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दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति : पिता |
दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति : पिता
वर्तमान समय गतिशीलता का समय है वर्तमान समय में व्यक्ति जिस विचारधारा पर चल रहा है वह विचारधारा अत्यंत ही घातक और सर्वनाशक विचारधारा प्रतीत हो रही है क्योंकि इस विचारधारा को अपनाने पर अपने ही अपने के दुश्मन बन बैठे हैं जिस प्रकार नंगी तलवार पर चलना घातक सिद्ध हो सकता है उसी प्रकार बिना सोचे समझे दूसरों की देखा देखी वर्तमान विचारधारा को अपनाने पर भी घातक ही सिद्ध होगा।
प्रस्तुत लेख का विषय है दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति : पिता
उक्त विषय में सबसे पहले हम पॉजिटिव के मतलब को समझते हैं जो कि इस प्रकार से है
पॉजिटिव अर्थात् सकारात्मकता ।
अपने विचार, अपने कार्य के प्रति सकारात्मक होना, सो पॉजिटिव अर्थात् सकारात्मकता कहलाता है।
वर्तमान समय में संपूर्ण दुनिया के समक्ष यह समस्याएं सामने आ रही है कि
• बच्चे नेगेटिव क्यों होते जा रहे हैं
• वर्तमान समय में बच्चों के निर्णय लेने की क्षमता क्षीण क्यों होती जा रही है
• पिता पुत्र का आपस में communication gap क्यों बढ़ता जा रहा है।
• वर्तमान समय में वैचारिक दृष्टिकोण हीन क्यों होता जा रहा है। इत्यादि अनेक प्रश्न हो सकते हैं जो वर्तमान समय में समस्याओं के रुप में समाज के समक्ष खड़े हैं।
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पिता दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति है इस बात को वह (पिता) सिद्ध करने के लिए अधिकतर करनी (काम के माध्यम से कहना) का प्रयोग करते हैं जिसके कारण बच्चे अपने पिता से ज्यादा motivate नहीं हो पाते हैं।
पिता दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति है इस बात को वह (पिता) सिद्ध करने के लिए करनी (काम के माध्यम से कहना) तथा कथनी (वचन के माध्यम से कहना) दोनों का प्रयोग करें, तो बच्चे अपने पिता से ज्यादा motivate हो सकते हैं और वह हर एक बात को बारीकी से जानने की कोशिश करते हुए पॉजिटिव निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं, जो कि बच्चों के लिए अति आवश्यक है।
यदि बच्चों के बचपन को बारीकी से देखा जाए, तो शायद पिता के अलावा ऐसा कोई भी व्यक्ति ना होगा जो अपने बच्चों के लिए पॉजिटिव ना रहे और अपने विचारों व कार्यों के माध्यम से अपने बच्चों को पॉजिटिव का संदेश ना दें।
शायद आपको याद होगा कि आपने अपने बचपन में कभी भी खेल खिलौना या फिर किसी चीज की पिता से मांग की हो और पिता ने नेगेटिव जवाब देते हुए कहा हो कि नहीं! मैं तुम्हें यह नहीं दिलाऊंगा।
हां, यदि पिता की आर्थिक स्थिति कमजोर रही हो और पिता का तात्कालिक समस्याओं पर ध्यान हो, तो शायद कभी नेगेटिव जवाब सुनने को मिला हो। लेकिन पिता अपने बच्चों के लिए जवाब, अपनी कथनी और करनी के माध्यम से पॉजिटिव ही देना चाहते हैं।
पिता का महत्त्व :-
पिता परिवार के लिए वटवृक्ष की तरह होते हैं, जो अपने परिवार पर आने वाली सारी परेशानियों को स्वयं झेलता रहता हैं लेकिन अपने परिवार के ऊपर आंच भी नहीं आने देता है। वह अपने बच्चों के जीवन का आधार होते हैं।
पिता परिवार के लिए एक उम्मीद, आस और विश्वास की तरह काम करते हैं। पिता बच्चों के लिए साक्षात् भगवान के तुल्य होते हैं।
वास्तव में वह पिता ही होता है जो अपने बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए अपनी जिंदगी की कमाई का जर्रा जर्रा झोंक देता हैं।
वास्तव में पिता का संपूर्ण जीवन बच्चों के इर्द गिर्द ही घूमता रहता है वह अपने बच्चों की खुशी के बारे में ही सोचते रहते हैं।
पिता, बच्चों के संघर्ष में हौसलों की दीवार की तरह काम करते हैं।
हालांकि भारतीय संस्कृति में कदम कदम पर मां के बारे में लिखा हुआ मिल जाएगा लेकिन यदि पिता के बारे में देखा जाए तो भारतीय संस्कृति में पिता को बहुत कम याद किया गया है या फिर पिता के बारे में बहुत कम लिखा गया है। कुछ पंक्तियां हैं जो उक्त लेख के लिए उपर्युक्त है जो इस प्रकार है....
