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मेघना By Kusum Goswami - Meghna Book Review & Summary in hindi

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Meghna Book Review & Summary in hindi

मेघना उपन्यास की समीक्षा - Meghna Book Review :-

मेघना नामक उपन्यास कुसुम गोस्वामी का प्रथम उपन्यास है। कुसुम गोस्वामी ने मेघना नाम उपन्यास में नायिका मेघना की संवेदनाओं तथा मानसिक पीड़ा को बखूबी तरीके से व्यक्त करने की कोशिश की है, जो कि सराहनीय है।
         हालांकि सभी कहानियां एक जैसी ही होती है, लेकिन उन्हें लिखने का तरीका ही उन्हें खास बना देता है।
मेघना नामक उपन्यास में भाषा तथा शब्दों का बेजोड़ चयन किया गया है जो कि मेघना नामक उपन्यास को खूबसूरत बनाता है।
मेघना नामक उपन्यास की कहानी की भाषा सरल और बोलचाल वाली है, आपको भाषा के स्तर पर कोई कमी नहीं दिखेंगी।
मेघना नामक उपन्यास की नायिका आकर्षक, समझदार, साहसी, निडर तथा पढ़ी लिखी लड़की है।
कराटे की ब्लैक बेल्ट है और हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहती है। मेघना की जीवन में मात्र दो ही लक्ष्य है.. अपनी छोटी बहन की शादी और मां का ख़्याल रखना।
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        हालांकि योगिता कम उम्र में ही विधवा हो गई थी लेकिन योगिता ने अपनी लड़कियों की शिक्षा दीक्षा में कोई कमी ना रखी। साथ ही साहसी तथा स्वावलंबी भी बनाया।
        लेखिका कुसुम गोस्वामी ने मेघना नामक उपन्यास के माध्यम से कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले शोषण को समाज के सामने रखने का प्रयास किया गया है। जिसकी वजह से मेघना जैसी ना जाने कितनी ही लड़कियों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
मेघना, वर्तमान समाज को आईना दिखाती हुई एक बेहतरीन उपन्यास है। वास्तव में लेखिका कुसुम गोस्वामी ने वर्तमान समाज की सामाजिक परिस्थितियों का अवलोकन करके उन सामाजिक परिस्थितियों का साहस पूर्वक कैसे सामना करें ? यही उक्त उपन्यास के माध्यम से लेखिका कुसुम गोस्वामी ने संदेश दिया है।
      हालांकि मेघना निडर नायिका थी लेकिन भाटिया के जाल में फंसकर मछली की तरह तड़पने लगती है और जब वह अपने अंतर्मन की पीड़ा सहन नहीं कर पाती है तब वह अपनी मां से साहस लेती हुई अंततः कानून की सहायता लेकर भाटिया के विरुद्ध जंग का ऐलान करती हुई मैदान में उतरती है।
सूर्य प्रताप जी मेघना की ओर से सेनापति के पद को सुशोभित कर रहे थे और यह सुनिश्चित करने में लगे हुए थे, कि मेघना को विजयश्री प्राप्त हो।
क्या मेघना के लिए ये न्यायिक लड़ाई आसान होगी ?
क्या न्याय व्यवस्था बलात्कार जैसे मामलों में पहले से अधिक सजग और संवेदनशील हुई है ?
क्या भाटिया को उसके किए की सज़ा मिलेगी ?
क्या योगिता जिंदगी की इस जंग को भी जीतेगी?
इन सवालों के जवाब आपको पूरा उपन्यास पढ़कर ही मिलेंगे।
जब अभिमन्यु, सूर्यप्रताप जी तथा DCP के अथक प्रयास के बाद भी उसे सफलता नहीं मिलती। तब मेघना को कानून अंधा है, कथन की हकीकत समझमें आने लगती है जो सत्य को जानते हुए भी सबूतों और गवाहों के अभाव में खुद को लाचार महसूस कर रहा है। लेकिन अंत में मेघना के पक्ष में विजय को सुनिश्चित करने के लिए भाटिया की पत्नी स्नेहा, मेघना के पक्ष में आती है तब भाटिया बोखला जाता है तथा अंत में स्नेहा विजयश्री को मेघना के पक्ष में स्थापित करती है।
