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प्रकृति के अनेक नियमों में से तीन नियम |
प्रकृति के अनेक नियमों में से तीन नियम :-
प्रकृति अपनी घटनाओं के माध्यम से हमें बहुत कुछ सिखाने की कोशिश करती है लेकिन हम प्रकृति द्वारा दिए गए इशारे को समझ नहीं पाते जिसके कारण हम व्याकुल होते रहते हैं।
प्रकृति के अनेक नियमों में से यहां पर मात्र तीन नियम पर विचार करते हैं जो कि तीनों नियम क्रमशः इस प्रकार से है....
प्रकृति का पहला नियम : यदि खेत में बीज न डालें जाएं, तो कुदरत उसे पास-फूस से भर देती है। ठीक उसी तरह से दिमाग में अगर सकारात्मक विचार न भरे जाएं, तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते है।
प्रकृति का दूसरा नियम : जिसके पास जो होता है, यह वहीं बांटता है। सुखी, सुख बांटता है। दुःखी, दुःख बांटता है। ज्ञानी, ज्ञान बांटता है। भ्रमित, भ्रम बांटता है। भयभीत, भय बांटता है।
प्रकृति का तीसरा नियम : आपको जीवन में जो भी मिले, उसे पचाना सीखो क्योंकि भोजन न पचने पर, रोग बढ़ते हैं। पैसा न पचने पर दिखावा बढ़ता है। बात न पचने पर, चुगली बढ़ती है। प्रशंसा न पचने पर, अंहकार बढ़ता है। निंदा न पचने पर दुश्मनी बढ़ती है। राज़ न पचने पर खतरा बढ़ता है। दुःख न पचने पर, निराशा बढ़ती है। सुख न पचने पर, पाप बढ़ता है।