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चीतों को हिरण परोसने का विरोध | बिश्नोई समाज ने पीएम मोदी को लिखा पत्र |
चीतों को हिरण और चीतल परोसने का विरोध: बिश्नोई समाज ने पीएम मोदी को लिखा पत्र
भारत में चीतों की वापसी (Project Cheetah) सरकार का ऐतिहासिक कदम है। 1952 में भारत से चीता विलुप्त हो गया था। लेकिन 17 सितंबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर नामीबिया से 8 अफ्रीकी चीते मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में छोड़े गए।
इस लेख में हम यह जानेंगे
- Project Cheetah India
- Cheetah in Kuno National Park
- Bishnoi Community Protest
- Wildlife Protection Act 1972 India
- Cheetah Food Controversy
- PM Modi Cheetah Project News
- Rajasthan Bishnoi Community News
- High CPC Keywords: Wildlife Conservation in India, Environmental Protection, Biodiversity in India, Animal Rights in India
अब विवाद यह है कि इन विदेशी चीतों के भोजन के लिए 181 चीतल (spotted deer) और हिरणों को शिकार के रूप में छोड़ा गया है। इस फैसले ने राजस्थान के बिश्नोई समाज (Bishnoi Community) को नाराज कर दिया है क्योंकि उनके लिए हिरण आस्था और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा है।
बिश्नोई समाज का विरोध
- बिश्नोई समाज सदियों से वन्यजीवों और पर्यावरण संरक्षण के लिए जाना जाता है।
- हिरण और चीतल उनकी धार्मिक आस्था से जुड़े हैं।
- समाज ने इस फैसले को असंवेदनशील और अवैधानिक बताते हुए सड़कों पर प्रदर्शन किया।
- जोधपुर में अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के बैनर तले आक्रोश प्रदर्शन हुआ।
नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस मंत्री का पत्र
- राजस्थान के सांचौर विधायक और श्रम राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर नाराजगी जताई।
- उन्होंने कहा कि हिरण आस्था से जुड़ा है और Wildlife Protection Act 1972 के अनुसार इसका शिकार प्रतिबंधित है।
- इसलिए हिरण को चीते का भोजन बनाना अवैधानिक है।
बीजेपी विधायक की नाराजगी
- नोखा से बीजेपी विधायक बिहारी लाल बिश्नोई ने भी वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखा।
- उनका कहना है कि “किसी एक प्रजाति को बचाने के लिए दूसरी प्रजाति को बलिदान करना गलत है।”
- उन्होंने तत्काल हिरण और चीतल को चीते का भोजन बनाने पर रोक लगाने की मांग की।
कूनो नेशनल पार्क में चीतल भेजे गए
- राजगढ़ के जंगलों से 181 चीतल श्योपुर भेजे गए ताकि चीतों का भोजन सुनिश्चित किया जा सके।
- 2021 में भी गांधी सागर अभ्यारण से 245 चीतल और देवास के सिवनी से 9 चीतल भेजे गए थे।
बिश्नोई समाज की राष्ट्रपति से मांग
- बिश्नोई समाज ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपील की है कि हिरण और चीतल को चीते का भोजन बनाने की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए।
- समाज ने यह भी याद दिलाया कि उनके गुरु जंभेश्वर भगवान के बताए सिद्धांतों के अनुसार वे पिछले 500 सालों से प्रकृति और वन्यजीवों की रक्षा कर रहे हैं।
- इतिहास गवाह है कि 363 बिश्नोईयों ने पेड़ों और वन्यजीवों की रक्षा के लिए बलिदान दिया था।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
Q1. भारत में चीता कब विलुप्त हुआ था?
➡️ साल 1952 में भारत से चीता पूरी तरह विलुप्त हो गया था।
Q2. भारत में चीते कहाँ लाए गए हैं?
➡️ नामीबिया से लाए गए 8 चीते मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए।
Q3. बिश्नोई समाज विरोध क्यों कर रहा है?
➡️ बिश्नोई समाज के लिए हिरण धार्मिक आस्था का विषय है। चीतों को हिरण और चीतल परोसना उन्हें असंवेदनशील व अवैधानिक लग रहा है।
Q4. इस मामले में कौन-कौन से नेता सक्रिय हुए हैं?
➡️ कांग्रेस मंत्री सुखराम बिश्नोई और बीजेपी विधायक बिहारी लाल बिश्नोई दोनों ने पत्र लिखकर नाराजगी जताई है।
Q5. Wildlife Protection Act 1972 क्या कहता है?
➡️ यह कानून हिरण समेत कई प्रजातियों के शिकार पर पाबंदी लगाता है और उनके संरक्षण की बात करता है।
Q6. क्या हिरणों को चीते का भोजन बनाना अवैध है?
➡️ बिश्नोई समाज और पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि यह कानून और आस्था दोनों का उल्लंघन है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए।
👉 यह खबर न सिर्फ वन्यजीव संरक्षण (Wildlife Conservation in India) बल्कि धार्मिक आस्था और पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ी हुई है, इसलिए यह राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा मुद्दा बन चुका है।