    लेखिका कुसुम गोस्वामी ने इस उपन्यास की कहानी के माध्यम से बहुत ज्वलंत मुद्दा को हमारे समक्ष प्रस्तुत करने की कोशिश की है, जिसमें लेखिका कुसुम गोस्वामी ने मेघना के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों पर गहरी चोट की है।
वास्तव में मेघना बहुत साहसी नायिका है जिस प्रकार मिस्टर भाटिया ने मेघना की इज्जत को तार तार कर दिया था ठीक उसी प्रकार मेघना ने भी अद्भुत साहस का परिचय देते हुए सामाजिक कुरीतियों को भी तार तार कर दिया हैं।
   लेखिका कुसुम गोस्वामी ने महिला सशक्तिकरण तथा बलात्कार जैसे गंभीर मुद्दों पर अपनी कलम चलाकर साहस का काम किया है। नए तथा प्रयोगात्मक उपन्यास पढ़ने वाले साथियों के लिए यह उपन्यास अच्छा रहेगा।
       मेघना नामक उपन्यास में मेघना की बहिन नैना का प्रेमी राहुल भी वर्तमान समाज की कुरीतियों के खिलाफ उत्तम संदेश देता है।
हालांकि राहुल अमीर परिवार से संबंध रखता है, इसलिए उसकी मां चाहती है कि राहुल की शादी में कोई कमी ना रहे और शादी में जो भी खर्चा हो उसे दोनों परिवार मिलकर अदा करें।
जबकि नैना मध्यम वर्गीय परिवार से संबंध रखती है, इसलिए राहुल, योगिता तथा मेघना की संवेदनाओं को समझता हुआ अपनी मां को समझाकर समाज के बनाए गए ऊंच-नीच के भेद को मिटा कर नैना को अपना जीवनसाथी बनाता है।
         मेघना नामक उपन्यास में फिल्मी गानों का संवाद में प्रयोग किया गया है। मेघना उपन्यास की नायिका तथा नायक को मिलाने के लिए लेखिका महोदया ने अंताक्षरी का प्रयोग किया है, जिसका प्रयोग शायद भविष्य कालीन साहित्य में भी देखा जा सकता है।
            राहुल,अभिमन्यु, सूर्य प्रताप, रूबी, स्नेहा भाटिया, मयंक, ज्योति, आदि अन्य पात्र भी हैं जो कहानी में समय समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।
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मेघना उपन्यास का सारांश - Summary of Meghna Book :-

सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता। उक्त उक्ति में मेघना नामक उपन्यास का सम्पूर्ण सार गर्वित है।
लेखिका कुसुम गोस्वामी ने मेघना नामक उपन्यास के माध्यम से कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले शोषण को समाज के सामने रखने का प्रयास किया गया है। जिसकी वजह से मेघना जैसी ना जाने कितनी ही लड़कियों को कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।

आखिर क्यों पढ़ें मेघना :-

लेखिका कुसुम गोस्वामी ने मेघना की खूबसूरती का बखान करने के लिए बहुत ही सुंदर उपमाओं का इस्तेमाल किया है, जो कि मेघना के चरित्र चित्रण में चार चांद लगाते हैं।
             लेखिका कुसुम गोस्वामी ने उपन्यास के माध्यम से वर्तमान समाज की ज्वलंत समस्याएं महिला सशक्तिकरण तथा बलात्कार के संबंध में मेघना के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करने की कोशिश की है।
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लेखक :- कुसुम गोस्वामी
प्रकाशन :- हिंद युग्म, दिल्ली

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