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डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 : सरकार ने पेश किया बिल का ड्राफ्ट, अब सुरक्षित रहेंगी आपकी पर्सनल डिटेल्स |
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 : सरकार ने पेश किया बिल का ड्राफ्ट, अब सुरक्षित रहेंगी आपकी पर्सनल डिटेल्स :-
भारत सरकार ने शुक्रवार यानी 18 नवंबर 2022 को 'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022' का ड्राफ्ट पेश किया है। 'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022' के मुताबिक डिजिटल पर्सनल डेटा के आसपास रेगुलेशन प्रोवाइड करना है।
'डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022' नामक बिल लोगों के अपने पर्सनल डेटा को प्रोटेक्ट करने के अधिकार और वैध उद्देश्यों के लिए पर्सनल डेटा को प्रोसेस करने की आवश्यकता दोनों को मान्यता देता है।
इस बिल के मुताबिक भारत सरकार ने लोगों के पर्सनल डेटा का गलत इस्तेमाल यानी कानून तोड़ने वाली कंपनियों पर पेनल्टी की राशि बढ़ाकर 500 करोड़ रुपए तक कर दी है।
पिछला डेटा प्रोटेक्शन बिल कर दिया गया था रद्द :-
पिछला डेटा प्रोटेक्शन बिल इस साल की शुरुआत में संसदीय मानसून सत्र के दौरान रद्द कर दिया गया था। अब मंत्रालय ने इस बिल का नाम बदलकर पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल कर दिया है, जो पूरी तरह से यूजर डेटा से जुड़े कानूनों पर जोर देता है। केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 के ड्राफ्ट पर लोगों से उनकी राय भी मांगी है। जो कि इस बिल को मजबूत बनाएगा।
अब कंपनियां अपने पास नहीं रख सकती है लोगों का पर्सनल डेटा :-
यह ड्राफ्ट सबसे पॉपुलर सोशल मीडिया और अन्य कंपनियों के इर्द-गिर्द ही घूमता है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में कहा गया है कि डेटा इकट्ठा करने वाली कंपनियों को पर्सनल डेटा को अपने पास रखना बंद कर देना चाहिए, या उन साधनों को हटा देना चाहिए जिनके द्वारा पर्सनल डेटा को विशेष डेटा प्रिंसिपल के साथ जोड़ा जा सकता है। अर्थात् व्यक्ति के पर्सनल डेटा का दुरुपयोग किया जा सकता है।
बायोमेट्रिक डेटा के लिए एम्प्लॉई की सहमति लेनी होगी :-
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में यह भी कहा गया है कि लीगल या बिजनेस उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर यूजर्स के डेटा को अपने पास बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए। नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डेटा के मालिक को पूर्ण अधिकार भी देता है। यहां तक कि अगर किसी एम्प्लॉयर को अटेंडेंस मार्क करने के लिए किसी एम्प्लॉई के बायोमेट्रिक डेटा की आवश्यकता होती है, तो उसे स्पष्ट रूप से कर्मचारी से सहमति की आवश्यकता होगी। अर्थात् कम्पनियां कर्मचारी की अनुमति के बिना बायोमेट्रिक डेटा नहीं ले सकती है।
पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल KYC डेटा को प्रभावित करेगा :-
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल KYC डेटा को भी प्रभावित करेगा। जब भी सेविंग अकाउंट को ओपन करवाते हैं तो KYC प्रोसेस को पूरा करने के लिए प्रतिबंध की आवश्यकता होती है। इस प्रोसेस के तहत इकट्ठा किया गया डेटा भी पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के अंतर्गत आता है। अब हर बैंकों को अकाउंट बंद करने के 6 महीने से ज्यादा समय के लिए KYC डेटा बनाए रखना होगा।
बच्चों के पर्सनल डेटा को इकट्ठा करने के लिए अभिभावकों की अनुमति जरूरी :-
बच्चों के पर्सनल डेटा को इकट्ठा करने या फिर अपने पास रखने के लिए नियमों का एक नया सेट भी तैयार किया गया है। जिसके माध्यम से डेटा मांगने वाली कंपनियां डेटा तक पहुंचने के लिए माता-पिता या अभिभावक की अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
सोशल मीडिया कंपनियों को यह भी निश्चित करना होगा कि टारगेटेड एडवर्टाइजमेंट के लिए बच्चों के पर्सनल डेटा को ट्रैक नहीं किया जा रहा है।