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Adani Group ने बना दिया अच्छा माहौल, अमेरिकी एसेट मैनेजर धड़ाधड़ खरीद रहे भारतीय शेयर |
Adani Group ने बना दिया अच्छा माहौल, अमेरिकी एसेट मैनेजर धड़ाधड़ खरीद रहे भारतीय शेयर :-
हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट से सिर्फ Adani Group के शेयरों को ही नहीं बल्कि पूरे भारतीय स्टॉक मार्केट को झटका लगा है। हालांकि अमेरिकी एसेट मैनेजर पाइनब्रिज (Pine Bridge) इसे खरीदारी के मौके के तौर पर देख रही है। खास बात ये है कि पाइनब्रिज (Pine Bridge) के फंड में पहले भारतीय स्टॉक्स नहीं थे। जानिए फिर क्यों अमेरिकी एसेट मैनेजर भारतीय स्टॉक्स को लेकर बुलिश है?
पाइनब्रिज (PineBridge) के मुताबिक अदाणी ग्रुप (Adani Group) पर अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने जो आरोप लगाए हैं, उसका असर ग्रोथ और मैनुफैक्चरिंग पर कोई नहीं पड़ेगा। हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को अपनी रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप (Adani Group) की कंपनियों पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया था। हालांकि अदाणी ग्रुप (Adani Group) ने इन आरोपों से इनकार किया है लेकिन निवेशकों (Investors) की घबराहट बढ़ी और बिकवाली शुरू हो गई। वहीं अमेरिकी एसेट मैनेजर 1780 करोड़ डॉलर के वैश्विक मल्टी-एसेट पोर्टफोलियो की देखरेख करने वाले माइकल केली उन लोगों में शुमार है जो मौजूदा स्थिति को खरीदारी के मौके के रूप में देख रहे हैं। क्योंकि Long term में Share Market हमेशा उछाल की ओर ही बढ़ता है।
अदाणी ग्रुप (Adani Group) में बिकवाली के दबाव का असर पूरे स्टॉक मार्केट (Stock Market) पर पड़ रहा है । इसे अमेरिकी एसेट मैनेजर PineBridge Investments निवेश के लिए सुनहरे मौके के तौर पर देख रही है। अमेरिकी एसेट मैनेजर अपने मल्टी-एसेट पोर्टफोलियो के लिए भारतीय शेयरों की जमकर खरीदारी कर रहे हैं।
हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट के चलते अदाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में भारी गिरावट आ गई। माइकल केली इसे खरीदारी के लिए शानदार मौके के रूप में देख रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि अदाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में मौजूदा गिरावट से पहले पाइन ब्रिज (Pine Bridge) के फंड्स में भारतीय शेयर नहीं थे लेकिन अब भारतीय शेयर की खरीदारी शुरू कर दी है।
Adani Stocks में गिरावट से पहले नहीं खरीदे थे भारतीय स्टॉक्स :
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट आने के बाद से अदाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में बिकवाली का दबाव दिख रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अदाणी ग्रुप (Adani Group) पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया है। हालांकि अदाणी ग्रुप (Adani Group) ने इन आरोपों से इनकार कर दिया है। इसके बावजूद भी अदाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में गिरावट नहीं थमी। केली इसे खरीदारी के शानदार मौके के रूप में देख रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि अदाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में मौजूदा गिरावट से पहले पाइन ब्रिज के फंड्स में भारतीय शेयर नहीं थे लेकिन अब भारतीय शेयरों की खरीदारी शुरू कर दी है। हालांकि केली का यह भी मानना है कि भारतीय मार्केट (Indian Market) में अभी और झटके लग सकते हैं क्योंकि कॉरपोरेट गवर्नेस की जांच बढ़ गई है।
PineBridge ने किन शेयरों की खरीदारी :
मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनेशनल (MSCI) का इंडिया इंडेक्स (MSCI India Index) पिछले साल दिसंबर 2022 में रिकॉर्ड ऊंचाई पर था और फिलहाल इस लेवल से यह 10 फीसदी फिसल चुका है। ऐसे में केली के मुताबिक कुछ स्टॉक्स अब खरीदने लायक भाव पर आ गए हैं। केली का मानना है कि कुछ कंपनियां ऐसी हैं जो आय के मुकाबले 90 गुना भाव पर ट्रेड हो रहे हैं जिनका वैश्विक इंडेक्स में अधिक वेटेज है, लेकिन ये महंगे नहीं हैं। हालांकि ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया है कि वह किन शेयरों की खरीदारी कर रहे हैं।
भारत को लेकर बुलिश रुझान क्यों :
केली भारत को लेकर इसलिए बुलिश हैं क्योंकि केली का मानना है कि वैश्विक कंपनियां चीन से बाहर अपनी मैनुफैक्चरिंग प्लांट भारत में लगाना चाहती हैं। एपल तथा फॉक्सकॉन भारत में अपना कारोबार बढ़ा रही हैं। केली के मुताबिक, भारत में लाल फीताशाही और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते बड़ी संख्या में विदेशी कंपनियां (foreign companies) भारत में आने से कतराती रही हैं लेकिन केली का कहना है कि बैंकिंग सेक्टर (banking sector) में सुधार और टैक्सेशन में बड़े बदलाव एफडीआई (FDI) के लिए गेमचेंजर हैं।
चाइनीज शेयरों पर भी लगाया दांव :
केली ने सिर्फ भारतीय स्टॉक्स पर ही नहीं बल्कि चाइनीज स्टॉक्स पर भी दांव लगाया है। पाइनब्रिज के मल्टी- एसेट पोर्टफोलियो में 13 व 19 फीसदी हिस्सेदारी भारतीय और चाइनीज शेयरों की है। इन शेयरों की खरीदारी के लिए एसेट मैनेजर ने अमेरिकी और यूरोपियन शेयरों की बिक्री की है। हालांकि केली चीन की तुलना में भारत का आउटलुक ज्यादा स्पष्ट रुप से देख पा रहे हैं।
केली ने बताया है कि भारत में अगले तीन से चार साल के ग्रोथ अनुमान के हिसाब से वाजिब दाम में खरीदारी की जा सकती है। वहीं दूसरी तरफ चीन की बात कहे तो महज एक साल के ग्रोथ अनुमान के हिसाब से ही खरीदारी की जा सकती है। एक साल से ज्यादा समय के लिए निवेश करने को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीति देखनी होगी कि क्या वह माओइज्म की तरफ वापस जाते हैं या नहीं?