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इन कारणों से मार्केट में बिकवाली का दबाव बना हुआ है |
इन कारणों से मार्केट में बिकवाली का दबाव बना हुआ है :-
मार्केट में इस गिरावट के पीछे सिर्फ घरेलू ही नहीं बल्कि बाहरी वजहें भी हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी लड़ाई के बीच पश्चिमी देशों को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की चेतावनी ने बाजार पर दबाव बनाया है। इसके लिए कुछ और वजहें हैं, जिसके चलते मार्केट में बिकवाली का दबाव है। यहां ऐसे कुछ कारणों के बारे में बताया जा रहा है।
पुतिन की न्यूक्लियर वार्निंग :
रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में चल रही लड़ाई के मद्देनजर पश्चिमी देशों को चेतावनी दी। पुतिन ने नाभिकीय हथियारों (न्यूक्लिर ऑर्म्स) से जुड़े समझौते को रद्द कर दिया है। साथ में न्यूक्लियर टेस्ट करने की चेतावनी दी है। अमेरिकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट एंटोनी ब्लिंकेन ने इसे बहुत बड़ा दुर्भाग्य और गैर-जिम्मेदराना बताया है। वहीं नाटो के सेक्रेटरी जनरल जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने भी चिंता जताते हुए कहा है कि इससे पूरी दुनिया पर खतरा बढ़ गया है। नाटो के सेक्रेटरी जनरल ने पुतिन को अपने फैसले पर फिर से विचार करने को कहा है।
Adani Group Stocks में लगातार बिकवाली :
अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट आने के बाद से अदाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में बिकवाली का दबाव दिख रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) ने अदाणी ग्रुप (Adani Group) पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया है। हालांकि अदाणी ग्रुप (Adani Group) ने इन आरोपों से इनकार कर दिया है। इसके बावजूद भी अदाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में गिरावट नहीं थमी।
24 जनवरी से अब तक अदाणी ग्रुप (Adani Group) के निवेशकों को 12 लाख करोड़ का नुकसान हो गया है।अदाणी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में बिकवाली का असर पूरे स्टॉक मार्केट पर भी दिख रहा है।
FII ने की बिकवाली :
विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) इस साल की शुरुआत से ही भारतीय शेयरों (Indian Share) की बिकवाली कर रहे हैं। विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) ने इस साल 337 करोड़ डॉलर के शेयरों की बिक्री की। हालांकि वर्तमान समय में स्थिति पलटती दिख रही है क्योंकि पिछले हफ्ते विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने भारतीय शेयरों की खरीदारी शुरू कर दी। कुछ analysts का मानना है कि शेयरों के भाव में गिरावट के चलते विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) इसे निवेश के लिए आकर्षक मान रहे हैं, जिसके चलते रुझान में बदलाव आया है। जिससे भारतीय बाजार में भी उछाल देखने को मिल सकता है।
दिसंबर तिमाही के नतीजे :
वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही अक्टूबर-दिसंबर 2022 में कंपनियों का नेट मुनाफा मिलता-जुलता रहा हैं। मांग में सुस्ती के चलते कॉरपोरेट की कमाई analysts के अनुमान से कम रही है। साथ में कमोडिटीज सेक्टर का हाल भी बुरा चल रहा है। लेकिन वित्तीय और ऑटो सेक्टर ने दिसंबर 2022 तिमाही में बेहतर प्रदर्शन किया है। हालांकि analysts आगे को लेकर काफी पॉजिटिव दिख रहे हैं।