पिता नन्हे से परिंदे का बड़ा आसमान हैं
पिता है तो घर में प्रतिपल राग हैं
पिता से मां की चूड़ी, बिंदी और सुहाग हैं
पिता हैं तो बच्चों के सारे सपने हैं
पिता है तो बाजार के सब खिलौने अपने हैं।
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आखिर पिता ही क्यों है दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति ?
दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति पिता ही क्यों ? गुरु क्यों नहीं ?
हां, गुरु भी दुनिया के सबसे पॉजिटिव व्यक्ति हो सकते हैं लेकिन उक्त प्रकरण में गुरु के स्थान पर पिता अधिक उपर्युक्त सिद्ध होता है इसलिए पिता को दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति कहा गया है क्योंकि कहा जाता है, कि कथनी से ज्यादा करनी का प्रभाव ज्यादा प्रभावशाली होता है। इसीलिए उक्त प्रकरण में गुरु के स्थान पर पिता को दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति कहा गया है।
गुरु लगभग शिक्षा काल में अधिकतर कथनी के माध्यम से अपनी बात को समझाने की कोशिश करते हैं एकांश बात को करनी के माध्यम से भी समझाने की कोशिश करते हैं लेकिन एकमात्र पिता ही ऐसा व्यक्तित्व होता है जो अपने पुत्र को कथनी और करनी दोनों के माध्यम से अच्छी तरह से समझाने की कोशिश करता है क्योंकि वह पिता ही होता है जो अपने अंश को अपने से कई गुना अधिक काबिल देखने के लिए अपनी जिंदगी की कमाई का जर्रा जर्रा झोंक देता है। इसीलिए उक्त लेख के प्रकरण में पिता को दुनिया का सबसे पॉजिटिव व्यक्ति कहा गया है।
चाणक्य के मुताबिक हर इंसान के होते हैं 5 पिता :-
वर्तमान समय में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा, जिसने आचार्य चाणक्य का नाम नहीं सुना होगा अर्थात् कहने का मतलब यह है कि भारतीय संस्कृति में आचार्य चाणक्य अपने समय के बहुत बड़े विद्वान, पंडित तथा अर्थशास्त्र के ज्ञाता थे। यहां तक कि आचार्य चाणक्य चक्रवर्ती सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु भी थे। शायद उस समय में आचार्य चाणक्य ही एकमात्र ऐसे व्यक्तित्व रहे होंगे जिन्होंने सबसे पहले अखंड भारत का स्वप्न देखा था।
आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति कहा है, कि
जनिता चोपनेता च यस्तु विद्यां प्रयच्छति।
अन्नदाता भयत्राता पञ्चैता पितरः स्मृताः॥
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने कहा है, कि संस्कार के हिसाब से हर इंसान के 5 तरह के पिता होते हैं, जो कि इस प्रकार से हैं :-
• भय से रक्षा करने वाला,
• जन्म देने वाला,
• उपनयन संस्कार करनेवाला
• और अन्नदाता।