हम सबके लिए।
किंतु दुनिया में सबसे अलहदा,अपने किस्म के इकलौते मिस्टर ट्रंप के लिए उम्र का ये पड़ाव शुभारंभ था। कई वंचित शारिरिक सुखों, भावनाओं से परिचित होने, उन्हें भोगने का।
प्यार का द्विआयामी हो जाना एक उलझन तो है, लेकिन सच्चा प्रेम, अंततोगत्वा उलझी हुई कडिय़ों को सुलझाने की ओर ले ही जाता है!
हिंदी उपन्यास़ों में एक सर्वथा नयी जमीन पर जोता गया, लेटलतीफ़ लव एक ऐसा अति व्यस्क कथ्य हैं जिस पर अभिव्यक्ति से हिंदी समाज अभी तक आंखें ही मूंदते आया हैं।

आखिर क्यों पढ़ें लेटलतीफ़ लव :-

लेखिका सुरभि सिंघल का उपन्यास पूरी तरह से संपूर्ण बालिग उपन्यास है, किंतु लेखिका इस आधार पर ही उपन्यास को जीवंत नहीं बनाए रखती है। उपन्यास की विषयवस्तु का बालिग होना ही उपन्यास की जान नहीं है, बल्कि उम्दा कहानी, प्रभावशाली किरदार, तीखे संवाद, और कसी हुई भाषा शैली, गंभीर चरित्र इस उपन्यास में पठनीय का तड़का लगाते ही रहते हैं।
             लेखिका सुरभि सिंघल ने लेटलतीफ़ लव नामक उपन्यास में मनोस्थिति, शारिरिक क्रियाओं, मिलन का वर्णन इतना खुलकर किया है कि पढ़ने वाले को चिकोटी काटनी पड़ती है कि वाकई इतना खुल्लमखुल्ला हिंदी में भी लिखा गया है!
             यूं भी फरमा सकते हैं कि लेटलतीफ़ लव नामक उपन्यास ने सामाजिक, नैतिक बंधन तथा वर्जना को तोड़ने का श्रीगणेश कर दिया है।
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लेखक :- सुरभि सिंघल
प्रकाशन :- सृष्टि प्रकाशन, चंडीगढ़

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