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वर्तमान समय में संस्कारहीन क्यों?

Why is culturless in the present time?

 वर्तमान समय में संस्कारहीन क्यों? :-

                                               वर्तमान समय में मनुष्य जैसे-जैसे विकास की ओर बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे ही संस्कारों की हीनता उसके विचारों में और आचरण में नजर आती जा रही है
वर्तमान समय में संस्कार हीन क्यों होते जा रहे हैं इसके बहुत से कारण हो सकते हैं लेकिन यदि कोई बलवान कारण रहा है तो वह है विचारों की दरिद्रता। क्योंकि विचारों के प्रवाह क्रम से ही हमारी सोच बनती है और वर्तमान समय में मनुष्यों की सोच तुच्छ होती जा रही है इसलिए कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में संस्कार की हीनता का प्रमुख कारण विचारों की दरिद्रता ही रहा है।
विचारों की दरिद्रता नामक दीमक मनुष्य के आचरण और विचारों को खोखला करती जा रही है जो कि मनुष्य को कालांतर में घातक ही सिद्ध होगी।
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वर्तमान समय में संस्कारहीन क्यों है, इसके अनेक कारण हो सकते हैं, कुछ कारण इस प्रकार दृष्टव्य है :-
1. आज का युग विकास का युग है, हर कोई विकास करना चाहता है, लेकिन यह भूल जाते हैं, कि जो विकास उन्नति के बिना होता है वह विकास नहीं, बल्कि दीर्घकालीन विनाश ही होता है, मात्र नजरिए का अंतर है।
विकास का अर्थ है - व्यक्त करना, खिलना
उन्नति का अर्थ है - ऊंचाई, बढ़ना
2. वर्तमान समय में संस्कार हीन क्यों होते जा रहे हैं, इसका कारण एक यह भी हो सकता है, कि पहले के समय के व्यक्ति अशिक्षित थे, लेकिन संस्कारी थे। परंतु वर्तमान समय के व्यक्ति शिक्षित है, लेकिन संस्कारहीन है, इसे सरल शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है, कि वर्तमान समय में शिक्षा अहंकार युक्त दी जा रही है।
3. संस्कार हीन होने का एक यह भी कारण हो सकता है, कि हमारे देश का जो प्रधान वर्ग हैं, उन्होंने विकास पर जितना अधिक जोर दिया है उतना अधिक जोर उन्नति पर नहीं दिया है। शायद यह भी एक प्रबल कारण रहा है, इसलिए एक ओर तो व्यक्ति शिक्षित होता जा रहा है, तो दूसरी ओर व्यक्ति संस्कारहीन भी होता जा रहा है।
4. वर्तमान समय में संस्कार हीन होने के कारण में माता-पिता का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है, आजकल के अधिकांश माता-पिता चाहते हैं, कि उनका बच्चा हर क्लास में, हर कोई काम में अव्वल होना चाहिए, अगर ऐसे ही अव्वल होते तो शायद भारत अभी तक विश्व में प्रथम स्थान पर होता, पर ऐसा होता नहीं, माता पिता समय-समय पर अपने बच्चों पर दबाव भी डालते रहते हैं, जिसके कारण बचपन से ही बच्चों की मानसिक स्थिति ऐसी बन जाती है, कि वह युवावस्था में भी मात्र अपने बारे में ही सोचते हैं, जिसके कारण संस्कार हीन होते जा रहे हैं ।
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5. वर्तमान समय में संस्कारहीन होने के कारण में वर्तमान Education system का भी महत्वपूर्ण योगदान है, जिसके कारण बच्चे संस्कारहीन होते जा रहे हैं, आजकल की जो शिक्षा पद्धति है उसके बारे में मैं अभी कुछ नहीं कहूंगा क्योंकि "विभिन्न वैचारिकों की दृष्टि में शिक्षा" नामक लेख में इसकी चर्चा होगी।
6. वर्तमान समय में संस्कार की हीनता होने में एकल परिवार भी चरम सीमा पर रहा है, प्राचीन समय की तो छोड़ो कुछ समय पहले ही संयुक्त परिवार हुआ करते थे, जिसके कारण बच्चों की बहुमुखी उन्नति तो बचपन में ही हो जाया करती थी, बड़ों का लाड़ प्यार भी मिलता था, साथ में संस्कारों का बेजोड़ खजाना। वर्तमान समय में जिस समय बहू को सास के अनुभवों का ज्ञान मिलना होता है, उस समय बहू के ऊपर परिवार की जिम्मेदारी आ जाती है और वह उसमें फंस जाती है जिसके कारण बच्चे संस्कारों से वंचित रह जाते हैं।
7. वर्तमान समय में संस्कारों का जिन मूल कारणों से पतन हुआ है, उन मूल कारणों में यह भी शामिल है कि आज के समय में प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित होता जा रहा है, शिक्षा संस्कार की विरोधी नहीं है,बल्कि शिक्षा तो संस्कारों की तिजोरी है, जो उन्हें सम्हालकर रखती है, वर्तमान समय में व्यक्ति में शिक्षा के साथ अहंकार भी आता जा रहा है, जिसके कारण वह अपने से बड़ों से कुछ सीखना ही नहीं चाहता है, बल्कि वह बड़ों को तो यह समझता है, कि उन्हें तो कुछ आता ही नहीं है, इसलिए कहा जाता है कि
अपने बच्चों को इतना लायक भी मत बनाओ,
जिससे वह तुम्हें ही नालायक समझने लगे है।
          इत्यादि अनेक कारण है जिसके कारण वर्तमान समय में संस्कारहीन होते जा रहे है। यदि हम चाहते है कि हमारी आने वाली पीढ़ियां संस्कार युक्त रहे तो हमें उसके लिए भरपूर प्रयास करने चाहिए।
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